Friday, January 31, 2025

प्रैंक वीडियो को लेकर सजगता जरुरी

 

आजकल फेसबुकइंस्टाग्रामऔर यूट्यूब पर संगीत के बाद सबसे अधिक देखे जाने वाले वीडियो में फनी वीडियो या प्रैंक वीडियो सबसे लोकप्रिय हैं। इंसान सदियों से एक दूसरे के साथ मजाक करता आ रहा है। जब हमें पहली बार यह एहसास हुआ कि अपनी सामाजिक शक्ति का हेर फेर करके दूसरों की कीमत पर मजाक उड़ाया जा सकता हैतब से प्रैंक या मजाक सांस्कृतिक मानकों द्वारा निर्धारित होते आए हैंजिसमें टीवीरेडियोऔर इंटरनेट भी शामिल हैं। लेकिन जब सांस्कृतिक और व्यावसायिक मानक मजाक करते वक्त आपस में टकराते हैं और उन्हें जनमाध्यमों का साथ मिल जाता हैतो इसके परिणाम भयानक हो सकते हैं।

दिसंबर 2012 मेंजैसिंथा सल्दान्हा नाम की एक भारतीय मूल की ब्रिटिश नर्स ने एक प्रैंक कॉल के बाद आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद दुनिया भर में बहस छिड़ गई कि इस तरह के मजाक को किसी के साथ करना और फिर उसे रेडियोटीवीया इंटरनेट के माध्यम से लोगों तक पहुंचाना कितना जायज है।

दुनिया में ऑनलाइन प्रैंक वीडियो की शुरुआत यूट्यूब और फेसबुक जैसी साइट्स के आने से पहले हुई थी। साल 2002 मेंएक इंटरैक्टिव फ्लैश वीडियो स्केयर प्रैंक के नाम से पूरे इंटरनेट पर फैल गया था। थॉमस हॉब्स उन पहले दार्शनिकों में से थे जिन्होंने माना कि मजाक के बहुत सारे कार्यों में से एक यह भी है कि लोग अपने स्वार्थ के लिए मजाक का इस्तेमाल सामाजिक शक्ति पदानुक्रम को अस्त-व्यस्त करने के लिए करते हैं। सैद्धांतिक रूप सेमजाक की श्रेष्ठता के सिद्धांतों को मनोविज्ञान और समाजशास्त्र के बीच संघर्ष और शक्ति संबंधों के संदर्भ में समझा जा सकता है। विद्वानों ने स्वीकार किया कि संस्कृतियों मेंमजाक और प्रैंक का इस्तेमाल अक्सर हिंसा को सही ठहराने और मजाक के लक्ष्य को अमानवीय बनाने के लिए किया जाता है। इन सारी अकादमिक चर्चाओं के बीच भारत में इंटरनेट पर मजाक का शिकार हुए लोगों की चिंताएं गायब हैं।

सबसे मुख्य बात सही और गलत के बीच का फर्क मिटना हैजो सही है उसे गलत मान लेना और जो गलत है उसे सही मान लेना। जिस गति से देश में इंटरनेट पैर पसार रहा हैउस गति से लोगों में डिजिटल साक्षरता नहीं आ रही हैइसलिए निजता के अधिकार जैसी आवश्यक बातें कभी विमर्श का मुद्दा नहीं बनतीं। किसी ने किसी से फोन पर बात की और अपना मजाक उड़ायायह मामला तब तक व्यक्तिगत रहा। फिर वही वार्तालाप इंटरनेट के माध्यम से सार्वजनिक हो गया। जिस कंपनी के सौजन्य से यह सब हुआउसे हिट्सलाइक्सऔर पैसा मिलापर जिस व्यक्ति के कारण यह सब हुआउसे क्या मिलायह सवाल अक्सर नहीं पूछा जाता। इंटरनेट पर ऐसे सैकड़ों ऐप हैंजिनको डाउनलोड करके आप मजाकिया वीडियो देख सकते हैं और ये वीडियो आम लोगों ने ही अचानक बना दिए हैं। कोई व्यक्ति रोड क्रॉस करते वक्त मेन होल में गिर जाता है और उसका फनी वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो जाता है और फिर अनंतकाल तक के लिए सुरक्षित भी हो जाता है।

मजाकिया और प्रैंक वीडियो पर कहकहे लगाइएपर जब उन्हें इंटरनेट पर डालना होतो क्या जाएगा और क्या नहींइसका फैसला कोई सरकार नहींहमें और आपको करना है। इसी निर्णय से तय होगा कि भविष्य का हमारा समाज कैसा होगा।

प्रभात खबर में 31/01/2025 को प्रकाशित 

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