Friday, March 13, 2009

होली कहीं गयी नहीं ................


होली तो हो , ली जी हाँ रंगों का त्यौहार कुछ रंगीन यादें देकर चला गया अगले साल फिर आने के लिए और छोड़ गया रंगों को हमारे साथ जिनसे हम जिन्दगी को नए सिरे से समझें ,नहीं समझें अरे बात सिंपल है जैसे होली में रंग बिरंगे रंगों का इस्तेमाल होता है वैसे ही जिन्दगी में भी कई रंग होते हैं गुस्सा ख़ुशी दुःख अपना पन प्यार और न जाने क्या क्या. दो रंगों को मिला देने से जैसे एक नया रंग बन जाता है वैसे जिन्दगी के भी रंग बड़े अनोखे होते हैं अब मूड ऑफ हो जाना जिन्दगी के दो रंगों का मिल जाना ही है तो है आप एकदम ठीक हैं किसी तरह की कोई प्रॉब्लम नहीं है लेकिन न जाने क्यों काम में मन नहीं लगता देखा न बन गया जिन्दगी का नया रंग. कोई रंग न जाने क्यों हमें किसी की याद दिला देता है और हम यादों के समंदर में डूबने लगते हैं तो कोई रंग हम किसी के होने का एहसास कराता है. यूँ कहें कि हर रंग की अलग कहानी होती है जो सीधे सीधे हमारी लाइफ से जुडी होती हैं वो कहते हैं न मेड फॉर ईच अदर होली के जाने के मतलब ये नहीं की हमारी लाइफ से कलर की शाइनिंग कम हो जाए . होली के बहाने ही सही आज रंग के मर्म को समझा जाये .रंगों की कहानी फ़िल्मी गीत कितनी खूबसूरती से बयां करते हैं. नीले पीले रंगों वाली कैसी है सौगात , अरे ना ना धीरे धीरे चोरी चोरी चुपके डालों इनमे हाथ चूडी नहीं मेरा दिल है (गैम्बलर) वैसे इस गाने में जहाँ नीला रंग चुहलबाजी करता नज़र आ रहा है तो नीले रंग के दुसरे पहलू को बयां कर रहा है सिलसिला फिल्म का ये गीत नीला आसमान सो गया .लाल रंग तो सिम्बल ऑफ़ लव है .लाल छडी मैदान खडी क्या खूब लड़ी लड़ी (जानवर) तो कभी लालगंज के लालबाग से लाल चुनरिया लाई (बीवी नंबर वन) लेकिन कभी कभी ये लाल रंग परेशान भी करता है जब हम यूँ ही किसी को याद कर के गा उठते हैं ये लाल रंग कब मुझे छोडेगा (प्रेम नगर )
लाल रंग की बात हो रही हो तो हरे रंग की बात न हो ये तो इम पोसिबल है इनका साथ कभी खुशी कभी गम जैसा है हरा रंग प्रकृति  का रंग है तो जिन्दगी की आपाधापी से उब अगर कुछ पल शांति से गुजारना चाहते हैं तो याद आता है हरी भरी वसुंधरा है नीला नीला ये गगन (बूँद जो बन गयी मोती) इतने से भी मन न भरे तो ये हरी वादियाँ ये खुला आसमान(रोजा) जैसा गाना आपके तन को ही नहीं मन को भी हरे रंग से भिगो देगा.
हर रंग अच्छा होता है रंगों की तुलना करना भी ठीक नहीं सुख बगैर दुःख के अधूरा है जरूरत बस नज़र की होती है और जिसके पास वो नज़र है वो कथई रंग में भी कितना कुछ देख सकता है .कत्थई आँखों वाली लडकी एक ही बात पर बिगड़ती है (डुप्लीकेट) और धानी चुनरी पहन सज के बनके दुल्हन (हरे कांच की चूडिया)
ये रंगों की दुनिया में ही संभव है की रात गुलाबी हो जाये नहीं भरोसा हो रहा है तो इस गाने पर गौर फरमाएं गुलाबी ,रात गुलाबी ,गुलाबी रात की हर बात गुलाबी (उपकार) अब इस गुलाबी रात में कोई गुलाबी आँखों वाली दिख जाये तो हम यही कहेंगे गुलाबी आँखें जो तेरी देखी ,शराबी ये दिल हो गया (दा ट्रेन ).गोरे और काले रंगों की ये प्यार भरी लडाई देखिये गोरे रंग पे न इतना गुमान कर (रोटी) और हम काले हुए तो क्या हुआ दिलवाले हैं(गुमनाम) ऐसा नहीं है कि ये रंग सिर्फ इंडिविजुअल को ही अफ्फेक्ट करते हैं बात जब ग्रुप की होती है या देश की तो बसंती रंग को कौन भूल सकता है .मेरा रंग दे बसंती चोला (शहीद ) या फिर रंग बना बसंती भगत सिंह रंग अमन का वीर जवाहर से (उपकार ) दुल्हन चली, ओ पहन चली, तीन रंग की चोली(पूरब और पश्चिम)अब इसे रंगों भरी जिन्दगी कहें या जिन्दगी से भरे रंग फैसला करना मुश्किल है लेकिन एक बात तो तय है जिन्दगी में अगर डिफरेंट कलर्स नहीं होंगे तो ऐसी जिन्दगी का कोई मतलब नहीं तो रंग खेलने का मौका तो साल में एक बार ही मिलता है लेकिन जिन्दगी के रंगों से हम रोज़ खेल सकते हैं अपनी जिन्दगी में रोज़ नए रंग भर के कुछ नया करके तो अगली होली तक जिन्दगी के रंगों से सरोबार होते रहिये और देखिये जिन्दगी कितनी खूबसूरत है
आई नेक्स्ट मैं १३ मार्च २००९ को प्रकाशित

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