भारत सचमुच विचित्रताओं का देश है। जहां
पूरी दुनिया में स्मार्टफोन की मांग लगातार बढ़ रही है, वहीं भारत में फीचर
फोन अब भी लोगों की पहली पसंद हैं। वह उन भारतीय ग्राहकों को लुभा रहे हैं , जो महंगे स्मार्टफोन नहीं खरीद सकते।
सिंगापुर, ताईवान व ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने जहां 2-जी नेटवर्क को अलविदा कह दिया है, वहीं भारत में 2-जी नेटवर्क के सहारे साधारण फीचर फोन कम
कीमत, ज्यादा बैटरी लाइफ, संगीत सुनने की सुविधा व बेसिक इंटरनेट सेवा
के साथ भारत में लोगों को ऑनलाइन जोड़ रहा है।फीचर फोन से तात्पर्य उन मोबाइल फोन से है, जिनका प्रयोग वॉयस
कॉलिंग और टेक्स्ट मैसेज के लिए किया जाता है। इसके अलावा इनमें बेसिक मल्टीमीडिया सुविधा होती है, जिससे ऑडियो-वीडियो
सुविधाओं का आनंद उठाया जा सकता है।ये बहुत कम कीमत में उपलब्ध हैं। वहीं
पर स्मार्टफोन इंटरनेट आधारित हैं,जो बात करने के अलावा इंटरनेट की दुनिया
में एप सुविधाओं के साथ असीमित विकल्प देते हैं। ये फीचर फोन के मुकाबले
महंगे होते हैं और इनकी परिचालन कीमत भी महंगी होती है। ये टच स्क्रीन
सुविधा पर चलते हैं।
वैसे भी, शहरों में देखा गया है कि आजकल लोग दो फोन का इस्तेमाल कर
रहे हैं- साधारण फीचर फोन बात करने के लिए और इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए स्मार्टफोन। आंकड़ों की रोशनी में यह तथ्य
ज्यादा स्पष्ट तस्वीर पेश करता है। स्टेटिस्टा की एक रिपोर्ट के अनुसार 2023 में, भारत में फ़ीचर फ़ोन
बाज़ार से उत्पन्न राजस्व आश्चर्यजनक रूप से 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर होगा। दुनिया भर के अन्य देशों की तुलना
में, भारत 2023 में 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर
के साथ इस बाजार में राजस्व सृजन के मामले में सबसे आगे है |2028 तक देखते हुए, फ़ीचर फ़ोन बाज़ार की
मात्रा 37.6 मिलियन पीस यूनिट तक पहुंचने का अनुमान है।साइबरमीडिया
रिसर्च (सीएमआर) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के फीचर फोन बाजार में 2023 की दूसरी तिमाही में
उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। कुल फीचर फोन बाजार शिपमेंट में 9% साल-दर-साल (YoY) वृद्धि दर्ज की गई।रिपोर्ट
में यह भी उल्लेख किया गया है कि 2जी फीचर फोन शिपमेंट की वृद्धि स्थिर रही, जबकि 4जी फीचर फोन शिपमेंट
में तेज वृद्धि देखी गई। रिपोर्ट के अनुसार, 4जी फीचर फोन शिपमेंट
में सालाना आधार पर 108% की महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गई। एंड्रॉइड फोन की बढ़ती लोकप्रियता
के बीच फीचर फोन की प्रासंगिकता के बने रहने का बड़ा कारण भारतीय परिस्थितियों में इनका
एक औसत भारतीय के लिए
सस्ता होना, दूसरा बिजली की कम उपलब्धता और स्मार्टफोन की बैटरी का जल्दी से खर्च होना है, जिससे उनको बार-बार
चार्ज करना पड़ता है। वहीं फीचर फोन की बैटरी एक बार चार्ज करने के बाद लंबे समय तक चलती है।फीचर फोन पुश बटन
पर चलते हैं, जिसको चलाने के लिए किसी तरह की विशेषज्ञता की जरूरत नहीं होती है।
यहां
फोन का मतलब बातें करना और मैसेज भेजना भर है। अशिक्षा की वजह से इंटरनेट
की बेसिक सुविधाओं का भी इस्तेमाल नहीं किया जाता। भारतीय परिस्थितयों में जहाँ फोन को सम्हालना भी एक बड़ा काम है |फीचर फोन चाहे गिर ही
क्यों न जाए या फिर इसके पीछे का ढक्कन ही क्यों न खुल जाए, यह फोन बेहद ही टिकाऊ होते हैं। एक बार फीचर फोन खरीदने के बाद
कोई भी इसे 5 से 6 साल तक आसानी से चला सकते हैं।दूसरा बड़ा कारण फीचर फोन की मांग ग्रामीण इलाकों
में ज्यादा है जहाँ मनोरंजन के साधन के रूप में सिर्फ इंटरनेट का
इस्तेमाल अभी भी एक महंगा विकल्प है वहां पुराने जमाने के मोबाईल गेम्स को
खेलना सीखना और सिखाना दोनों आसान हैं |
नोकिया के स्नेक गेम तो कौन ही भूल सकता है। फीचर
फोन्स में कई ऐसे गेम्स आते हैं जिनको आज भी खेलना काफी मनोरंजक होता होता है।
इसके अलावा बगैर इंटरनेट के भी ऍफ़ एम् सुनने का विकल्प उपलब्ध होना इसकी लोकप्रियता का लगातार बने रहने
का एक बड़ा कारण है |भले ही दुनिया आजकल पोडकास्ट की दीवानी हो रही हो पर
यह शहरी प्रवृत्ति है और भारत गाँवों में बसता है |जहाँ अभी भी मनोरंजन के लोगों की निर्भरता
रेडियो पर ज्यादा है |फीचर फोन के हैक किये जाने का खतरा कम होता है |फीचर फोन किसी की
निजता की रक्षा ज्यादा बेहतर ढंग से करते हैं |लेकिन तस्वीर का दूसरा रुख यह भी है कि स्मार्टफोन लगातार
बढ़त बनाये हुए हैं जैसे जैसे विकास का फल समावेशी रूप से भारत के हर हिस्से में पहुंचेगा वहां
स्मार्टफोन भी पहुँच जायेंगे |लेकिन फिलहाल भारतीय स्थितयों में फीचर फोन अभी लम्बे समय तक प्रासंगिक बने रहने वाले हैं |
अमर उजाला में 28/12/2023 को प्रकाशित