tag:blogger.com,1999:blog-2419884849297657734.post5328764333680017510..comments2024-02-15T11:31:59.371+05:30Comments on मुकुल का मीडिया: हिन्दी में इंटरनेट विस्तार पर बल Mukulhttp://www.blogger.com/profile/17912641611101930410noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-2419884849297657734.post-44970897830164273502016-10-14T08:17:03.519+05:302016-10-14T08:17:03.519+05:30तीसरी तकनीकी क्रांति (1980) के बाद इंटरनेट सूचनाओं...तीसरी तकनीकी क्रांति (1980) के बाद इंटरनेट सूचनाओं के आदान-प्रदान का सबसे सुलभ साधन बन चुका है। इसने मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी है। एक अरब सत्ताईस करोड़ आबादी वाले देश में हिंदी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। देश की सत्तर प्रतिशत से अधिक आबादी इसी भाषा में अपने को अभिव्यक्त करती है। आज ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, गुयाना, मारीशस, सूरीनाम, फीजी, नीदरलैंड, दक्षिण अफ्रीका, त्रिनिदाद और टोबैको जैसे देशों में हिंदी बोलने वाले काफी तादाद में रहते हैं जो हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए काफी संतोषजनक बात है।<br />इसके साथ ही विकसित देशों में भी हिंदी को लेकर ललक बढ़ रही है। कारण यह है कि किसी भी बहुराष्ट्रीय कंपनी या देश को अपना उत्पाद बेचने के लिए आम आदमी तक पहुंचना होगा और इसके लिए जनभाषा ही सबसे सशक्त माध्यम है। यही कारक हिंदी के प्रचार-प्रसार में सहायक सिद्ध हो रहा है। आज पचास से अधिक देशों के पांच सौ से अधिक केंद्रों पर हिंदी पढ़ाई जाती है। कई केंद्रों पर स्नातकोत्तर स्तर पर हिंदी के अध्ययन-अध्यापन के साथ ही पीएचडी करने की सुविधा उपलब्ध है। विश्व के लगभग एक सौ चालीस देशों तक हिंदी किसी न किसी रूप में पहुंच चुकी है। आज हिंदी के माध्यम से संपूर्ण विश्व भारतीय संस्कृति को आत्मसात कर रहा है।<br />जब सन 2000 में हिंदी का पहला वेबपोर्टल अस्तित्त्व में आया तभी से इंटरनेट पर हिंदी ने अपनी छाप छोड़नी प्रारंभ कर दी जो अब रफ्तार पकड़ चुकी है। नई पीढ़ी के साथ-साथ पुरानी पीढ़ी ने भी इसकी उपयोगिता समझ ली है। मुक्तिबोध, त्रिलोचन जैसे हिंदी के महत्त्वपूर्ण कवि प्रकाशकों द्वारा उपेक्षित रहे। इंटरनेट ने हिंदी को प्रकाशकों के चंगुल से मुक्त कराने का भी भरकस प्रयास किया है। इंटरनेट पर हिंदी का सफर रोमन लिपि से प्रारंभ होता है और फॉन्ट जैसी समस्याओं से जूझते हुए धीरे-धीरे यह देवनागरी लिपि तक पहुंच जाता है। यूनीकोड, मंगल जैसे यूनीवर्सल फॉन्टों ने देवनागरी लिपि को कंप्यूटर पर नया जीवन प्रदान किया है। आज इंटरनेट पर हिंदी साहित्य से संबंधित लगभग सत्तर ई-पत्रिकाएं देवनागरी लिपि में उपलब्ध है। <br />हिंदी आज इन्टरनेट पर छा गई है। बुजर्गो से लेकर युवा पीढ़ी भी अब इन्टरनेट पर हिंदी भाषा का प्रयोग करती है।सूरज मीडियाhttps://www.blogger.com/profile/07341978098410767758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2419884849297657734.post-84151245514949103252016-10-12T22:31:14.761+05:302016-10-12T22:31:14.761+05:30१२७ करोड़ की जनसंख्या जिसमे ७०% लोगो की भाषा हिंदी ...१२७ करोड़ की जनसंख्या जिसमे ७०% लोगो की भाषा हिंदी है, वर्तमान स्थिति की बात करे तो अब विकसित देशों ने भी हिंदी को लेकर उत्साह दिखाया है कारण यह है कि किसी भी बहुराष्ट्रीय कंपनी या देश को अपना उत्पाद बेचने के लिए आम आदमी तक पहुंचना होगा और इसके लिए जनभाषा ही सबसे सशक्त माध्यम है...यही कारण है की हिंदी को लेकर इंटरनेट पर कंटेट की वृद्धि की दर बहुत तेज़ी से बढ़ रही है....इसके अलावा उन तमाम हिंदी प्रेमियों का योगदान भी सराहनीय जो इंटरनेट पर हिंदी के विस्तार पर बल दे रहें है. chakkarghinnihttps://www.blogger.com/profile/04250474432016006218noreply@blogger.com