Sunday, April 14, 2013

तुम्हारे जाने के बाद


तुम्हारे जाने के बाद
कुछ भी तो नहीं बदला
बस बदला है तो जीवन
अब रोज दाढी बनाने का झंझट नहीं
और सजना सवाँरना समय की बर्बादी
रेडियो मुंह चिढाता
अब वो छोटे मोबाईल संदेशे
नहीं आते
जिन्हें पढकर बस
यूँ ही मुस्कुरा दिया
करता था मैं
वो  शीशा जो खुरच गया था
उस दिन
अब टूट चुका है
जीवन तो चल रहा है
पर वो जोश कहाँ है
जो कभी तुमने दिया था
हाँ यही तो कहा था तुमने
आओ थोड़े दिन जी के देखा जाए
मैं भी बस बह गया था उस हौसले में
पर उधार के हौसलों से जीवन नहीं चलता
तुमने कहा था मेरे पास सब कुछ है
हाँ है तो फिर तुम्हारी जरुरत क्यों थी
कभी सोचा तुमने
पर मैं तो अब भी सोच रहा हूँ
सवाल बदले या जवाब
इस बदलती दुनिया में सब कुछ
इतना जल्दी क्यों बदल जाता है
जाड़े की वो  उस सुहानी शाम
जहाँ तुम छोड़ गए थे मुझे
वहीं रुका हूँ थमा हूँ
तुम्हारे जाने के बाद
कुछ भी तो नहीं बदला

(पुरानी डायरी के पन्नों से )


2 comments:

  1. ashutosh tripurari singhMay 8, 2013 at 10:03 PM

    really real sir g!!

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  2. yaade jo jati nahi... bhauth khoob likha h sir....

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