हालांकि
मेटा, टिकटॉक और एक्स जैसी कंपनियों को इस
बैन लिस्ट में रखा गया है वहीं स्ट्रीमिंग वेबसाइट यूट्यूब को इस बैन से छूट दी गई
है। कानून में तर्क दिया गया है कि चूंकि स्कूलों में यूट्यूब का इस्तेमाल बड़े
पैमाने पर किया जाता है इस लिए इसे बैन से अलग रखा गया है। भारत में सोशल मीडिया
के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए कुछ लोग इस तरह के कदमों की मांग कर रहे हैं, लेकिन क्या भारत में सोशल मीडिया पर बैन करना वास्तव में इस समस्या का
हल है?बैन किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता |भारत के कुछ राज्यों में शराबबंदी लागू है पर इससे वहां शराब की
तस्करी बढ़ गयी और नशे की समस्या खत्म नहीं हुई |
भारत
में सोशल मीडिया पर बैन लागू करने का विचार निश्चित रूप से कुछ समय के लिए बच्चों
को नुकसानदायक कंटेंट से बचाने का प्रयास हो सकता है, लेकिन यह समग्र समाधान नहीं हो सकता। दरअसल तकनीक ने पिछले कुछ बरसों
में हमारे जीवन को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है। आज स्मार्टफोन, टैबलेट समेत अन्य डिजिटल डिवाइस आज हर व्यक्ति की जीवन शैली का हिस्सा
है। कम्यूनिटी बेस्ड सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लोकर सर्कल्स के एक राष्ट्रीय सर्वे
के मुताबिक भारत में 60 प्रतिशत बच्चे रोजाना 3 घंटे से अधिक सोशल मीडिया एप्स का इस्तेमाल करते हैं। वहीं किशोरों
में यह आंकड़ा और अधिक है। आज भारत में सोशल मीडिया का प्रभाव काफी गहरा है। सोशल
मीडिया बच्चों और किशोरों के लिए आज न केवल मनोरंजन का स्रोत है बल्कि एक शैक्षिक
उपकरण के रूप में भी सामने आ रहा है। फेसबुक, एक्स, लिंक्डिइन जैसे प्लेटफॉर्म बच्चों और
किशोरों को नए रूप में अध्ययन सामग्री प्रदान करने के लिए विचारों और अभिव्यक्ति
को स्थापित करने का एक मौका पेश करते हैं। उदाहरण के तौर पर यूट्यूब, इंस्टाग्राम प्लेटफॉर्म बच्चों को उनकी रचनात्मकता विकसित करने और
शिक्षा से जुड़े लेक्चर्स, शॉर्ट वीडियो
प्रदान करते हैं, जो उनके लिए काफी उपयोगी साबित होता
है। डिजिटल युग में यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है , इसे नजर अंदाज करना छात्रों के साथ एक बेईमानी की तरह होगा कि आप
उन्हें वर्चुअल दुनिया से काट दें । छात्र सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर इस्तेमाल
अपनी शिक्षा और करियर को पंख दे सकते हैं।
हालांकि सोशल मीडिया पर पूर्ण प्रतिबंध के बजाय इसे सीमित करना एक
अधिक व्यावहारिक और संतुलित विकल्प हो सकता है। बच्चों और किशोरों को डिजिटल
साक्षरता और सुरक्षा के विषय में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए, ताकि वे सोशल मीडिया का उपयोग सकारात्मक और सुरक्षित तरीके से कर
सकें। येल मेडिसिन की एक रिपोर्ट के सुझाव के मुताबिक बच्चों के लिए सोशल मीडिया का उपयोग सोने से एक घंटे पहले बंद
कर देना चाहिए और इसका उपयोग केवल शैक्षिक या रचनात्मक उद्देश्यों के लिए होना
चाहिए। इसके साथ ही, माता-पिता को
बच्चों के लिए ऐसी योजना बनानी चाहिए, जिसमें गोपनीयता सेटिंग्स, अजनबियों से बचने और साइबर बुलिंग को रिपोर्ट करने की जानकारी भी
शामिल हो |
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