Monday, October 15, 2018

महिलाओं को मिले बराबरी का दर्जा

पुरूषों ने महिलाओं को दोयम दर्जे का स्‍थान दिया है। यही कारण है कि पुरूष प्रधान समाज में महिलाओं के प्रति अपराधकम महत्‍व देने तथा उनका शोषण करने की भावना बलवती रही है। पुरुष प्रधान भारतीय समाज में महिलाओं को दिवीतीय दलित की संज्ञा दी जा सकती है जो सामाजिक ,आर्थिक और राजनैतिक दृष्टि से शोषित की भूमिका में हैं |हिंसा कैसी भी हो वह महिलाओं के मनोविज्ञान को प्रभावित करती है | भारत सरकार ने महिला सुरक्षा में एक नया अध्याय जोड़ते हुए एक सकारात्मक पहल की है |  देश के सभी यौन अपराधियों का डाटा बेस बनाने का निश्चय किया |यह डाटा बेस सिर्फ कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ को ही उपलब्ध रहेगा ,फिलहाल इनमें उन चार लाख चालीस हजार  अपराधियों के नाम पंजीकृत हो चुके हैं जो बलात्कार ,सामूहिक बलात्कार , बाल यौन अपराध और यौन उत्पीड़न के दोषी सिद्ध  हो चुके हैं |गृह मंत्रालय द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार डाटा बेस इन अपराधियों के फोटो ,पते ,उँगलियों के निशान उपलब्ध कराता है वह भी किसी भी व्यक्ति के निजता को हनन किये बिना | यौन अपराधियों का यह राष्ट्रीय डेटाबेस यौन अपराधों के मामलों को प्रभावी ढंग से ट्रैक करने और उनकी जांच  में सहायता करेगा |देश महिलाओं के साथ होने वाले विभिन्न यौन अपराधों के कारण देश विदेश में काफी बदनामी झेल रहा है यह राष्ट्रीय डेटाबेस इन अपराधों की रोकथाम के लिए एक कारगर कदम के रूप में देखा जा रहा है |इस रजिस्टर में अपराधी केवल तभी जोड़े  जाएंगे जब हमले की सूचना दी जाती है और बाद में ऐसे मामलों में सजा भी सुनाई जाए । वैश्विक स्तर पर,यौन अपराध को रिपोर्ट करने की दरों में काफी अंतर है जैसे ब्रिटेन में लगभग पांच में से एक अपराध रिपोर्ट किया जाता है वहीं  भारत में पचास  में से एक अपराध |
 
अक्टूबर की शुरुआत में, गंगा नदी  में स्नान करने वाली एक महिला के साथ कथित रूप से बलात्कार करने के लिए दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था |उल्लेखनीय है कि सोशल मीडिया पर एक वीडियो के वाईरल होने के  परिणामस्वरूप उनकी गिरफ्तारी हुई- महिला ने कथित यौन  हमले की रिपोर्ट नहीं की थी ।यह एक बानगी भर है देश में ऐसे हजारों मामले गरीबी ,जागरूकता के अभाव ,सामाजिक बहिष्कार के डर से रिपोर्ट नहीं किये जाते | राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय नई दिल्ली की शिक्षक  सदस्य  मृणाल सेन द्वारा न्यायालय द्वारा प्राप्त आंकड़ों के आधार पर यह निष्कर्ष निकला कि साल 1983 से साल 2009 के बीच देश भर में हुए 75 फ़ीसदी बलात्कार के मामले गाँवों में हुए| शहरों में सिर्फ अपने तक सिमटे रहने के उलट ग्रामीणों आपस में मिलजुल कर रहने की प्रवृत्ति के कारण बलात्कार और ऑनर किलिंग जैसी घटनाओं की भनक मीडिया या पुलिस को नहीं लगने पाती, क्योंकि यहाँ “खामोशी की खाप” अपना काम करती है जिससे बलात्कार के मामले दबा दिए जाते हैं|लोग  इसे गाँव की इज्ज़त   से जोड़कर देखते हैं| गाँव की सामाजिक आर्थिक बनावट शहरो से अलग हैबलात्कार की  ज़्यादातर शिकार गरीब और पिछड़ी जाति की महिलाएं होती हैं| जिनके लिए ज़िन्दगी की पहली प्राथमिकता दो वक़्त की रोटी है| अगर वे किसी ऐसी ज्यादती का विरोध करती भी हैं तो उनके लिए इसके भी रास्ते बंद हो जाते हैं| मध्यमवर्गीय परिवारों में बदनामी का डर दिखाकर बात को छुपा लिया जाता है|
 
बलात्कार एक सामजिक समस्या है और इसका सीधा सम्बन्ध किसी समाज में महिलाओं की स्थिति से होता है |भारतीय परिस्थितयों में   महिलायें रीयल वर्ल्ड से लेकर वर्च्युअल वर्ल्ड तक हर जगह पीड़ित है | महिलाओं के मुकाबले पुरुष भारत में किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफोर्म पर ज्यादा सुरक्षित है वो कुछ भी लिख सकता है कैसी भी तस्वीरें डाल सकता है पर अगर महिलाएं फेसबुक पर पुरुषों जितनी बिंदास हो जाएँ तो उन्हें तुरंत चरित्र प्रमाण पत्र मिलने लग जाते हैं इसलिए कम ही महिलाएं फेसबुक पर ज्यादा मुखर रह पाती हैं और सामान्य महिलायें निजता के हवाले से या तो इससे दूर रहना पसंद करती हैं या फेसबुक का बहुत नियंत्रित उपयोग करती हैं |किसी सामान्य पुरुष के मुकाबले महिलायें ज्यादा खतरे में रहती हैं |मोर्फिंग के डर से अकेले की तस्वीरें कम डालना ,क्या लिखें क्या न लिखें इस संशय में रहना , लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे अगर मैंने यह तस्वीर लगा दी, अगर मेरा अकाउंट हैक हो गया तो ऐसी पीडायें हैं जिनसे एक पुरुष का सामना कभी नहीं होता है |समाचार पत्रों में अक्सर ऐसी घटनाओं का ब्यौरा रहता है जब किसी न किसी महिला को इन सबसे गुजरना पड़ता है कुछ तो सामाजिक तिरस्कार के डर से आत्महत्या तक कर लेती हैं | भारत में किसी भी महिला को पुरुषों के मुकाबले ज्यादा अजनबियों के मित्रता निवेदन मिलते हैं |समाज वैसे भी महिलाओं की यौनिकता को नियत्रण में रखना चाहता है इसलिए महिलाओं के मिलने जुलने ,हंसने ,उठने बैठने तक सभी स्तरों पर उनके लिए एक आदर्श मानक बनाये गए हैं जिससे अच्छी महिला और बुरी महिला का प्रमाण पत्र दिया जा सके और ये मानक फेसबुक जैसे सोशल प्लेटफोर्म पर भी लागू रहते हैं |इसका दूसरा सम्बन्ध वित्तीय आत्मनिर्भरता से भी जुड़ा है |देश की महिला किसी भी पुरुष से ज्यादा शारीरिक श्रम करती है पर फिर भी पीड़ित है |
 
 
ऑर्गनाइज़ेशन फोर इकॉनॉमिक कोऑपरेशन ऐंड डेवलेपमेंट’ (आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन) द्वारा 2011 में किए एक सर्वे में छब्बीस सदस्य देशों और भारतचीन और दक्षिण अफ्रीका जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के अध्ययन से यह पता चलता है कि  कि भारत ,तुर्की और मैक्सिको की महिलाएं पुरुषों के मुकाबले पांच घंटे ज्यादा अवैतनिक श्रम  करती हैं| भारत में अवैतनिक श्रम कार्य के संदर्भ में बड़े  तौर पर लिंग विभेद हैजहां पुरुष प्रत्येक दिन घरेलू कार्यों के लिए एक घंटे से भी कम समय देते हैं| रिपोर्ट के अनुसार  भारतीय पुरुष टेलीविज़न देखनेआराम करनेखानेऔर सोने में ज्यादा  वक्त बिताते हैं| सीवन एंडरसन और देवराज रे नामक दो अर्थशास्त्रियों ने  अपने  शोधपत्र मिसिंग वूमेन एज एंड डिजीज में आंकलन किया  है कि भारत में हर साल बीस लाख से ज्यादा महिलाएं लापता हो जाती हैं|इस  मामले में भारत के दो राज्य हरियाणा और राजस्थान अव्वल हैं|शोधपत्र के अनुसार ज्यादतर  महिलाओं की मौत जख्मों से होती है जिससे ये पता चलता है कि उनके साथ हिंसा होती है| साल 2011 के पुलिस आंकड़े  बताते हैं कि देश में लड़कियों के अपहरण के मामले 19|4 प्रतिशत बढ़े हैं|दहेज मामलों में महिलाओं की मौत में 2|7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई  है| सबसे ज़्यादा चिंताजनक तथ्य  यह है कि लड़कियों की तस्करी के मामले 122 प्रतिशत बढ़े हैं|देश में महिलाओं से जुड़े यौन  अपराधों से निपटने के लिए एक लम्बा रास्ता तय करना  बाकी है और इसका समाधान कानून बना कर नहीं बल्कि सामजिक संरचना में महिलाओं को ज्यादा अधिकार देकर ही होंगे |
दैनिक जागरण के राष्ट्रीय संस्करण में 15/10/18 को प्रकाशित 
 

2 comments:

Hamlet said...

महिलाओ को बराबरी का अधिकार तभी मिलना सुनिश्चित हो पायेगा जब महिलाओ की भागीदारी शासन प्रशासन में होने के साथ साथ ही अन्य क्षेत्रो में भी पुरुषों के बराबर हो,जिससे उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी और वे अपने हक के लिए सदैव आवाज उठाती रहेंगी।
इससे उनके साथ हो रहे तमाम तरह के भेदभाव जरूर समाप्त होंगे।

HARSHVARDHAN said...

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व 'विजयादशमी' - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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