Saturday, July 14, 2018

जितना चाहो ,देखो और दिखाओ

इंटरनेट की दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण बात है इसकी गतिशीलता नया बहुत जल्दी पुराना हो जाता है और नई संभावनाओं के द्वार खुल जाते हैं |सोशल मीडिया प्लेटफोर्म नित नए रूप बदल रहे हैं उसमें नए नए फीचर्स जोड़े जा रहे हैं |इस सारी कवायद का मतलब ऑडिएंस को ज्यादा से ज्यादा वक्त तक अपने प्लेटफोर्म से जोड़े रखना |इसका बड़ा कारण इंटरनेट द्वारा पैदा हो रही आय भी है |
जाहिर है इसमें वीडियो एक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं |जिसका बड़ा हिस्सा गूगल की एक कम्पनी यूट्यूब जैसी साईट्स से आ रहा है |वहीं फेसबुक की कम्पनी इन्स्टाग्राम धीरे धीरे एक नयी क्रांति कर रही है और तेजी से युवाओं में लोकप्रिय हो रही है |इंटरनेट की बादशाहत को लेकर जारी यह जंग अब और भी दिलचस्प होने जा रही है |जिसके केंद्र में हैं फेसबुक और गूगल |गूगल जहाँ यूट्यूब के जरिये वीडियो बाजार के एक बड़े हिस्से पर काबिज है |वहीं उसको टक्कर देने के लिए फेसबुक ,इन्स्टाग्राम में नए परिवर्तन कर वीडियो बाजार के इस हिस्से में यूट्यूब इस  की इस बादशाहत को खत्म करना चाह रहा है |
इन्स्टाग्राम यह एक फोटो और विडियो शेयरिंग एप्प है जिसे फेसबुक ने साल 2012 में मात्र एक बिलीयन डॉलर में खरीदा था |आज इसकी कीमत सौ बिलियन डॉलर हो गयी है|ब्लूमबर्ग इंटेलीजेंस रिपोर्ट के अनुसार इन्स्टाग्राम के आज एक बिलियन एक्टिव यूजर हैं जो जल्दी ही दो बिलियन हो जायेंगे और अगले पांच साल में इसके उपभोक्ता फेसबुक के बराबर हो जायेंगे |अन्य सोशल मीडिया साईट्स की तरह इन्स्टाग्राम भी अपना इंटरफेस लगातार बदल रहा है जैसे कि  फोटोग्राफिक फिल्टर्सस्टोरीजछोटे विडियोईमोजीहैशटैग इत्यादि |भविष्य की रणनीति को ध्यान में रखते हुए इन्स्टाग्राम ने एक नई शुरुआत की है |वह है आई जी टीवी इसके  ज़रिये कोई भी यूजर एक घंटे तक का लंबा विडियो अपलोड कर सकता है लंबे विडियो का मतलब है कि यूजर ज्यादा समय तक इन्स्टाग्राम   पर रहेगा| जाहिर है यह लक्ष्य  आर्थिक एवं व्यवसायिक दृष्टिकोण से हर एप्प बनाने वाली कंपनी हासिल करना चाहती है इसका सीधा फायदा फेसबुक को भी मिलेगा |अभी तक लोग यूटयूब के अपने वीडियो फेसबुक के प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करते हुए उसे लोकप्रिय बनाते थे और उन वीडियो को देखने के लिए उपभोक्ता फेसबुक को छोड़कर यूटयूब के प्लेटफोर्म पर चले जाते थे ,जिससे फेसबुक को ज्यादा लाभ नहीं होता था तस्वीर का एक रुख यह भी है कि इंस्टाग्रामफेसबुकट्विटरस्नैपचैट और यूट्यूब इत्यादि जैसे आनलाइन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के बढ़ने के साथ व्यवसायिक कंपनियों का रुख सीधे विज्ञापन की बजाय   इंफ्लुएंशर मार्केटिंग की ओर बदला है. जेम्फो इंडिया इंफ्लूएंस रिपोर्ट 2018 इंफ्लूएंसर इन्साइट्स एडिशन (आईआईई) अनुसार,भारत में युवाओं पर करीब अस्सी प्रतिशत  तक प्रभाव इंस्टाग्राम से डाला जाता है या फिर इसकी संभवाना है. यह आंकड़े फेसबुक और ट्विटर द्वारा डाले जाने वाले प्रभाव से बहुत ज्यादा हैं|. इस सर्वे के अनुसारसबसे तेजी से बढ़ते सोशल मीडिया चैनल में इंस्टाग्राम (अस्सी प्रतिशत )ट्विटर (छप्पन प्रतिशत)फेसबुक (बावन प्रतिशत)यूट्यूब (छियालीस प्रतिशत)और व्हाट्सएप (बत्तीस प्रतिशत) है|इन्स्टा की यह लोकप्रियता उसके नए वीडियो प्लेटफ़ॉर्म को लोकप्रिय बनाने में काम आ सकती है
लेकिन आईजीटीवी यूटयूब को टक्कर दे सकता हैं क्योंकि इन कुछ सालों में इन्स्टाग्राम  की लोकप्रियता में तेज़ी से उछाल आया है और लोग इन्स्टाग्राम  के वीडियो फेसबुक पर शेयर करेंगे तो ऑडिएंस फेसबुक की अपनी कम्पनी के प्लेटफ़ॉर्म पर ही रहेगी न कि प्रतिद्वंदी कम्पनी गूगल के प्लेटफ़ॉर्म यूट्यूब पर |
एक और ख़ास बात इन्स्टाग्राम के आईजी टीवी के विडियो लम्बवत (वर्टीकल) ही रहेंगे इससे उपभोक्ता को अपना  मोबाइल घुमाने की ज़रूरत नहीं होगी जैसा कि यूटयूब के वीडियो देखते वक्त करना पड़ता है लेकिन गूगल द्वारा चलायी जाने वाली वीडियो  सर्विस यूटयूब के सक्रिय  दर्शक  की संख्या हर माह  1.9 बिलियन है उपभोक्ताओं के हिसाब से आज की तारीख़ में यूटयूब का विस्तार इन्स्टाग्राम  से दो गुना है लेकिन फेसबुक  द्वारा संचालित यह सेवा  लंबे वीडियो  के क्षेत्र  में यूटयूब के विज्ञापन बाजार  को कड़ी टक्कर दे सकता हैहालाँकि इन्स्टाग्राम  के लंबे विडियो वाले प्लेटफार्म को  अभी बहुत सारी चुनौतियों  का सामना करना पड़ेगा जैसे कि कंटेंट बनाने वालों के साथ रेवेन्यू मॉडल का ढांचा तय करनाबीडियो के निर्माता और दर्शकों  दोनों को बांधे रखना |नए दर्शकों को एक दूसरे  से जोड़ना जैसी आवश्यक चीजें शामिल हैंयूटयूब कंटेंट बनाने वालो के साथ रेवेन्यू  सीधे साझा करता है जिससे सफल वीडियो क्रिएटर की कमाई लगभग १०००० डॉलर हर महीने की हो जाती है और कुछ प्रसिद्ध क्रिएटर १००००० डॉलर तक भी अपने वीडियो से कमा रहे हैं इन्स्टाग्राम  की नीति अभी  इस संदर्भ  में स्पष्ट नहीं  है इन्स्टाग्राम में ज्यादा फालोवर रखने वाले लोग इंफ्लुएंशर मार्केटिंग से पैसा कमा रहे हैं जिसमें कम्पनियां सीधे ऐसे लोगों को अपना उत्पाद या धन देती हैं |जिनके पास ज्यादा फालोवर हैं उन्हें इन्स्टाग्राम सीधे कोई धन नहीं देता है  |दूसरी सबसे अहम् चुनौती है आईजीटीवी प्लेटफ़ॉर्म को कैसे साफ़ सुथरा रखा जाए अश्लील और आहत करने वाले विडियो पर लगाम कैसे लगायी जाए |यूट्यूब की इस मामले में स्थिति बड़ी स्पष्ट है |वे कॉपी राईट उल्लघन करने वाले वीडियो को तुरंत हटाते हैं इसके अलावा हिंसा और अश्लीलता फैलाने वाले वीडियो पर भी उनका रुख कड़ा रहता है |उनकी पूरी टीम इस मामले में काफी संवेदनशील है |वहीं दूसरी तरफ बहुत सारे यूटयूबर्स ने इन्स्टाग्राम में अपने अकाउंट बना लिया है लेकिन  उन लोगों ने यूटयूब का साथ अभी नहीं छोड़ा है |फेसबुक और गूगल में छिड़ी वर्चस्व की इस जंग में फायदा उपभोक्ताओं को मिलेगा  जिन्हें अपनी क्रिएटिविटी दिखाने और लोगों से जुड़ने के मौके नए फीचर्स के साथ मिलेंगे |
नवभारत टाईम्स में 14/07/18 को प्रकाशित 

Tuesday, July 3, 2018

तेरा चेहरा कितना सुहाना

हमारी जवानी के दिनों में एक गाना बहुत हिट हुआ था.  फिल्म सलामी का “चेहरा क्या देखते हो दिल में उतर कर देखो न” , बात एकदम खरी है. दिल और चेहरे का एकदम सीधा सम्बन्ध है. “लाख छुपाओ छुप न सकेगा राज हो कितना गहरा दिल की बात बता देता है असली नकली चेहरा”. ये भी एक फिल्म का ही गाना है पर इसमें कितना बड़ा फलसफा छुपा हुआ है  . बात चेहरे की चल रही है तो मेरी एक अजीब आदत है भीड़भाड़ मेंसेमिनार मेंट्रेन की यात्राओं में मैं चेहरे मिलाया करता हूँ  .अगर किसी अपरिचित का चेहरा अपने किसी परिचित से मिलता-जुलता हुआ तो मैं गिनने लगता हूँ कि दोनों की क्या-क्या अदाएं मिलती-जुलती हैं. ऐसे न जाने कितने अपरिचितों से कभी बात करने की हिम्मत तो नहीं हुईलेकिन मुझे एक बात तो समझ में जरुर आ गयी  कि हर चेहरा कुछ कहता है .रोज़ हम न जाने कितने चेहरे देखते हैं लेकिन कभी गौर नहीं करते असल में चेहरा हमारे व्यक्तित्व   का आइना होता है और हर चेहरा बहुत कुछ कहता है लेकिन अगर  हम समझना चाहें तो .
            चेहरे से ही हमारी सोच और देहभाषा  का पता चलता है मतलब कि परदे के पीछे क्या चल रहा है .डर से चेहरा काला पड़ जाता है गुस्से में चेहरा लाल हो जाता है ,शर्म से चेहरा गुलाबी हो जाता है और बीमारी में चेहरा पीला पड़ जाता है. ये तो चेहरे के रंग हैं जो जिन्दगी की हलचल को बताते हैं. पर ये रंग जो चेहरे पर दिखते हैं वह वास्तविकता में हमारे दिल की भावनाएं होती हैं जो चेहरे पर दिखती हैं . हम अगर अन्दर से अच्छा महसूस कर रहे हैं तो चेहरे पर वो खुशी दिखेगी अगर दुखी हैं तो चेहरा भावहीन  दिखेगा. चेहरे को अच्छा रखना है तो दिमाग को अच्छा रखना बहुत जरूरी है . दिमाग को अच्छा रखने का एक मात्र तरीका है कि अपना दिमाग हमेशा खुला रखा जाए और नए विचारों का स्वागत किया जाए .चेहरे की खूबसूरती का राज़ किसी फेयर नेस क्रीम में नहीं है बल्कि विचारों के खुलेपन  मे है . क्योंकि विचार ही तो हमारी आपकी सोच बनाते हैं और सोच ही आम इंसान को खास बनाती है और अगर आप ऐसा कर पाए तो लोग यही कहेंगे न तेरे चेहरे से नज़र नहीं हटती .
                     इस छोटे से दिमाग को अगर हम अपनी सकारात्मक सोच से  खुला रखेंगे तो किसी का भी  चेहरा निखरेगा ही  .जिन्दगी में लाख दुःख हैं. पीड़ा और चिंताएँ हैं फ़िर भी जिन्दगी खूबसूरत तो है ही नहर एक के पास जिन्दगी को जीने के अपने कारण हैं .सोचिये की आपका कौन सा काम किसी के चेहरे पर मुस्कान सजा सकता है .किसी को खुश कर सकता है .उस काम की तलाश कीजिये और जिन्दगी को खूबसूरत बनाइये.तो आज से ही उस काम की तलाश में लग जाइये और फ़िर देखिये आपका चेहरा भी कैसे दमकेगा .चेहरे की खूबसूरती का राज हमारे पास ही है ख़ुद खुश रहिये और दूसरों को खुश रखिये .जब आप ऐसा करेंगे तो लोग अनायास आपको देख के कह उठेंगे “तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है”.
प्रभात खबर में 03/07/2018 को प्रकाशित 

Monday, July 2, 2018

लन्दन की तरह हमें भी इतिहास को सहेजने की जरुरत

थेम्स नदी न तो किसी की माँ है न ये किसी को बुलाती है और न ही लोग इसकी पूजा करते हैं ।मैं तीन घण्टे मैं इस नदी के किनारे चक्कर लगाता रहा न कोई प्लास्टिक न कोई कूड़ा सिर्फ मिला तो उल्लासित जीवन हंसते मुस्कुराते लोग ।ये देश हमसे इतना आगे क्यों है ?इनका एक रुपया पढ़ें पाउण्ड हमारे 93 रुपये के बराबर है और ये हमसे वाकई सौ गुना आगे हैं | इतवार के दिन  लंदन के सारे चर्च खाली थे सदियों पहले चर्च राजकाज से बाहर हो गए थे या कर दिए गए थे ।यहां के चर्च सूने पड़े हैं आने वालों में सैलानी ज्यादा हैं भक्त कम । कुछ भी हो पर भीड़ थी यहां के म्यूजियम में तैंतीस एकड़ में फैले चिड़िया घर और खूब सारे पार्क में जहां स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता है वहीं विज्ञान का साथ भी ।धर्म अब निजी नहीं नितांत व्यक्तिगत मामला हो गया है ।खैर दुनिया भर के लोगों के बीच घूमते हुए एक आज एक और इच्छा पूरी हो गई अपने जासूसी नायक शरलॉक होम्स के घर को देखने की 221B Beker Street  अब हम निकले कैम्ब्रिज शहर की ओर दुनिया के किसी कोने में अगर आप किसी भी पढ़े लिखे इंसान से कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के बारे में पूछेंगे तो वो इस जगह की महानता से परिचित होगा बस शिक्षा की दुनिया के ऐसे तीर्थ पर हम भी सज़दा करने आ गए ।ऐसी जगह पर मेरे मेजबान एक ऐसे दोस्त थे जिसने करीब दस साल पहले भारत की नागरिकता छोड़ कर ब्रिटेन की नागरिकता ले ली थी एक ऐसा परिवार जहां के बच्चे हिंदी ब्रिटिश एक्सेंट में बात करते हैं और माता पिता खालिस देशी ,केम्ब्रिज विश्वविद्यालय देखकर इतना ही निष्कर्ष निकाला जा सकता है वो देश जिसने शिक्षा में निवेश नहीं किया वो.......लंदन दो हजार साल पुराना शहर है ।इस शहर में न जाने कैसे कैसे संग्रहालय और स्मारक हैं नर्सिंग संग्रहालय ,उद्यान संग्रहालय ,युद्ध संग्रहालय दुनिया भर की दुर्लभ पेंटिंग्स का संग्रह और तो और विश्वयुद्ध में मारे गए जानवरों के लिए भी स्मारक ।यह शहर अपने इतिहास पर गर्व तो जरूर करता है पर इतिहास में हुई गलतियों से सीखता भी है और ये संग्रहालय स्मारक आदि उसी का नमूना हैं जो इसे याद दिलाते हैं कि यह कहाँ से चला और अब इसे कहाँ जाना है ।हम भारतीय अपने इतिहास पर सिर्फ गर्व करते है पर न तो उसस कुछ सीखते हैं और न ही आने वाली पीढ़ियों के लिए सहेजते हैं जिससे आने वाला कल बेहतर हो शायद इसीलिए एक पाउण्ड 94 रुपये का है |लंदन में  मुझे बर्मा ,अफगानिस्तान ,पाकिस्तान ,केन्या और एयरपोर्ट पर हिंदुस्तानी भी मिले जिन्होंने वर्षों पहले अपने देश को छोड़ दिया था जहां अंग्रेज कभी राज करते थे ।सबको फिलहाल न तो अंग्रेजों से कोई परेशानी है और न ही इस देश से आधे तो ठीक से अंग्रेजी भी न बोल पाते हैं पर ज़्यादातर सस्ती दुकाने प्रवासी ही सम्हाले हुए हैं ।सबका मानना है ये देश जब उन्हें अपना लेता है तो इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि उनकी चमड़ी का रंग क्या है या वो किस जबान में बात करते हैं वो बस इस देश के नागरिक हैं और यह देश अपने नागरिकों के साथ हमेशा खड़ा है ।चलते चलते यहां मुझे सड़कों पर अंग्रेजी कम सुनाई पड़ी और दुनिया भर की न जाने कितनी बोलियां जिनमें से ज्यादातर को मैं नहीं जानता था ज्यादा सुनाई पड़ी।मुझे भारत याद आ रहा था ।विदा लंदन मैं फिर लौटूंगा।
अमर उजाला लखनऊ में 02/07/2018को प्रकाशित 









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