Monday, May 27, 2019

सोशल मीडिया बना एक अहम् किरदार


लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे आ चुके हैं और एक बार फिर भाजपा सरकार नरेन्द्र मोदी के नेतृतव में देश की बागडोर सम्हालने जा रही है |इसी के साथ दो महीने से चल रहा ये लोकतंत्र का त्यौहार अपनी चरम परिणिति को प्राप्त हुआ पर ये लोकसभा चुनाव कई मायने में अनूठा रहा |वैसे तो देश में इंटरनेट और तकनीक का जादू पहले से ही सर चढ़कर बोल रहा था पर इस बार देश के चुनावों में उसकी अहम भूमिका सामने आई जिसकी शुरुआत  2014 के लोकसभा चुनाव वक्त हो गयी थी | जब पहली बार प्रचार के लिए सोशल नेटवर्किंग साईट्स का इस्तेमाल किया गया और चुनाव में “नेटीजन“ ने अहम् भूमिका निभायी |राजनैतिक पार्टियों ने अपने मतदाताओं को लुभाने के लिए फेसबुक पर वादे करने के साथ-साथ व्हाट्सएप का भी सहारा लेना शुरू किया था |देश के हर गांव में बिजलीसड़कअस्पताल या स्कूल जैसी मूलभूत सुविधाएं भले ही न  हो पर इंटरनेट और  स्मार्टफोन जरूर पहुंच गया है| व्हाट्सऐप लगभग हर फोन में मौजूद  है|इस बार 8.4 करोड़ नए मतदाता  जुड़े हैंजिनमें करीब 1.5 करोड़ 18-19 साल के युवा  हैं. सोशल मीडिया का सबसे ज्यादा इस्तेमाल युवा  ही कर रहे  हैं. इस बार चुनाव में सोशल मीडिया की भूमिका पिछले  चुनाव के  मुकाबले कहीं ज्यादा रही है .तथ्य यह भी है कि देश ने ई वी एम् का प्रयोग करके देश के लोकतंत्र को ई लोकतंत्र में पहले ही बदलना शुरू कर दिया था पहली बार नवम्बर 1998 में आयोजित 16 विधान सभाओं के साधारण निर्वाचनों में इस्तेमाल किया गया. इन 16 विधान सभा निर्वाचन-क्षेत्रों में से मध्य प्रदेश की 5राजस्थान की 5राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रदिल्ली की 6 सीट शामिल थीं. ईवीएम के इतिहास में साल 2004 क्रांतिकारी साल रहा है। देश भर के सभी मतदान केंद्रों पर 17.5 लाख ईवीएम का इस्तेमाल हुआ। उसके बाद से सारे चुनाव ईवीएम से होने लगे। आंकड़ों के मुताबिक भारत में औसतन हर नागरिक हफ्ते में 17 घंटे सोशल मीडिया पर बिताता है। आलम ये है कि सोशल मीडिया इस्तेमाल के मामले में भारतीयों ने चीन और अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है। भारत में कुल56 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ता  हैं। इनमें युवाओं की संख्या  सबसे ज्यादा है और उन युवाओं में ज्यादातर पहली बार वोट करने वाले नागरिक भी रहे हैं।इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए देश में राजनीतिक दलों ने इस साल फरवरी से अब तक फेसबुक और गूगल जैसे  डिजिटल मंचों और सोशल नेटवर्किंग साईट्स  पर प्रचार के मद में 53 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए. इसमें सत्तारूढ़ भाजपा की हिस्सेदारी सर्वाधिक रही |फेसबुक की विज्ञापन से जुड़ी रिपोर्ट के मुताबिकइस साल फरवरी की शुरुआत से 15 मई तक उसके प्लेटफॉर्म पर 1.21 लाख राजनीतिक विज्ञापनों का प्रसारण हुआ. इन विज्ञापनों पर राजनीतिक दलों ने 26.5 करोड़ रुपये खर्च किए गए |इसी तरह गूगलयूट्यूब और अन्य  कंपनियों पर 19 फरवरी से अब तक14,837 विज्ञापनों पर 27.36 करोड़ रुपये खर्च किए|भाजपा ने फेसबुक पर 2,500 से अधिक विज्ञापनों पर 4.23 करोड़ रुपये खर्च किए. ‘माय फर्स्ट वोट फॉर मोदी’, ‘भारत के मन की बात’ और ‘नेशन विद नमो’ जैसे पेजों के जरिये सोशल नेटवर्किंग साइट पर चार करोड़ से अधिक खर्च किए गए|गूगल के प्लेटफॉर्म पर भाजपा ने 17 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए. कांग्रेस ने फेसबुक पर 3,686 विज्ञापनों पर 1.46 करोड़ रुपये खर्च किएकांग्रेस ने गूगल पर 425 विज्ञापनों पर 2.71करोड़ रुपये खर्च किए|फेसबुक के आंकड़ों के मुताबिकतृणमूल कांग्रेस ने उसके प्लेटफॉर्म पर विज्ञापनों पर 29.28 लाख रुपये खर्च किए|आम आदमी पार्टी ने फेसबुक पर 176 विज्ञापन चलाए और इसके लिए उसने 13.62 लाख रुपये का भुगतान किया|
2019 में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कंटेंट को वायरल करने या ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए करीब 1,000 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है| इसमें राज्य सरकारों और केंद्र सरकार की ओर से सरकारी खर्च पर किया गया विज्ञापन पर खर्च शामिल नहीं है |सोशल मीडिया के बाजार में अभी भी फेसबुक के पास सबसे बड़ी हिस्सेदारी है. अस्सी प्रतिशत खर्च फेसबुकदस प्रतिशत  गूगल और बाकी दस प्रतिशत  में अन्य डिजीटल प्लेटफॉर्म शामिल होंगे. सभी राजनैतिक दलों  की ओर से चुनाव प्रचार पर कुल 5,000 करोड़ रुपए खर्च होने का अंदाजा  है| जिसमें डिजीटल   मीडिया पर करीब बीस प्रतिशत  खर्च होने जा रहा है |विज्ञापन के मामले में फेसबुक अन्य कंपनियों की तुलना में इसलिए काफी आगे है क्योंकि  2014 में इंटरनेट तक कुल 25 करोड़ लोगों की ही पहुंच थीजबकि इस समय इसके उपभोक्ताओं की संख्या  करीब 56 करोड़ है| गूगल की ऐड ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट के मुताबिक, (इस साल 19 फरवरी से) 11 अप्रैल तक पार्टी तीन निजी कंपनियों के जरिए करीब करोड़ रु. से ज्यादा खर्च कर चुकी है. वहींभाजपा 1.2 करोड़ रु. खर्च करके दूसरे स्थान पर है. फेसबुक पर खर्च करने के मामले में भाजपा पहले पायदान पर है जबकि दूसरे स्थान पर जगनमोहन रेड्डी की पार्टी वाइएसआर कांग्रेस है|तेजी से बदलते ई लोकतंत्र को लेकर कुछ चिंताएं भी उभरी हैं जिसमें सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल ,फेक न्यूजभड़काऊ सामग्री और चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश शामिल हैं |
राजनैतिक  दल अपने आधिकारिक एकाउंट और पेज को साफ-सुधरा रखते हैं पर समर्थकों के पेज को पैसा देकर प्रोपगैंडा और फेक न्यूज चलाते हैं|आधिकारिक पेज न होने के कारण न तो उन पर होने वाला खर्च किसी दल या प्रत्याशी के आधिकारिक खाते में जुड़ता है और न ही इनके ब्लॉक या बंद होने से उन पर कोई सवाल उठते  हैं|फेक न्यूज प्रोपगैंडा फैलाने के लिए कई  निजी कंपनियों की भी मदद ली जाती है जो बॉट और फेक अकाउंट के जरिए कंटेंट को वायरल करते हैं. इन  डिजीटल प्लेटफॉर्म ने अपनी तरफ से सोशल मीडिया को साफ़ सुथरा रखने के लिए  कई कदम उठायें है  पर ऐसा कोई ठोस तंत्र स्थापित नहीं हो सका है जो निश्चित कर सके कि सोशल मीडिया पर फेक कंटेट प्रसारित नहीं होगा और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं का डाटा  चुनाव परिणामों को प्रभावित करने के लिए इस्तेमाल नहीं होगा|
भारतीय राजनीति में सिर्फ चुनाव प्रचार के तरीके बदलते रहे हैं अखबार ,रेडिओ और टीवी के रास्ते शुरू हुआ यह सफर आज सोशल मीडिया तक पहुँच गया है |चेहरे बदले पार्टियाँ बदलीं पर राजनीति का चरित्र नहीं बदला |हर चुनाव के बाद मतदाता को अपने ठगे जाने का एहसास होता है और उसे  को बुरे और अधिक बुरे में चुनाव करना  पड़ता हैं और यही भारतीय लोकतंत्र की विडंबना  हैसोशल मीडिया पर किये जाने वाले वायदे क्या हकीकत का मुंह देखंगे | क्या लोकसभा  चुनाव इससे अलग  कुछ देश को दे पायेगा या हर बार की तरह पुरानी  कहानी फिर दोहराई जायेगी इसका इन्तजार देशवासियों को है |
दैनिक जागरण के राष्ट्रीय  संस्करण में 27/05/2019 को प्रकाशित 

3 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (28-05-2019) को "प्रतिपल उठती-गिरती साँसें" (चर्चा अंक- 3349) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

HARSHVARDHAN said...

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन तीसरा शहादत दिवस - हवलदार हंगपन दादा और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

Anonymous said...

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