Tuesday, March 6, 2012

सटला ता गइला बेटा

            चीज छोटी हो या बड़ी सबका अपना मतलब है अब आप किस्से क्या सीखते हैं ये आपके ऊपर है.ना ना लेक्चर नहीं है मेरा एक ओब्सेर्वेशन है जो आज आप सब से बाटूंगा.बुरी नजर वाला तेरा मुंह काला , कुछ याद आया कहाँ पढ़ा था अच्छा ये सुनकर तो मुझे पूरा यकीन है कि आपको काफी कुछ याद आ जाएगा हम दो हमारे दो जी हाँ सड़क पर गुजरते किसी ट्रक पर आपने जरुर पढ़ा होगा जगह मिलने पर पास दिया जाएगा.बात जरुर सड़क की है पर इसमें कुछ भी सडकछाप नहीं है.हम किस मैसेज को कितना सीरयसली लेते हैं ये हमारे ऊपर है. आज सड़क और ट्रक के बहाने ही सही हम ये महसूस कर पायेंगे कि लाईफ में कितना कुछ हमारे सामने होता रहता है पर हम हैं कि ध्यान ही नहीं देते.इंसान की बनाई  बड़ी जबरदस्त कला कृति हैं ये ट्रक अगर ध्यान से देखें  तो अपने ओके होर्न प्लीज के ट्रक  बहुत ही मानवीय आकार के साथ बनाये जाते रहे है और जो कसर रह जाती थी वह  अपने बॉडी मेकर पूरी  कर देते हैं  ध्यान से देखिये एक चौड़ा  माथा दो आंखें और नाक तो आप को आसानी से दिख जाएंगी हो सकता हो नीचे एक जूता भी लटका हो बुरी नज़र वाले तेरा मुंह काला के साथ.हम दो हमारे दो जैसे ना जाने कितने स्लोगन को लोकप्रिय बनाने में इन ट्रकों का बहुत बड़ा रोल रहा है,कितना कुछ लिखा होता है इन ट्रकों पर हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में सब भाई भाई जैसे सोशल मैसेज तो कहीं हलके तरह से लिखे गए शेर जो लाईफ की फिलासफी को कितनी आसानी से कम्युनिकेट करते हैं खलिहान में नहीं धानहाड़ में नहीं जान,पत्थरों की जाजमधूप का पैराहन,क्या सूबाक्या निजामकैसा ईमान,कल्लू दे ढाबे पर सबको राम-राम क्या खालिस क्रिएटिविटी है और हर ट्रक अपने क्षेत्र विशेष का प्रतिनिधित्व करता है. जो लोग बहुत तेज गाडियां चलाते हैं उनके लिए आपने जरुर पढ़ा होगा सटला ता गईला बेटा यह उत्तरप्रदेश के पूर्वी हिस्से में बोली जाने वाली भाषा में है जिसका मतलब अगर आप चलती  गाड़ी के ज्यादा पास आयेंगे तो मौत निश्चित है.बात को आगे बढ़ाते हैं हम सब के अंदर हर चीज़ पर अपनी छाप छोड़ने  की बड़ी चाह होती है कि मैं यहाँ रहता हूँ मैं यहाँ आया था ,जैसे कि चाँद पर गए झंडा गाड़ आये हिमालय पर  गये वहां भी झंडा गाड़ आये और जो झंडा नहीं गाड़ पाते वो कुछ और करते है जैसे कि ट्रक (वैसे ट्रक ड्राईवर का घर ही होता है)  पर अपने अरमान निकाल लेते हैं चूँकि ट्रक ड्राईवर काफी समय तक अपने घरों से दूर रहते हैं इस लिये वह अपने  ट्रक को ही अपना साथी और घर  के रूप में देखने लगते हैंट्रक पर लिखे जुमले कुछ कुछ ड्राईवर के एट्टीट्यूड,आइडोलाजी और उसके पेन को भी दिखाते हैं. ये जुमले किसी के द्वारा लिखवाये जाएँ पर ये सोशल मेसैज पहियों पर घूमते पूरे देश में लोगों को जागरूक करते हैं. पेट्रोल की बचत की सन्देश देता ये नारा बड़ा महान है ये ईराक का पानी थोडा कम पी रानी इनको लिखने वाले कोई बड़े साहित्यकार ना हों पर जिन लोगों को जागरूक करने की जरुरत है उनकी सोच के हिसाब से उन्हीं के बीच के किसी शख्स द्वारा लिखा गया है जो ना तो क्रेडिट की डीमांड करते हैं ना रोयल्टी की बस गुमनाम बने रहते हुए चुपचाप अपने काम में लगे हैं भले ही एस एम् एस लैंगुएज को ईजाद करने का श्रेय इन्हीं ट्रक ड्राइवर को दिया जाना चाहिए आपको भरोसा ना हो रहा तो जरा इस पर नज़र डालें 13 मेरा 7 अब आप इसे क्या पढेंगे तेरा मेरा साथ हैं ना मजेदार तो ट्रक के इस फलसफे को उन्हीं के तरीके से समाप्त करता हूँ फिर मिलेंगे
 आई नेक्स्ट में 06/03/12 को प्रकाशित 

Thursday, March 1, 2012

एस एम् एस की विदाई से उपजती संभावनाएं

अभी कुछ समय पहले रक् वह युवा वर्ग में परस्पर संपर्क का सबसे लोकप्रिय साधन था .सड़क पर ,ट्रेन या बस में रेस्तरां में यहाँ तक कि घर में हर जगह ऐसे लोग दिख जाते थे जिनकी उँगलियाँ अपने मोबाईल फोन के की बोर्ड पर तेजी से घूम रही होतीं थीं .मोबाईल फोन के जरिये भेजे जाने वाले संक्षिप्त सन्देश यानि एस एम् एस के कारोबार को बढाने के लिए नेटवर्क कम्पनियाँ लगातार नित नए प्लान पेश कर रही थीं लेकिन काफी समय तक बढ़ता यह कारोबार अब ढलान पर है ..ओवम नाम की  संस्था के  अनुसार सोशल मैसेजिंग एप्लीकेशन की संख्या बढ़ने की वजह से मोबाइलों के जरिए होने वाले एसएमएस की संख्या में भारी कमी आई है.इसकी वजह से बीते साल  मोबाइल नेटवर्क कंपनियों को 13.9 अरब डॉलर ( लगभग छ सौ पच्चासी  अरब रुपए) का नुकसान हुआ है. ओवम ने दुनिया भर में स्मार्टफ़ोन के जरिए उपयोग में लाए जाने वाले विभिन्न सोशल मैसेजिंग एप्लीकेशन का अध्ययन किया. सोशल मैसेजिंग एप्लीकेशन सामान्यतः महंगे एसएमएस के स्थान पर फोन के जरिए मिलने वाली इंटरनेट सुविधा का उपयोग करते हैं.यह इंटरनेट की बढ़ती शक्ति को दिखा रहा है जो यह बताता है कि इंटरनेट किस तरह भविष्य के नए संचार साधनों में सबसे अग्रणी भूमिका निभाने वाला है.इसके व्यवसायिक पहलू भी हैं.फेसबुक अपने आई पी ओ के  शेयर विवरण पत्र (प्रोस्पेक्टस) में बताता  है,कि  ये सोशल नेटवर्किंग साइट अपने उपयोगकर्ता (यूज़र) आधार को भारत में बढ़ाने का इरादा रखती है. ऐसा मोबाइल एप्स समेत अपने उत्पादों में इज़ाफे” के माध्यम से किया जाएगा.विश्व में मोबाईल संचार का विस्तार बहुत तेजी से हुआ है.कंप्यूटर नेटवर्किंग उपकरण में अग्रणी  कंपनी सिस्को ने दुनिया में मोबाइल ट्रैफिक पर शोध के बाद पाया है कि इस वर्ष मोबाइल फ़ोन की संख्या दुनिया की आबादी से अधिक हो जाएगी.सिस्को के अनुसार वर्ष 2016 में दुनिया भर में दस अरब मोबाइल फ़ोन काम कर रहे होंगे.इसमें कोई शक नहीं मानव सभ्यता के इतिहास को बदलने में सबसे बड़ा योगदान आग और पहिये के आविष्कार ने दिया लेकिन इन्टरनेट की अवधारणा ने इस सभ्यता का नक्शा हमेशा के लिए बदल दिया. भारत में मोबाईल फोन ग्राहक मोबाईल इन्टरनेट प्रयोगकर्ताओं के मुकाबले बहुत ज्यादा हैं. पूरी दुनिया में इस्तेमाल किये  जा रहे मोबाइल नेटवर्क में सोशल मैसेजिंग की भूमिका अभी  सीमित है पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि तकनीक का इस्तेमाल  संक्रामक रोग की तरह फैलता है और यहाँ एक मौन इन्टरनेट क्रांति आकार ले रही है.तेजी से बढ़ती मोबाईल धारकों की संख्या भविष्य के मोबाईल इन्टरनेट प्रयोगकर्ताओं को तैयार कर रही है. मोबाईल इन्टरनेट इस्तेमाल करने वाली कुल आबादी का पचहत्तर प्रतिशत हिस्सा बीस से उनतीस वर्ष के युवा वर्ग से आता है इसमें खास बात यह है कि यह युवा वर्ग सोशल नेटवर्किंग साईट्स पर सबसे ज्यादा सक्रिय है .सोशल नेटवर्किंग साईट्स लगातार ऐसे एप्स बना रही हैं जो मोबाईल के लिए मुफीद हो और संदेशों के आदान प्रदान में लागत कम आये जिसका सीधा असर एस एम् एस से होने वाली कम आय पर पढ़ रहा है रही सही कसर इन्टरनेट पर सैकड़ों की संख्या में उन वेबसाईट ने पूरी कर दी है जो मुफ्त में एस एम् एस भेजने का विकल्प उपभोक्ताओं को देती हैं इस सबमें अच्छी बात यही है कि एस एम् एस की विदाई कोई बुरी खबर नहीं है ,बल्कि यह तकनीक की तरक्की के लोकप्रिय होते जाने की कहानी है .
दैनिक हिन्दुस्तान में 29/02/12 को प्रकाशित 

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