Tuesday, January 14, 2020

कमाता है पर काम नहीं देता सोशल मीडिया

सोशल मीडिया का दशक आने वाले वक्त में जब कभी सोशल मीडिया की बात की जायेगी साल दो हजार का दशक इस मायने में महतवपूर्ण होगा क्योंकि यही वह दौर था जब सोशल मीडिया फला फूला और उसके राजनैतिक सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभावों पर भी चर्चा शुरू हुई |जाहिर है भारत इससे अछूता नहीं रहा क्योंकि सोशल मीडिया के इस युग का केंद्र भारत ही रहा |साल 2010 में जो सोशल मीडिया आशाओं का अग्रदूत बन कर उभर रहा था वो साल 2020 तक आते –आते फेक न्यूज और लोगों की राजनैतिक विचारों को प्रभावित करने जैसे आरोपों का शिकार  हो चुका था |फेसबुक ,ट्विटर और इन्स्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफोर्म के  राजनैतिक सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभावों पर तो काफी चर्चा हुई पर इस दशक में सबसे कम चर्चा इसके आर्थिक पक्ष की हुई |सोशल मीडिया की आंधी में हमें इस तथ्य को नहीं भूलना चाहिए कि कोई भी नयी तकनीक रोजगार के नए अवसर पैदा करती है और नए उन्नयन और नवोन्मेष को बढ़ावा देती है |इस कसौटी पर सोशल मीडिया को अभी तक नहीं कसा गया ||साल 2018 में फेसबुक ने पचपन बिलियन डॉलर और गूगल ने एक सौ सोलह बिलियन डॉलर विज्ञापन से कमाए |मजेदार तथ्य यह है कि फेसबुक कोई भी उत्पाद नहीं बनाता है| डाटा आज की सबसे बड़ी पूंजी है यह डाटा का ही कमाल  है कि गूगल और फेसबुक जैसी अपेक्षाकृत नई कम्पनियां दुनिया की बड़ी और लाभकारी कम्पनियां बन गयीं है|डाटा ही वह इंधन है जो अनगिनत कम्पनियों को चलाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं |वह चाहे तमाम तरह के एप्स हो या विभिन्न सोशल नेटवर्किंग साईट्स सभी उपभोक्ताओं के लिए मुफ्त हैं |इसका मतलब यह है की सोशल मीडिया में रोजगार के कई सारे नए अवसर पैदा किये होंगे |भारत मे 462 मिलियन लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं जिसमे से करीब 250 मिलियन लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं । सबसे ज्यादा पेनिट्रेशन फेसबुक और यू ट्यूब का है। आज की सर्च के मुताबिक आज के दिन नौकरी डॉट कॉम पर सोशल मीडिया से संबंधित केवल 19057 नौकरियाँ  हैं। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2018 के कारोबारी साल में फेसबुक इंडिया के मुनाफे में 40 प्रतिशत उछाल आया है । जबकि 2019 के कारोबारी साल में ये ही मुनाफा बढ़ कर 84% हो गया ।यू ट्यूब के भारत मे 265 मिलियन एक्टिव यूज़र्स हैं लिंकेडीन के भारत मे 50 मिलियन एक्टिव यूजर है 2017 के कारोबारी साल से लिंकेडीन का मुनाफा 26 प्रतिशत बढ़ा है|भारत मे हेलो टिकटोक और वीगो वीडियो की स्वामित्व वाली कम्पनी बाइट डांस के करीब 250 मिलियन एक्टिव यूजर है इस कंपनी ने कारोबारी साल 2019 में 3.4 करोड़ का मुनाफा कमाया । ज़ैउबा कॉर्प के हिसाब से इस कंपनी के भारत मे 10 से कम कर्मचारी है | लिंकेडीन के भारत मे मात्र 750 कर्मचारी  हैं | इन आंकड़ों की रौशनी में यह दिखता  है  कि सोशल मीडिया साइट्स में प्रत्यक्ष रोजगार बहुत ही कम है और इन सभी साइट्स की ज्यादातर आमदनी "यूजर सेंट्रिक"  विज्ञापन से होती है और जबकि ज्यादातर ये सभी साइट्स फ्री है परन्तु उपभोक्ता को फ्री यूज़ की कीमत अपनी निजी जानकारी से चुकाता है | इंसान एक डाटा (आंकड़े )में परिवर्तित हो गया और आज इससे मूल्यवान कोई चीज नहीं है असल मे जो चीज हमें मुफ्त दिखाई दे रही है वह सुविधा हमें हमारे संवेदनशील निजी डाटा के बदले मिल रही है |इनमे से अधिकतर कम्पनियां उपभोक्ताओं द्वारा उपलब्ध कार्य गए आंकड़ों को सम्हाल पाने में असफल रहती हैं जिसका परिणाम लागातार आंकड़ों की चोरी और उनके  दुरूपयोग के मामले सामने आते रहते हैं  और इसकी आमदनी का बड़ा हिस्सा विज्ञापनों से आता है और आप क्या विज्ञापन देखेंगे इसके लिए आपको जानना जरुरी है |यही से आंकड़े महत्वपूर्ण हो उठते हैं और इनको जुटाने में सोशल मीडिया साईट्स ने एक बड़ी भूमिका निभाई है | किसे भी सोशल मीडिया पर आते ही  उपभोक्ता डाटा में तब्दील हो जाता है| फिर उस डाटा ने और डाटा ने पैदा करना शुरू कर दिया |इस तरह देश में हर सेकेण्ड असंख्य मात्रा में डाटा जेनरेट हो रहा है पर उसका बड़ा फायदा इंटरनेट के व्यवसाय में लगी कम्पनियों को हो रहा है |
आधिकारिक तौर पर सोशल मीडिया से भारत मे  कितने रोजगार पैदा हुए इसका विशेष उल्लेख नही मिलता क्योंकि ये सारी कम्पनियां इन से सम्बन्धित आंकड़े सार्वजनिक रूप से नहीं जारी कर्तीब  । साथ ही प्रत्यक्ष रोजगार के काफी कम होने का संकेत इन कम्पनीज के एम्प्लाइज की कम संख्या से प्रमाणित होता  है । बिजनेस स्टैण्डर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 में भारत में गूगल और फेसबुक ने 1०००० करोड़ रुपये कमाए |वहीँ  इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट के हिसाब से 2019 में रिलायंस इंडस्ट्रीज  ने 11,262 करोड़  रुपये कमाए परन्तु जब हम दोनों कम्पनीज से मिले प्रत्यक्ष रोजगार और साथ ही उसके साथ बने इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को देखते हैं तो दोनों में जमीन आसमान का अंतर मिलता हैं | इंफ्रास्ट्रक्चर और कंज्यूमर  गुड्स जैसे पारंपरिक उद्योग अपने रेवेन्यू के मुकाबले कहीं ज्यादा रोजगार देते हैं ।जैसे 90 बिलियन डॉलर वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज 194056 लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार देती है और इससे कहीं ज्यादा लोग वेन्डर कंपनियों के माध्यम से रोजगार पाते हैं। अकेले टाटा स्टील ही 660,800 लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार देती हैं |यह आंकड़ा अपने आप काफी कुछ कह देता है |सोशल मीडिया आम भारतीय के लिए मनोरंजन के माध्यम से ज्यादा कुछ उपयोगिता नही रखता । ग्लोबल वेब इंडेक्स सोशल मीडिया ट्रेंड की रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर एक यूजर लगभग 2.5 घण्टे दिन में  सोशल नेटवर्क और मेसेजिंग में खर्च करता है| वहीँ ट्रेंडिंग एकनॉमिस की एक स्टडी के मुताबिक भारत में डेली वेजेस में अनुमानतः एक व्यक्ति 2020 में 372 रूपये घण्टा कमायेगा तो इस हिसाब से सोशल मीडिया पर महीने में औसतन एक व्यक्ति अपने नौ काम के घंटे खर्च करता है जिससे वह महीने में न्यूनतम 3348 रुपये और साल के 40176  रुपये कोई और उत्पादक काम करते हुए कमा सकता है जिस प्रकार पारम्परिक मनोरंजन के साधनो में कुछ रोजगार के अवसर पैदा होते हैं वैसे ही सोशल मीडिया के साथ भी है परन्तु इसका लाभ कुछ सीमित  व्यक्तिओं और संस्थाओं तक ही सीमित है | उम्मीद की जानी चाहिए कि अगला दशक सोशल मीडिया के मालिकों द्वरा कमाई जा रही आय के एक हिस्से को उन तक पहुंचाने का होगा जिनके कौशल के कारण ये  कम्पनिया चल रही हैं |
नवभारत टाईम्स में 14/01/2020  को प्रकाशित 
x

No comments:

पसंद आया हो तो