Friday, October 23, 2009

लेट'स विश अ लॉट


कभी कभी कुछ बातें ऐसी हो जाती हैं कि हमारे दिमाग में अब तक फीड हुई परिभाषाएं एकदम नए रूप में सामने आ खडी होती हैं .अक्सर अपने बच्चे से मैं उसकी चॉकलेट की जिद या किसी और चीज़ के लिए जिद करते समय  उसे यही समझाता हूँ कि लालच बुरी बात है .एक  चॉकलेट  ही मिलेगी ज्यादा नहीं . मेरा बेटा शायद मेरे कहे को ज्यादा बड़े अर्थों में गुण रहा था .एक दिन उसने कहा पापा ,आप मुझसे ये क्यों कहते हैं कि लालच बुरी बात है .मुझे ज्यादा नंबर लाने का लालच है , तो क्या यह बुरा है ? मुझे स्पोर्ट्स में ट्राफी जीतने का लालच है, तो क्या यह गलत है ? मुझे लालच है कि मैं आपके साथ ज्यादा वक्त बिताऊं क्या यह गलत है ? बेटा अपनी बात कह चुका था और मैं उलझन में पड़ गया था .अब कहानी में यही थोडा सा ट्विस्ट है हमें बचपन से बताया जाता है कि लालच करना बुरी बात है जितनी चादर है उतना ही पैर पसारना चाहिए ये कहावतें आपने भी सुनी होगीं लेकिन जब हम हैं नए तो अंदाज़ क्यों हो पुराना तो आइये इस लालच के फलसफे को समझने की कोशिश की जाए.
बात थोड़ी पुरानी है एक जंगल में एक आदमी रहता था न पास में कपडा न ही रहने को मकान लेकिन उसके पास एक दिमाग था जो सोचता था समझता था उसने सोचा क्यों न उसके पास रहने को एक ऐसी जगह हो जहाँ उसे बारिश में भीगना न पड़े ठण्ड में ठिठुरना न पड़े और गर्मी भी कम लगे अब आप सोच रहे होंगे कि ये बात उसके दिमाग में आयी कहाँ से अब जंगल में रह रहा था तो जरुर उसने पक्षियों के घोंसले को देखा होगा खैर यहीं से मानव सभ्यता  का इतिहास बदल जाता है. इंसान ने अपने लिए पहले घर बनाया और फिर अपनी जरुरत के हिसाब से चीज़ों का आविष्कार होता गया .बैलगाडी से शुरू हुआ सफ़र हवाई जहाज़ तक पहुँच गया . कबूतर से चिठियों को पहुंचाने की शुरुवात हुई और आज ई मेल का जमाना है .बगल की बंटी की दुकान आज शॉपिंग मॉल्स  में तब्दील हो गयी ,घर के धोबी की जगह कब वाशिंग मशीन आ गयी हमें पता ही नहीं चला .लेकिन इन सब परिवर्तन में एक बात कॉमन है वो है लालच , लालच जीवन को बेहतर बनाने का, लालच जिन्दगी को खूबसूरत बनाने का ,लालच खुशियाँ मनाने का ,लालच आने वाले कल को बेहतर बनाने का. आप भी सोच रहे होंगे कि ये कौन सी उल्टी गंगा बहाई जा रही है लालच अच्छा भी होता है. लालच अगर अच्छा न होता तो हम ज्यादा का इरादा कैसे कर पाते, कैसे और ज्यादा विश करते . जब इरादा है और विश भी तो आगे बढ़ने से कौन रोक सकता है . सचमुच आज सारी प्रोग्रेस सारी ग्रोथ लालच यानि और ज्यादा पाने की तम्मना से जुडी है थोडा और विश करो का फंडा ही तो हमें आगे ले जता है.लालच अगर अच्छा न होता तो हम ज्यादा का इरादा कैसे कर पाते कैसे और ज्यादा विश करते .अब तो मुझे लगने लगा है कि सारी दुनिया की तरक्की विज्ञानं के नए आविष्कार सब लालच का ही नतीजा हैं. सैचुरेशन पॉइंट से उठाकर आगे ले जाने का काम करता है हमारा लालच . एजुकेशन पीरीयड हो या जॉब टाइम हमारा लालच ही हमें आगे ले जाने को प्रेरित करता है .
अब जबकि लालच के इस पक्ष से सामना हुआ है तो मेरे मन में भी न जाने कैसे कैसे लालच पनपने लगे हैं .लालच इस दुनिया को हिंसा से मुक्त करने का शांति की बात को किताबों और भाषणों से निकाल कर सारी दुनिया में गूंजा देने का .आम आदमी को खास आदमी बना देने का लालच .एजूकेशन , हेल्थ रोजगार जैसी बेसिक चीज़ों को हर किसी के लिए उपलब्ध कराने का लालच वह भी बिना किसी ज्यादा मशक्कत के , करप्शन से मुक्ति का लालच .
अरे अरे मेरे लालच की लिस्ट तो बढ़ती ही जा रही है .यहीं रोकता हूँ इस लिस्ट को .लेकिन इतना जरूर है कि अब मैं अपने बेटे से यह नहीं कहूँगा कि लालच मत करो.बेटा खूब लालच करो और हर लालच के लिए जिद करो .उसे पूरा करो .बस यह लालच आशावादी सोच के साथ हो. तो अब आपका क्या ख्याल है लालच के बारे में .
आई नेक्स्ट में २३ अक्टूबर को प्रकशित

पसंद आया हो तो