आजकल फेसबुक, इंस्टाग्राम, और यूट्यूब पर
संगीत के बाद सबसे अधिक देखे जाने वाले वीडियो में फनी वीडियो या प्रैंक वीडियो
सबसे लोकप्रिय हैं। इंसान सदियों से एक दूसरे के साथ मजाक करता आ रहा है। जब हमें
पहली बार यह एहसास हुआ कि अपनी सामाजिक शक्ति का हेर फेर करके दूसरों की कीमत पर
मजाक उड़ाया जा सकता है, तब से प्रैंक
या मजाक सांस्कृतिक मानकों द्वारा निर्धारित होते आए हैं, जिसमें टीवी, रेडियो, और इंटरनेट भी शामिल हैं। लेकिन जब सांस्कृतिक और व्यावसायिक मानक
मजाक करते वक्त आपस में टकराते हैं और उन्हें जनमाध्यमों का साथ मिल जाता है, तो इसके परिणाम भयानक
हो सकते हैं।
दिसंबर 2012 में, जैसिंथा सल्दान्हा नाम की एक भारतीय
मूल की ब्रिटिश नर्स ने एक प्रैंक कॉल के बाद आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद दुनिया
भर में बहस छिड़ गई कि इस तरह के मजाक को किसी के साथ करना और फिर उसे रेडियो, टीवी, या इंटरनेट के माध्यम से लोगों तक
पहुंचाना कितना जायज है।
दुनिया
में ऑनलाइन प्रैंक वीडियो की शुरुआत यूट्यूब और फेसबुक जैसी साइट्स के आने से पहले
हुई थी। साल 2002 में, एक इंटरैक्टिव फ्लैश वीडियो स्केयर प्रैंक के नाम से पूरे इंटरनेट पर
फैल गया था। थॉमस हॉब्स उन पहले दार्शनिकों में से थे जिन्होंने माना कि मजाक के
बहुत सारे कार्यों में से एक यह भी है कि लोग अपने स्वार्थ के लिए मजाक का
इस्तेमाल सामाजिक शक्ति पदानुक्रम को अस्त-व्यस्त करने के लिए करते हैं।
सैद्धांतिक रूप से, मजाक की
श्रेष्ठता के सिद्धांतों को मनोविज्ञान और समाजशास्त्र के बीच संघर्ष और शक्ति
संबंधों के संदर्भ में समझा जा सकता है। विद्वानों ने स्वीकार किया कि संस्कृतियों
में, मजाक और प्रैंक का इस्तेमाल अक्सर हिंसा को सही
ठहराने और मजाक के लक्ष्य को अमानवीय बनाने के लिए किया जाता है। इन सारी अकादमिक
चर्चाओं के बीच भारत में इंटरनेट पर मजाक का शिकार हुए लोगों की चिंताएं गायब हैं।
सबसे
मुख्य बात सही और गलत के बीच का फर्क मिटना है, जो सही है उसे गलत मान लेना और जो गलत है उसे सही मान लेना। जिस गति
से देश में इंटरनेट पैर पसार रहा है, उस गति
से लोगों में डिजिटल साक्षरता नहीं आ रही है, इसलिए निजता के अधिकार जैसी आवश्यक बातें कभी विमर्श का मुद्दा नहीं
बनतीं। किसी ने किसी से फोन पर बात की और अपना मजाक उड़ाया, यह मामला तब तक व्यक्तिगत रहा। फिर वही वार्तालाप इंटरनेट के माध्यम
से सार्वजनिक हो गया। जिस कंपनी के सौजन्य से यह सब हुआ, उसे हिट्स, लाइक्स, और पैसा मिला, पर जिस व्यक्ति
के कारण यह सब हुआ, उसे क्या मिला? यह सवाल अक्सर नहीं पूछा जाता। इंटरनेट पर ऐसे सैकड़ों ऐप हैं, जिनको डाउनलोड करके आप मजाकिया वीडियो देख सकते हैं और ये वीडियो आम
लोगों ने ही अचानक बना दिए हैं। कोई व्यक्ति रोड क्रॉस करते वक्त मेन होल में गिर
जाता है और उसका फनी वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो जाता है और फिर अनंतकाल तक के लिए
सुरक्षित भी हो जाता है।
मजाकिया
और प्रैंक वीडियो पर कहकहे लगाइए, पर जब
उन्हें इंटरनेट पर डालना हो, तो क्या जाएगा
और क्या नहीं, इसका फैसला कोई सरकार नहीं, हमें और आपको करना है। इसी निर्णय से तय होगा कि भविष्य का हमारा समाज
कैसा होगा।
No comments:
Post a Comment