साल २०१० जा रहा है लेकिन मीडिया के लिए ये वर्ष कई मायनों में अनोखा रहा कई मुद्दों पर मीडिया को अपनी पीठ थपथपाने का मौका भी मिला तो कुछ मौकों पर उसकी विश्वसनीयता पर संकट भी उठता दिखा एक तरफ राष्ट्र मंडल खेल , आदर्श सोसायटी भूआवंटन घोटालों को सबकी नज़र में लाने का श्रेय उसे मिला वहीं साल के अंत में २ जी स्पेक्ट्रम घोटाले में नीरा राडिया के साथ लोब्ब्यिंग के खेल में कई दिग्गज मीडिया हस्तियों के सामने आने के बाद मीडिया को भी शर्मसार होना पड़ा लेकिन तथ्य यह भी है कि मीडिया से जुड़े कई लोगों के नाम होने के बावजूद इतने बड़े घोटाले को बेनकाब करने का श्रेय भी मीडिया को ही जाता है इस व्यवसाय में बढ़ती प्रर्तिस्पर्धा का उजला पक्ष यही रहा कि खबर दबाई नहीं जा सकती .अयोध्या विवाद में समाचार पत्रों और चैनलों ने जिस जिम्मेदारी का परिचय दिया वो ये बताता है कि हमारा मीडिया धीरे धीरे ही सही पर परिपक्व हो रहा है .मीडिया एक विषय के रूप में लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बिंदु बना और हर समस्या में मीडिया की भूमिका को भी देखा जाने लग गया शायद यही कारण रहा कि पहली बार भारतीय सिनेमा में मीडियाको केंद्र में रखते हुए फिल्मों का निर्माण पहली बार हुआ
की को केंद्र बिंदु रखते हुए फ़िल्में बनीं ,रण जहाँ मीडिया के परदे के पीछे की हलचलों और मीडिया के पूंजी उन्मुखी होते रुख की बात करती है वहीं पीपली लाइव किसान और पत्रकार दोनों के दर्द को सामने लाती है विज्ञापनों की बात करें तो वर्ष २०१० को इंडियन रेलवे और आईडिया जैसे नवाचारी विज्ञापनों के लिए याद किया जाएगा .भारतीय रेल का विज्ञापन जिसमे कई लोग एक कड़ी के रूप में जुड़ते है काफी प्रभावशाली रहा देश का मेल इंडियन रेल जैसी टैग लाइन के साथ इंडियन रेलवे के नेटवर्क को बखूबी दिखाया गया कैडबरी का शुभ् आरम्भ भी लोगों द्वारा खूब पसंद किया गया .एक नयी प्रवर्ति जो तेजी से उभर कर सामने आयी है वो मीडिया पर नज़र रखने वाले वेब पोर्टल का सामने आना इनके कामों को फेसबुक और ट्विट र जैसी सोसल नेट वर्किंग साईट की सहायता से और तेजी मिली यानी दुनिया भर के ऊपर नज़र रखने वाले लोगों के ऊपर भी एक नए मीडिया का उदय हुआ .मीडिया पर सेंसर शिप के लिए उठती आवाजों के बाद आखिर मीडिया के ही कुछ लोगों ने आगे आकर इसके नीति निर्देशक सिद्धांत निर्धारित किये .वहीं इंटर नेट और ब्लोग्स ने मुख्या धारा की मीडिया पर लगातार कोड बरसाने का काम किए .संतोषजनक बात यह रही कि इस कोड़े की फटकार का प्रतिकार न करके सुधार के प्रयास किये गए .
संचार माध्यमों में आयी क्रांति से इंटर नेट मीडिया की आवक तेज हुई .इस वर्ष के बड़े खुलासों में इस ऑनलाइन मीडिया की बड़ी भूमिका रही .वैश्विक स्तर पर विकिलिक्स के खुलासों ने तो बवंडर ही मचा डाला .विकिलीक्स के खुलासों ने दुनिया के दादा अमेरिका को बहुत शर्मसार किया .विकिलीक्स के इस पर्दाफास से एक नया परिद्रश्य भी उभरा और वेब मीडिया की अपनी पहचान भी बननी शरू हुई .ऐसा पहली बार हुआ जब किसी वेब साईट की खबर को अखबारों ने प्रमुखता से छापा और इलेक्टोनिक मीडिया ने भी उसे खूब तवज्जो दी.
भारतीय मीडिया से सीधे तौर पर कोई ताल्लुक न रखने वाली नीरा राडिया मीडिया के बदनुमा चेहरे के रूप में सामने आयी और मीडिया के कई स्वनामधन्य स्तंभों की नींव हिला दी.इस बवंडर में यू पी ए गठबंधन सरकार में मंत्री रहे ए राजा को अपनी कुर्सी छोडनी पडी .बिहार विधान सभा चुनावों में पैड न्यूज़ को लेकर इस बार भी हो हल्ला मचा पर समाचार पत्रों ने अपनी विश्वसनीयता बरक़रार रखने के लिए बाकायदा अपने समाचार पत्रों में विज्ञापन छाप कर पेड न्यूज़ से परहेज़ करने की घोषणा की .
ऑन लाइन मीडिया पर लोगों के बढते रुझान के कारण कई समाचार पत्रों ने अपने ऑन लाइन संस्करण लांच किये ब्लोगिंग ने भारतीय मीडिया के क्षेत्र में जो बड़ा परिवर्तन किया उसने सिटिज़न जर्नलिस्म की अवधारणा को बहुत तेजी से आगे बढ़ाया इसमें एक बड़ा हाथ तेजी से सस्ते होते मल्टी मीडिया मोबाईल का भी है जिसकी सहायता से कोई भी स्टिंग कर सकता है .अगर आप कुछ कहना चाह रहे तो दुनिया में बहुत से लोग आपकी बात सुनने को तैयार हैं इसका एहसास इस साल लोगों को शिद्दत से हुआ .फिल्मों के मामले में छोटे बजट की और लीक से हटकर बेहतर फिल्मों में लव सेक्स और धोखा इश्किया वेलडन अब्बा तेरे बिन लादेन फंस गया रे ओबामा आशाएं ने अपनी पहचान स्थापित की वहीं काएट्स गुज़ारिश और रावण जैसी फिल्मों को बड़े नामों के बावजूद नकार दिया गया .साल के चर्चित गानों में मंहगाई डायन मुन्नी बदनाम शीला की जवानी और धन्नों जैसे
गाने लोगों की जबान पर चढ़े .रिअलिटी टीवी पर बिग बॉस और कौन बनेगा करोड पति का जलवा रहा ,रहा करोड पति में अमिताभ ने अपना पुराना जादू चलाया बिग बॉस पर अश्लीलता फ़ैलाने के आरोप भी लगे .कलर्स चैनल ने एक अभिनव प्रयोग करते हुए समाज की हर कुरीतियों को अपने सीरिअल का विषय बनाया .बालिका वधु से शुरू हुआ ये सफर प्रथा तक जारी रहा. साल का तो अंत हो रहा है पर भारतीय मीडिया में एक नए युग का सूत्र पात हो रहा है सूचना प्रौधिगिकी के बढते कदम से आज का मीडिया ज्यादा इंटर एक्टिव हुआ आने वाले साल में ३जी तकनीक से मीडिया का चेहरा और भी बदल जाने की उम्मीद है
डॉ. मुकुल श्रीवास्तव
उम्दा बात,बहुत बधाई.
ReplyDeleteमनोज भाई आभार
ReplyDeleteबहुत बढ़िया और स्पष्ट लेख...बेहतरीन
ReplyDeletesir hamesha ki tarah aapke is article me bhi ek naye nazariye se kai cheezo ko bataya gaya h.
ReplyDeletenaye saal me aapke ek meethe aarticle ka intzaar rahega....
SHUBH AARAMBH sir
(not from DAIRY MILK, FROM ASHUTOSH TRIPURARI SINGH)
@अंकुर और आशुतोष आपका शुक्रिया
ReplyDeletewah guru ji..pure hindustaan ki khani hindustan k ek page me.....
ReplyDeletesir ji aapke is lekh se koi bahar ka aadmi bhi india 2010 ke media ka poora samachar jan sakta hai........
ReplyDeletesampoorna......
scams, obama, wikileaks and yana made 2010 spicy..
ReplyDeletehar saal kuchna kuch naya lekar hi aata ha . aur aapne is article me har cheej naye najariye se pes ki hai. har inshan ko desh me kya ho raha hai janane ka adhikar ha mammle koi bhi ho.2G jaise Ghotale , vikkyliks jaise khulase,cash for voting jaise mamle in sabse hume media hi roobaroo karati hai. aur soch badalene me help karti hai.
ReplyDeleteSach kaha sirji 2010 sach mein badlaavo se bhara saal tha
ReplyDelete2010 k sari khabre apke ek lekh me
ReplyDeletegreat. Hope something better will happen in the year 2012.
ReplyDeletelajwab sir jindgi jabtak rahegi fursat na hogi kaam se kuch samay aisa nikalo ki prem kar lo aap ke lekh se.
ReplyDelete