मै एक विज्ञापन देख रहा
था जिसमे घर में काम करने वाली एक महिला अंग्रेजी राइम गा रही और उसे देख कर उसका
मालिक आश्चर्य चकित रह जाता है वाकई अंग्रेजी ग्लोबल तो थी ही अब लोकल भी होती
जाती रही है शायद आपको समझ नहीं आया अंग्रेजी को अपनी भाषा के साथ जोड़ दीजिये और
फिर देखिये लोकल होने का मज़ा हिंगलिश ऐसी ही तो बनी है अंग्रेजी और हिंदी का
मिक्सचर ,आज का यांगिस्तानी
हिंगलिश प्रेमी है अब यह अच्छा है या बुरा इसका फैसला भाषाकारों पर छोड़ दिया जाए
. आप भी सोच रहे होंगे
हमेशा गानों की बात करने वाला शख्स आज क्या मुश्किल बात कर रहा है . मै बिलकुल
सिंपल बात करूँगा गानों की और फिल्मों की ये तो सिर्फ बैक ग्राउंड
तैयार कर रहा था यानि आज बात होगी ऐसे हिंदी गानों की जो अंग्रेजी शब्दवाली रखते
हैं. वैसे तो किसी हिंदी फिल्म में पहली बार अंग्रेजी गाना
जूली फिल्म मै आया "माय हार्ट इस बीटिंग "लेकिन उसके बहुत पहले १९४७ में
शेहनाई फिल्म में इस तरह के प्रयोग की शुरुवात हो चुकी थी जिसका गाना था "आना
मेरी जान सन्डे के सन्डे " नमक हलाल फिल्म मे अमिताभ बचचन द्वारा बोली गयी
अंग्रेजी को लोग आज भी याद करते हैं इसी कड़ी में "अमर अकबर एंथोनी "
फिल्म का गाना माय नेम इस एंथोनी गोंसाल्विस आज भी लोगों को थिरकने पर मजबूर कर
देता है. हिंदी फिल्मों में
अंग्रेजी भाषा का प्रयोग सत्तर के दशक बाद बढा तब अंग्रेजी भाषा के एक दो शब्द ही
प्रयोग किये जाते लेकिन आज पूरे पूरे वाक्य यूज किये जा रहे हैं .आई
लव यू से शुरू हुआ यह प्रयोग आज "मूव योउर बॉडी टूनाइट"
(जॉनी गद्दार ) तक पहुँच गया है. हिंदी और अंग्रेजी का ये फ्यूसन
सिर्फ गानों तक सीमित नहीं है हिंदी फिल्में अगर आज ग्लोबल हो रही
है तो इनके पीछे कहीं न कहीं भाषा का ये फ्यूसन जिम्मेदार है. ये सिर्फ किस्मत कनेक्शन नहीं
है हिंदी गाने इसीलिए खास रहे हैं क्योंकि वे अपने वक्त की भाषा को रिप्रेजेंट
करते हैं. आज हम डेली लाइफ मैं अंग्रेजी का यूज ज्यादा कर रहे हैं
उसका रिफ्लेक्शन गानों मे भी दिख रहा है. यह भी सच है कि हिंदी के प्रति
कोई प्रेम नहीं होने के बावजूद गीत-संगीत के कारण अनेक गैर हिंदी लोगों
ने हिंदी सीखी है, तो फिर हम हिंदी भाषी क्यों इस ग्लोबल भाषा को सीखने
में पीछे रहें . गानों का
ये फ्यूसन नए अवसर लेकर आया है जिन्हें हिंदी आती है वे अंग्रेजी सीखें और जिन्हें
अंग्रेजी आती है वे हिंदी सीखें . जरा 'टशन' का वो गाना याद कीजिए,
'वेरी हैप्पी इन माई हार्ट, दिल चांस मारे रे' 'तुम्हरे दिल
के थिएटर मा दिल दीवाना बुकिंग एडवांस मांगे रे' तो आपके सामने सारी तस्वीर साफ हो
जाएगी. 'आजकल गाने बोलचाल की भाषा
में लिखे जाते हैं.अब देखिये न जिस डिस्को की
शुरुवात बप्पी दा ने की थी "आई
ऍम अ डिस्को डांसर " (डिस्को डांसर ) से की थी वो दौर अब और आगे बढ़ निकला है
"इट्स टाइम टू डिस्को " (कल हो न हो ) अब अगर आज का यांगिस्तानी भाषा के इस फ्यूसन का लुत्फ उठा
रहा है तो हम यही पूछेंगे न "व्हेयर इस दा पार्टी टू
नाईट" (कभी अलविदा न कहना ) पर इसका मतलब ये बिलकुल मत निकालिएगा
दोस्तों की मैं हिंदी के खिलाफ हूँ किसी भी भाषा का विकास किसी दूसरी भाषा की कीमत
पर नहीं होना चाहिए ऐसे में अगर दो भाषाएँ करीब आ रही हैं तो उसका स्वागत किया
जाना चाहिए. भाषा एक बहती नदी है इसे बाँधा नहीं जा सकता और भाषा का विकास ऐसे ही
होता आया है. सोचिये न हम कितने शब्द ऐसे बोलते हैं जो मूल रूप से हिंदी के नहीं
हैं पर अब वो ऐसे अपना लिए गए हैं कि लगता है की वे हिंदी के ही शब्द हैं और यही
तो हिंदी का कमाल है हिंदी को आगे बढ़ाने में जितना काम फिल्मों और गानों ने किया
है उतना और कोई नहीं कर सकता तो फिर क्यों न हिंदी की सफलता का जश्न मनाया जाए . फिल्मों के सहारे ही सही हिंदी ग्लोबल तो हो रही है. "इट्स राकिंग" (क्या लव
स्टोरी है )और फिर हमें ये भी तो नहीं भूलना चाहिए "ईस्ट और वेस्ट इंडिया इस
दा बेस्ट" (जुड़वां)
आई नेक्स्ट में १७ अगस्त को प्रकाशित
आई नेक्स्ट में १७ अगस्त को प्रकाशित