Tuesday, April 16, 2024

इंटरनेट विज्ञापनों की दुनिया में निजता

 भारत में टीवी और रेडियो की शुरुआत सुचना और मनोरंजन से हुई थी लेकिन जल्दी ही विज्ञापनों के जरिये इन दोनों माध्यमों का आर्थिक दोहन शुरू हो गया |धीरे –धीरे विज्ञापन रेडियो और टीवी का अभिन्न अंग बन गए |जिनके बगैर इन माध्यमों की कल्पना करना भी मुश्किल हो गया |कुछ ऐसी कहानी इंटरनेट के साथ भी हुई लेकिन यहां विज्ञापनों के साथ कुछ अलग तरह के खतरे भी आये |इंटरनेट का इस्तेमाल सिर्फ सूचनाओं और मनोरंजन तक सीमित नहीं रहा बल्कि यह बहुत निजी माध्यम बन गया और उसमें सबसे बड़ा मुद्दा उपभोक्ताओं की निजता का भी है |इंटरनेट की किसी सेवा तक अपनी पहुँच बनाने के लिए वेब ब्राउजर की जरुरत होती है |वेब ब्राउजर पर आप क्या कर रहे होते हैं इसका पता उन्हें रहता है |यहीं से डाटा महत्वपूर्ण हो जाता है |अगर किसी विज्ञापन दाता को यह पता पड़ जाए कि आप क्या चीज खोज रहे हैं तो उसे अपने उत्पाद को बेचना आसान हो जाएगा | इस वक्त गूगल का क्रोम ब्राउजर सबसे बड़ा ब्राउजर है |लेकिन उपभोक्ताओं की निजता के बढ़ते दबाव के चलते गूगल ने एक सीमित परीक्षण शुरू किया है |जिसमें वह अपने क्रोम ब्राउज़र का उपयोग करने वाले एक प्रतिशत लोगों के लिए थर्ड पार्टी कुकीज़ को प्रतिबंधित करेगाक्रोम ब्राउजर  दुनिया भर में सबसे ज्यादा लोकप्रिय ब्राउजर  है। इस वर्ष के अंत तकगूगल का इरादा है कि वह सभी क्रोम उपयोगकर्ताओं के लिए थर्ड पार्टी कुकीज़ को समाप्त कर देगा |विश्व के 600 अरब डॉलर वार्षिक  ऑनलाइन विज्ञापन उद्योग के इतिहास में यह सबसे बड़े बदलावों में से एक होगा|नब्बे के दशक में कंप्यूटर इंटरनेट की दुनिया में एक छोटी सी पहल ने लोगों के वेबसाइट इस्तेमाल के अनुभव को उल्लेखनीय तरीके से बदल दिया और इसका श्रेय जाता है नेटवर्क इंजीनियर लू मोंटुल्ली को जिन्होंने  एच टी टी पी  कुकी का आविष्कार किया इसी कुकी के द्वारा ही हमारा वेबसाइट अनुभव नियंत्रित्र होता है कुकीज  को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है  जैसे अतिआवश्यक कुकीज वर्किंग कुकीज फर्स्ट पार्टी कुकीजसेकंड पार्टी कुकीज़ तथा थर्ड पार्टी कुकीज़ आदि |

वर्तमान समय मे गूगल द्वारा थर्ड पार्टी कूकीज का सपोर्ट बंद किया जा रहा जिससे ऑनलाईन विज्ञापन के  बाजार मे बड़ी हलचल मची हुई है इस हलचल को समझने के लिये ये समझना होगा कि इन कुकीज कि उपयोगिता क्या है प्रमुखता कुकीज अनलाइन वेबसाईट पर हमारी गतिविधियां ट्रैक करती हैं और उन गतिविधियों  को कुकीज़ देने वाली वेबसाईट को अवगत कराती हैं |मान लीजिये  मुझे हिन्दी मे वेबसाईट देखनी है तो मैने भाषा हिन्दी चुनी तो ये गतिविधि वेबसाईट प्रदाता कंपनी को कुकीज़ के माध्यम से पता चल जाती है और अगली बार जब हम उस वेबसाईट पर आते हैं तो हमे भाषा का चुनाव नहीं करना पड़ता इससे हमारा अनुभव अच्छा रहता हैं क्योंकि कुकीज के माध्यम से अमुक वेबसाईट हमारी रुचियाँ जान जाती है |हमारे व्यवहार को समझते हुए |महत्वपूर्ण है कि ऑनलाईन विज्ञापन का बड़ा बाजार इसी बात पर टिका है कि उपभोक्ता क्या चाहता है और यहीं से उपभोक्ता का ब्राउजिंग  डाटा महत्वपूर्ण हो जाता है  |  अब प्रश्न ये है कि फिर थर्ड पार्टी कूकीज बंद होने पर इतना हंगामा क्यूँ हो रहा तो उसका कारण ये हैं कि थर्ड पार्टी कूकीज प्रायः वेबसाईट सेवा प्रदाता के अनुबंध के कारण किसी अन्य सेवा प्रदाता के द्वारा  प्रदान की जाती है जो हमारे अनुभव से इतर ये रिकार्ड करती हैं कि हम वेबसाईट या ऑन लाइन क्या कर रहे हैं |अगर इसको ऐसे समझे कि हमने गूगल पर कपड़े सर्च किये और उसके बाद हम जब किसी अन्यत्र वेबसाईट पर जाते हैं तो वहाँ हमे कपड़े  के विज्ञापन दिखने लगते हैं जो कि थर्ड पार्टी कुकीज द्वारा दी गई सूचना के कारण  होता हैं |

अब  लोग अपनी निजता   के प्रति बहुत जागरूक हुए हैं और इसी को ध्यान मे रखते हुए और उपभोक्ताओं कि मांग का सम्मान करते हुए गूगल के थर्ड पार्टी कुकीज का प्रयोग चरणबद्ध तरीके से बंद करना शुरू कर दिया है जिसका असर बहुत सारी कम्पनियों पर पड़ रहा है जो उपभोक्ता सूचना और विज्ञापन के क्षेत्र मे काम कर रही हैं गूगल की इस नीति के कारण  उनका खर्च बढ़ने कि संभावना है|हालाँकि गूगल का यह प्रयास पहले केवल क्रोम उपयोगकर्ताओं के एक हिस्से  को प्रभावित करेंगेलेकिन अंततः इसका नतीजा  यह हो सकता है कि अरबों इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को कम विज्ञापन दिखाई देंगे जो उनकी ऑनलाइन ब्राउज़िंग आदतों से काफी मेल खाते हैं। पिछले दशक के अंत मेंमोज़िला के फ़ायरफ़ॉक्स और ऐप्पल के सफ़ारी ब्राउज़र ने लोगों की निजता और गोपनीयता चिंताओं के कारण कुकीज़ को ट्रैक करने पर सीमाएं लगानी शुरू कर दीं थी ।

 गूगल  ने 2020 में उन्हें क्रोम से हटाने की योजना बनाईलेकिन विज्ञापन उद्योग और गोपनीयता के समर्थकों  की चिंताओं  को दूर करने के लिए इस प्रक्रिया में कई बार देरी हुई। और गेट एप की एक रिपोर्ट के अनुसार इकतालीस प्रतिशत  सेवा प्रदाताओं कि सबसे बड़ी चुनौती सही डेटा को ट्रैक करना होगा वहीं चौवालीस प्रतिशत  सेवा प्रदाताओं को लगता हैं कि  उन्हे अपने व्यसाययिक  लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये अपनी लागत को को पांच  प्रतिशत से पच्चीस प्रतिशत तक बढ़ाना पड़ सकता है हालांकि उपभोक्ताओं  की निजता के लिये यह  कोई बहुत बड़ी राहत नहीं है क्योंकि अधिकतर सेवा प्रदाता अब एप का इस्तेमाल बढ़ा रहे हैंजिससे उन्हे ज्यादा सटीक और ज्यादा  व्यक्तिगत सूचनाएं प्राप्त होंगी दुनिया भर के देश गोपनीयता कानून अब कुकी प्रयोग और उस पर सहमति संबंधी प्रावधान जोड़ रहे हैं ताकि बिना सहमति के सूचनाएं साझा न हो और गोपनीयता बरकरार रहे गूगल का ये प्रयास निजी सूचना आधारित व्ययसायों पर न केवल दूरगामी प्रभाव डालेगा बल्कि ऑनलाईन विज्ञापन के नये नए तरीकों को भी जन्म देगा |

दैनिक जागरण में 16/04/2024 को प्रकाशित 

Wednesday, April 3, 2024

टाईम पास बन गया है सोशल मीडिया

 
साल 2010 में जो सोशल मीडिया आशाओं उम्मीदों का प्रतीक बन कर उभर रहा थावो साल 2020 तक आते –आते फेक न्यूज और लोगों की राजनीतिक विचारों को प्रभावित करने जैसे आरोपों का शिकार  हो चुका था सोशल मीडिया की आंधी आये हुए महज दस साल में ही लोग अपनी राय पोस्ट करने में अब कम लोग ही सक्रिय हैं|पोस्ट करने से आशय टेक्स्टइमेजफॉर्म में अपने आपको व्यक्त करने से है |सोशल  मीडिया पर रोज  बहुत सारे लोग लॉग इन करते हैंपर  वास्तव में बहुत कम लोग ही पोस्ट कर रहे हैं।हम  प्रतिदिन लगभग दो घंटे इंस्टाग्राम फेसबुक या ट्विटर  पर स्क्रॉल करते हुए समय बिताते हैंलेकिन उनके मुख्य फ़ीड पर उनकी आखिरी पोस्ट एक साल पहले की थी। कभी कभी लोग सोशल मीडिया स्टोरीज जरुर शेयर करते हैं ,जो चौबीस  घंटों के बाद गायब हो जाती हैं। सोशल मीडिया के अधिक इस्तेमाल ने लोगों को अब यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अब जीवन में और अधिक झगड़े जोड़ने की जरूरत नहीं है और लोगों को इस बात पर झगड़ने की ज़रूरत नहीं है कि मैंने किसे वोट दिया या मैं क्या सोचता हूँ।अब वह वह आमने-सामने और समूह चैट को प्राथमिकता देता है—जिसे अब  "निजी नेटवर्किंग" कहा जा रहा है। 
उपयोगकर्ताओं के सर्वेक्षण और डेटा-एनालिटिक्स फर्मों के शोध के अनुसारअरबों लोग मासिक रूप से सोशल मीडिया का उपयोग करते हैंलेकिन सोशल मीडिया उपयोगकर्ता कम पोस्ट कर रहे हैं और अधिक निष्क्रिय अनुभव का आनंद  ले रहे हैं।इसे दूसरे शब्दों में यूँ समझा जा सकता है कि ऐसा नहीं है लोगों का सोशल मीडिया से मोह  भंग हो रहा है वे अभी भी लोगों की सोशल मीडिया फीड देखने या राष्ट्रीय समय पास करना बन चुका शगल ,रील देखने में समय बिता रहे हैंपर वे अब अपनी राय रखने में उतने सक्रिय नहीं रहे हैं |डेटा-इंटेलिजेंस कंपनी मॉर्निंग कंसल्ट की अक्टूबर रिपोर्ट में,सोशल-मीडिया अकाउंट वाले 61 प्रतिशत अमेरिकी वयस्क उत्तरदाताओं ने कहा कि वे जो पोस्ट करते हैं उसके बारे में वे अधिक चयनात्मक हो गए हैं यनि अब लोग क्या पोस्ट करना है उसके बारे में सोचने लग गए है ।भारत भी अपवाद नहीं है|भले ही अपने विशाल सोशल मीडिया यूजर बेस के कारण यहाँ ऐसा नहीं दिखता पर अब लोग सोशल मीडिया पर कम पोस्ट शेयर कर रहे हैं इसके कई कारण हैं इस शोध के हिसाब से लोग ये मानने लगे हैं  कि वे जो सामग्री देखते हैं उसे नियंत्रित नहीं कर सकते। वेअपने जीवन को ऑनलाइन साझा करने को लेकर अधिक सुरक्षात्मक हो गए हैं और अब उन्हें अपनी निजता की भी चिंता होने लग गयी हैं ।सोशल मीडिया पर ट्रोलर्स की बढ़ती संख्या के कारण लोगों का मजा किरकिरा भी हुआ है |सारे मेटा प्लेटफोर्म  (इन्स्टाग्राम और फेसबुक )में यह गुप्त प्रवृत्ति जिसमें टिकटोक और एक्स(ट्विटर ) इन सभी के व्यवसाय के लिए ख़तरा है। उपयोगकर्ताओं के ज्यादा से  ज्यादा शेयर करने के कारण वे दुनिया की सबसे शक्तिशाली कंपनियों और प्लेटफार्मों में से बन गए हैं।मजेदार तथ्य यह है कि इनमें से कोई भी कम्पनी  कोई उत्पाद नहीं बनाती है,फिर भी ये  नई कम्पनियां दुनिया की बड़ी और लाभकारी कम्पनियां बन गयीं है|
 सिर्फ यूजर जेनरेटेड कंटेंट जाहिर है लोगों की कहने की आदत के कारण|भारत अभी अमेरिका जैसी गंभीर स्थिति में नहीं है पर यह साफ़ तौर पर अब देखा जा सकता है कि लोग अपनी निजता और सब कुछ सोशल मीडिया पर डालने की मानसिकता से किनारा  कर रहे हैं |इसका एक बड़ा कारण सोशल मीडिया अकाउंट का उपयोग मार्केटिंग और ब्रांडिग के लिए किया जाना इसके अलावा मीडिया लिट्रेसी का प्रचार प्रसार भी है वैसे  भी सोशल मीडिया पर आते ही उपभोक्ता डाटा में तब्दील हो जाता हैफिर उस डाटा ने और डाटा ने पैदा करना शुरू कर दिया |इस तरह देश में हर सेकेण्ड असंख्य मात्रा में डाटा जेनरेट हो रहा है पर उसका बड़ा फायदा इंटरनेट के व्यवसाय में लगी कम्पनियों को हो रहा है यूजर जेनरेटेड कंटेंट से चलने वाली इन कम्पनियों की कमाई का बड़ा फायदा उपभोक्ताओं को नहीं होता |
आधिकारिक तौर पर सोशल मीडिया से भारत मे  कितने रोजगार पैदा हुए इसका विशेष उल्लेख नही मिलता क्योंकि ये सारी कम्पनियां इन से सम्बन्धित आंकड़े सार्वजनिक रूप से नहीं जारी करतीं । साथ ही प्रत्यक्ष रोजगार के काफी कम होने का संकेत इन कम्पनीज के एम्प्लाइज की कम संख्या से प्रमाणित होता  है । ऐसा भी नहीं कि ये सोशल मीडिया कंपनियां इस तथ्य से अनजान हैं |अब वे सोशल मीडिया के उपभोक्ताओं को ज्यादा पर्सनलाइज्ड अनुभव देने की ओर अग्रसर हैं |वे मैसेजिंग जैसे अधिक निजी उपयोगकर्ता अनुभवों में निवेश कर रहे हैं और बातचीत को अधिक सुरक्षित बना रहे हैं। जिसमें  लोगों को अधिक अंतरंग साथियों के लिए पोस्ट करने के लिए प्रोत्साहित करना भी शामिल है  - जैसा कि इंस्टाग्राम के हाल ही में जारी किये गए  क्लोज फ्रेंड्स फीचर के साथ हुआ है।इन सबके बावजूद सोशल मीडिया से लोगों की बढ़ती अरुचि किसी नए माध्यम के विकास का बहाना बनेगी या नए यूजर  की बढ़ती संख्या इस प्रक्रिया को चलायमान रखेगी यह देखना दिलचस्प होगा |
अमर उजाला में 03/04/2024 को प्रकाशित 

Tuesday, April 2, 2024

जीवन के एग्जाम के टॉपर


 प्रिय बेटा

तुम्हारा गुस्से भरा ई मेल मिला,जिसमें तुमने इस बात पर नाराजगी जताई कि जब सारे पास हुए बच्चों के पेरेंट्स अपने बच्चों के मार्क्स के साथ उनके फोटो सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं तो मैंने तुम्हारी फोटो क्यों नहीं लगाई. तुम जानते हो मैंने तुम्हें नम्बर गेम से हमेशा बचने की सलाह दी है. मैं तुमसे हमेशा कहता था एक सम्मानजनक तरीके से पास हो जाओ .बेटे मेरे लिए पढ़ाई के एक्जाम में पास होना उतना मायने नहीं रहता जितना जिन्दगी के इम्तिहान में पास होना .चूँकि अब तुम बड़े हो गए हो तो सोचा अपनी लाईफ के कुछ अनुभव  शेयर कर लूँ .तुम्हे याद होगा जब तुम छोटे थे और अक्सर चोट लगाकर रोते हुए घर आ जाया करते थे तो मैं तुमसे एक ही बात कहता था बेटा चोट तुम्हे लगी है और इसका दर्द तो तुम्हे ही झेलना पड़ेगा. हम ज्यादा से ज्यादा  इसको कम करने की कोशिश कर सकते हैं और जिन्दगी भी ऐसी ही है.

मुझे आज भी याद है दसवीं से पहले तक तुम्हारे कभी भी सिक्सटी परसेंट से उपर नम्बर नहीं आये .मैं ये भी मानता हूँ कभी –कभी मैं भी थोड़ा दुखी हो जाता था पर एक चीज मुझे हमेशा हौसला देती थी .तुम हमेशा एक अच्छे बेटे की तरह बढ़ते रहे ,दादी –बाबा का ख्याल रखने वाले .भले कितनी परेशानी मन में हो हमेशा खुश रहने वाले और सबको हंसाने वाले .तुम्हारी सम्वेदनशीलता देख कर लगता है कितुम अपने आस –पास के लोगों से जुड़े रहोगे क्योंकि रोड पर अगर कोई आवारा जानवर बीमार दिखता है तो तुम मुझे फोन कर के तंग करते रहे अपनी पॉकेट मनी से रोड पर पैदा हुए कुत्ते के बच्चों को दूध चुपचाप पिलाना और कई दिन बाद धीरे से मम्मी को बता देना .तुमने कभी कोई बात नहीं छिपाई .

तुम खुशनसीब हो कड़ी धूप में पतंग उड़ाने का लुत्फ़ क्या होता है ये जानते हो ,बारिश में छत पर घंटों नहाने  का क्या मतलब होता ये तुमसे बेहतर कौन जानता है .गर्मी की शाम छत को स्वीमिंग पूल बनाने की नासमझ कोशिश तुमने न जाने कितनी बार की है . तोड़ देने का दुःख भी झेला है .तुम हारना क्या होता है ये बेहतर तरीके से जानते हो. तो कभी जिन्दगी में जीतोगे तो तुम्हारे पैर हमेशा जमीन पर रहेंगे . बेटा पढाई के एक्जाम  से ज्यादा मुश्किल है जिन्दगी का इम्तिहान जिसकी अभी शुरुवात हो रही है .मैं चाहता हूँ तुम जिन्दगी के एक्जाम  में टॉप करो मैंने कभी नहीं चाहा कि तुम क्लास में टॉप करो जरा सोचो एक्साम्स के टॉपर्स को हम लोग कितनी जल्दी भूलते हैं जिन्दगी में एक वक्त के बाद हम लोगों को उनके काम और उनकी पर्सनाल्टी  की वजह से याद करते हैं न कि उनके मार्क्स की वजह से .जिन्दगी के टॉपर्स हिस्ट्री  बनाते हैं. तुम्हे फिल्म और क्रिकेट का बहुत शौक है. विराट  एक महान खिलाड़ी है क्या वो कभी जीरो पर नहीं आउट हुआ हर मैच उसके लिए एक एक्जाम  ही होता है. अमिताभ बच्चन क्या बगैर फ्लॉप फ़िल्में दिए बगैर सदी के सितारे बन गए. सफल होने के लिए असफल होना ही पड़ता है. जिन्दगी में आप लगातार सफल नहीं हो सकते ये निश्चित है और असफलता का स्वाद जिन्दगी में जितनी जल्दी मिल जाए उतना अच्छा है. मां तुमको अपना प्यार दे रही है .

प्यार

तुम्हारा

पॉप्स

प्रभात खबर में 02/04/2024 को प्रकाशित 

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