Tuesday, December 13, 2022

इंटरनेट की खतरनाक लत

 एक लड़की थी दीवानी सी जहाँ जाती खुशियाँ बिखेरती नाम था परी दिन भर पढ़ाई करती चिल करती और जरुरत के वक्त इंटरनेट खोलती फिर एक दिन उसे जी नहीं उसे प्यार बिलकुल भी  नहीं हुआ बल्कि उसके एक करीबी दोस्त ने एक नेट इनेबल्ड एंड्रायड फोन भेंट किया फिर क्या उसकी कल्पनाओं को पंख लग गए नए नए एप्स डाउनलोड करना अपने दोस्तों से खूब चैट करना वीडियो शेयर करना शुरू कर दिया जो इंटरनेट उसकी तरक्की के रास्ते खोल रहा था वो उसके जी का जंजाल बन गया एक दोस्त से बात करो तो दूसरा नाराज चैट पर दिन भर ऑन दिखने से उसके दोस्तों में गलतफहमियां पनपने लग गयीं कि वो दिन भर किसी से चैट करती है फिर क्या उसका आधा दिन उन गल्फह्मियों को दूर करने में और आधा दिन उन  दोस्तों से चैट करने में बीत जाता जो उसके चैट न कर पाने से दुखी थे .

उसे पता ही नहीं पड़ा कि कैसे उसका ये शौक कब लत बन गया.हर दो मिनट में अपना मोबाईल चेक करती कि कहीं कोई मेसेज तो नहीं आया नतीजा उसके करीबी दोस्त उससे दूर हो गए वो बस जितने एप्स हो सकते हैं उन्हें अपने मोबाईल में भर लेना चाहती थी जिससे वो सबसे जुडी रहे  नतीजा एक पढ़ने लिखने वाली लड़की जो अपनी छोटी सी दुनिया में अपने चुनिन्दा दोस्तों के साथ खुश रहा करती थी इंटरनेट के एडिक्शन से कई तरह के दबाव से टूट कर रूखे स्वभाव की हो गयी बात बात में नाराज होने लगी पढ़ना लिखना छूट गया वो कई तरह की मनोवैज्ञानिक समस्याओं की शिकार रहने लग गयी. रात में अजीब अजीब सपने देखती नींद आँखों से दूर हो गयी जिससे दिन में भी वो उनींदी सी रहती .उसके कई  करीबी दोस्त उससे दूर हो गए.ये महज कहानी नहीं बल्कि आज के यूथ के लाईफ की कडुवी रीयल्टी है.नेट के एडिक्शन के चक्कर में रीयल वर्ल्ड से नाता तोड़कर वर्चुअल वर्ल्ड में जीने वाले आज परी जैसे  लोग हमारे आस पास न जाने कितने मिल जायेंगे.टेक्नोलॉजी वक्त की जरुरत है पर इस जरुरत को हमें अपनी नीड के हिसाब से देखना होगा.हर उम्र और वक्त के हिसाब से टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.पढ़ने लिखने की उम्र में हर वक्त ऐसा कोई संदेसा हर वक्त नहीं आएगा जिसको अगर आप मिस कर गए तो आसमान फट पड़ेगा.फोन पर इंटरनेट के आ जाने से समस्या ज्यादा गंभीर हो गयी है आप लोगों से कनेक्टेड रहें पर हर इंटरनेट के इस्तेमाल में एक डिसीप्लीन रहना बहुत जरूरी है नहीं तो ये शौक कब आपको धीरे धीरे खत्म करने लग जाएगा पता भी नहीं पड़ेगा इसलिए अपने काम के हिसाब से नेट के इस्तेमाल का वक्त तय कीजिये दोस्तों के साथ फन करने का एक निश्चित समय रखिये उसके बाद यदि कोई मेसेज आता है जिसमे हेलो,नमस्ते, क्या हो रहा है जैसे शब्द हों तो  इस बात की परवाह किये बगैर कि सामने वाला क्या सोचेगा जवाब मत दीजिए.आप एक बार इसको अपनी आदत बनायेंगे तो धीरे धीरे ऐसे लोग जो दिन भर ऐसे लोगों की तलाश में रहते हैं जो उनके खालीवाक्त के साथी बनें आपको संदेसा भेजना कम कर देंगे. बीच बीच में अपने मोबाईल को ऑफ करना सीखिए अपनी सोशल नेटवर्किंग साईट्स को आराम दीजिए जरूरी नहीं कि रोज कुछ न कुछ अपडेट करें थोडा वक्त अपने लिए निकालिए और देखिये दुनिया कितनी खूबसूरत है आपके कितने ऐसे दोस्त हैं जो आपके वर्चयुल साथ के लिए नहीं बल्कि रीयल साथ के लिए तरसते हैं कुछ एस्माय्ली भेज देने से भावनाओं का इजहार नहीं हो जाता इसके लिए किसी रिश्ते को जीना पड़ता है.टेक्नोलोजी को अपने ऊपर हावी मत होने दीजिए अपनी जरुरत और तकनीक में संतुलन बनाइये तभी आप जिंदगी का सच्चा लुत्फ़ उठा पायेंगे.मैं तो आज अपना स्मार्ट  फोन ऑफ कर अपनी दोस्त से मिलने जा रहा हूँ जो नेट के एडिक्शन से उबरने की कोशिश कर रही है .आप क्या करेंगे जरुर बताइयेगा|

प्रभात खबर में 13/12/2022 को प्रकाशित 

Tuesday, December 6, 2022

समाज को कहाँ ले जायेगी सोशल मीडिया रील्स

सोशल  मीडिया साईट्स ने हमारे हमारे जीवन को एक इवेंट में तब्दील करके एक आम इंसान को सेलीब्रेटी होने का एहसास करवाया |जहाँ उसे अपने दैनिक जीवन में होने वाले घटनाक्रम को लोगों के साथ साझा करके अपने ख़ास होने का एहसास हुआ|जहाँ जन्मदिन से लेकर शादी तक सब कुछ भव्य तरीके से साझा किया जा रहा था ,लेकिन फिर भी कुछ कमी थी |हम सेलीब्रेटी जैसा महसूस तो कर रहे थे पर हम सेलेब्रेटी थे नहीं |इस कमी को पूरा किया रील ने जिसकी शुरुआत टिक टाक से हुई पर उसके बैन होने  के बाद उसकी जगह इन्स्टा ग्राम रील ,यू ट्यूब शॉर्ट्स और फेसबुक रील जैसे कई एप्स  ने ले ली| शार्ट वीडियो एप्स की जिस कहानी की शुरुआत टिक टोक से शुरू हुई थी जून 2020 में उसके बैन होने के बाद एक लंबा रास्ता तय कर चुकी है |एम् एक्स शोर्ट विडियो, मौज ,जोश ,चिंगारी,मित्रों जैसे एप भी इस दुनिया में तहलका मचाये हुए हैं | युवाओं और किशोरों में शोर्ट वीडियो बनाने की सुविधा देने वाली वेबसाईट एप्स की  बढ़ती लोकप्रियता का बड़ा कारण बढ़ती फेक न्यूज की आमद और चारित्रिक हनन की कोशिशों के बीच लोकप्रिय सोशल नेटवर्किंग साईट्स ट्विटर और फेसबुक पर उपभोक्ताओं का अनुभव अब उतना सुहाना नहीं रहा| जितना आज से कुछ साल पहले रहा करता था |ऐसे में वो उपभोक्ता जो समाचार और राजनीति से इतर कारणों से सोशल मीडिया पर थे एक विकल्प की तलाश में थे जिसकी भरपाई  रील्स   ने बखूबी कर दी |आज हर कोई रील बना रहा है |स्कूल जाते बच्चों से लेकर बड़े फिल्म स्टार्स तक |अब अपनी कहानी खुद सुनाने का दौर है |

 दुनिया के दूसरे सबसे बड़े और सबसे तेजी से बढ़ते इंटरनेट यूजरबेस को होस्ट करने वाले देश में  जहाँ हर कोई कैमरे के सामने सेलेब्रेटी बनना चाहता है, जहाँ फ़िल्में उनके सम्वाद और गाने  हमारे जीवन में इस हद तक घुसे हुए हैं कि कि उसके बगैर जीवन की कल्पना करना मुश्किल  है, वहां रील्स की सफलता आश्चर्यजनक नहीं है |

2016 में रिलायंस जिओ के लांच के बाद सस्ते डाटा के युद्ध ने इसको भारत में पाँव पसारने का बेहतरीन मौका  दिया | कोई भी जिसके पास एक स्मार्ट फोन इंटरनेट कनेक्शन के साथ है अपना नाचता गाता वीडियो अपनी भाषा में  बना सकता  है|जिसमें तस्वीरें शब्द और सुंदर वीडियो इफेक्ट भी आसानी से पिरोये जा सकते हैं|

रेड्शीर कंसल्टिंग फर्म की रिपोर्ट एंटरटेनमेंट एंड एडवरटाइजिंग राइडिंग द डिजीटल वेव के अनुसार वीडियो के ये लघु संस्करण फेसबुक और गूगल के बाद दूसरा सबसे बड़ा सेगमेंट है जहाँ लोग सबसे ज्यादा समय बिता रहे हैं |

शोर्ट वीडियो बनाने की सुविधा देने वाली वेबसाईट एप्स के यूजर्स की संख्या साल 2025 तक 650 मिलीयन हो जायेगी |इसी रिपोर्ट के अनुसार शार्ट वीडियो एप्स आने वाले वक्त में ओ टी टी वीडियो कंटेंट को भी पछाड़ देगा |

डिजीटल विज्ञापनों की दुनिया में वीडियो के ये लघु संस्करण तेजी से अपने एजगाह बना आरहे हैं |साल 2019  से 2022 के बीच यह सेगमेंट 44  प्रतिशत की रफ़्तार  से बढ़ा |इसका कारण टियर टू शहरों में इंटरनेट का फैलाव है जिसने एक नयी मार्केट पैदा की है जहाँ ब्रांड उपभोक्ता तक सीधे पहुँच बना रहे हैं |हालाँकि मुद्रीकरण के लिहाज से भारत अभी बहुत शैशवावस्था में है लेकिन माना जा रहा  है कि डिजीटल विज्ञापन राजस्व का यह ढांचा आने वाले वर्षों में बहुत तेजी से बदलेगा |ब्रांड और एन्फ्लयून्सेर्स रील के माध्यम से अपने उत्पाद  को लोकप्रिय बना रहे हैं|जाहिर सी बात है इन रील्स को बनाने में किसी बड़े प्रोडक्सन हाउस की मदद नहीं ली जा रही है |इसका बड़ा कारण रील बनाने के प्लेटफोर्म का आसान इंटरफेस होना|जिसके लिए किसी को तकनीक के महारथ होने की जरुँरत नहीं है |

लेकिन कुछ सवाल ऐसे भी हैं जिनके जवाब अभी खोजे जाने हैं उसमें पहला मुद्दा निजता का है |टियर टू शहरों  से आने वाले रील वीडियो ज्यादातर लोगों के निजी परिवेश को ही  दिखा रहे हैं |वो कहाँ रहते हैं क्या करते हैं उनके परिवार के सदस्य कौन -कौन हैं |काफी कुछ इनमें दिख जा रहा है |दूसरा मुद्दा है अश्लीलता का अपने रील्स प्लेटफोर्म को लोकप्रिय बनाने के लिए लोग सॉफ्ट पोर्न और अश्लील चुटकुलों का सहारा ले रहे हैं |दूसरों के कंटेट को एडिट कर के अपना बना लेने की कोशिश यहाँ भी खूब  हो रही है |

अपनी रील में इंटरनेट पर पहले से मौजूद किसी मजाकिया क्लिप का इस्तेमाल करना नैतिकता द्रष्टि से उचित नहीं माना जा सकता है |कोई व्यक्ति रोड क्रोस करते वक्त मेन होल में गिर जाता है और उसका फन्नी  वीडियो  किसी शार्ट वीडियो एप की मदद से इंटरनेट पर वायरल हो जाता है और फिर अनंतकाल तक के लिए सुरक्षित भी हो जाता है |क्या वह वीडियो उस व्यक्ति से अनुमति लेकर किसी एप पर डाला गया |जिसको देख कर हम कहकहे लगा रहे हैं |इंटरनेट के फैलाव ने बहुत सी निहायत निजी चीजों को सार्वजनिक कर दिया है|ये सामाजिक द्रष्टि से निजी चीजें जब हमारे चारों ओर बिखरी हों तो हम उन असामान्य परिस्थिति में घटी घटनाओं को भी सार्वजनिक जीवन का हिस्सा मान लेते हैं जिससे एक परपीड़क समाज का जन्म होता है और शायद यही कारण है कि अब कोई दुर्घटना होने पर लोग मदद करने की बजाय वीडियो बनाने में लग जाते है कि न जाने उस वीडियो का कौन सा हिस्सा क्लिप बन कर हमारे आस -पास घूमने लगे | अंत में सबसे बड़ा मुद्दा रील देखने में समय की बरबादी का है जिसमें दर्शक कोल्हू के बैल की तरह चलता तो बहुत है पर पहुंचता कहीं नहीं है |इंटरनेट की दुनिया में बिखरी हुई रील्स में फूहड़ चुटकुले ,दूसरों को तंग करने वाले मजाक का ज्यादा बोलबाला है |आने वाले वक्त में जैसे जैसे इन रील्स के दर्शक समझदार होते जायेंगे इन पर आने वाला कंटेंट भी बेहतर होगा |ऐसी उम्मीद की जा सकती है |

नवभारत टाईम्स में 06/12/2022 को प्रकाशित 

पसंद आया हो तो