कहते है, कभी कभी कोई गीत, सुबह सुबह आप सुन ले तो वो गीत आपके जहन पर पूरा
दिन रहता है। हम सारा दिन वो गीत, गाते गुनगुनाते रहते
है। लेकिन उन गीतों का क्या,जिनके बोलों का कोई सीधा अर्थ
नहीं निकलता फिर भी वो हमारी जबान पर चढ़ जाते हैं अगर ऐसा नहीं है तो
गीतों से होने वाले संचार का कोई मतलब नहीं रहेगा आज गीतों की कहानी में
थोडा ट्विस्ट है. वाकई ये गानों की
दुनिया एकदम निराली है क्या आपने कभी सुना है कि किसी शब्द का कोई अर्थ न हो फिर
भी गानों में उनका इस्तेमाल होता है चकरा गए न. मै कोई पहेली नहीं बुझा रहा हूँ आपने कई ऐसे गाने सुने होंगे जिनके
कुछ बोलों का कोई मतलब नहीं होता है लेकिन गानों के लिये बोल जरुरी होते हैं
किशोर कुमार की आवाज़ में ये गाना याद करिए “ईना मीना डीका ,डाई डम नीका” किसी शब्द का मतलब समझ में आया ?फिर भी ऐसे गाने जब भी
बजते हैं हमारे कदम थिरकने लगते हैं. अब इस तरह के गानों से कम से कम ये तो सबक मिलता है कि इस जिन्दगी
में कोई चीज़ बेकार नहीं बस इस्तेमाल करने का तरीका आना चाहिए वैसे भी
क्रियेटिविटी का पहला रूल है हर विचार अच्छा होता है और ये हमारे गीतकारों की
क्रियेटिविटी ही है कि वो गानों के साथ लगातार प्रयोग करते आये हैं. कभी धुन
को शब्दों में ढाल देते हैं और कभी ऐसे शब्दों को गीत में डाल देते हैं कि हम
गुनगुना उठते हैं अई ईया सुकू सुकू (फिल्म:जंगली ) ताजातरीन फिल्म कमीने का “ढेन टणेन” धुन को शब्द बनाने का बेहतरीन प्रयास है फ़िल्मी गानों के ग्लोबल
होने का कारण शायद गीतकारों की
प्रयोगधर्मिता ही है.” इस तरह के गानों के शब्दों का अर्थ भले ही न हो लेकिन ये
सन्देश देने में तो सफल रहते ही हैं डांस की मस्ती को "रम्भा हो हो
हो"(अरमान ) जैसे गीतों से बेहतर नहीं समझा जा सकता है .राम लखन फिल्म का
गाना नायक की अलमस्ती को कुछ ऐसे ही शब्दों में बयां कर रहा है "रम प् पम प् पम ए जी ओ जी करता हूँ
जो मैं वो तुम भी करो जी” असल में इस तरह के
शब्दों का काम गानों की बोली में भावना को डालना होता है हम हवा को देख नहीं सकते
सिर्फ महसूस कर सकते हैं .गीतकार जब भावनाओं को नए तरीके से महसूस कराना चाहता है
तो वह इस तरह के शब्दों का सहारा लेता है लेकिन यह काम बगैर संगीतकार के सहयोग
के नहीं हो सकता है .जिन्दगी में भी अगर
मेहनत सही दिशा में की जाए तभी सफल होती है और हर काम खुद नहीं करने की कोशिश करनी
चाहिए.. अगर आप मेरी बात समझ
रहे हैं तो सुनिए ये गाना "डम डम डिगा डिगा मौसम भीगा भीगा".जिन्दगी में
कितना कुछ है जो हम महसूस कर सकते हैं लेकिन एक्सप्रेस नहीं कर सकते और इन फीलिंग्स को
एक्सप्रेस करने के लिए जब इन अजाब गज़ब से शब्दों का सहारा लेकर कोई गीत रच दिया
जाता है तो ये अर्थहीन शब्द भी मीनिंगफुल हो जाते हैं . छई छपा छई छपाक के छई पानीयों पर छींटे उडाती हुई लडकी (हु तु तु) पानी के साथ खेल का इससे सुन्दर बयान क्या हो सकता
है .गानों में इस तरह के प्रयोग की शुरुवात जंगली फिल्म से हुई .आप भी अभी तक याहू
को नहीं भूले होंगे और ये सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है .जिन्दगी भी तो कभी एक सी
नहीं रहती ,गाने भी हमारी जिन्दगी
के साथ बदलते रहे .आज की इस लगातार सिकुड़ती दुनिया में जहाँ एस ऍम एस भाषा के नए
व्याकरण को बना रहा है .ऐसे में अगर गाने शब्दों की पारंपरिक दुनिया से निकल कर
भावनाओं की दुनिया में पहुँच रहे हैं तो क्यों न गानों की इस बदलती दुनिया का जश्न
मनाया जाए क्योंकि ये अजाब गज़ब गाने अब हमारी जिन्दगी का हिस्सा हैं.
आई नेक्स्ट में ७ सितम्बर २००९ को
प्रकाशित
15 comments:
बधाई !
बहुत सुंदर !
बोलकुल सही कहा है अहमियत एह्सास की है ना कि शब्दों की सुन्दर एहसास ही शब्दों को रुचिकर बनाते हैं आभार्
Jo ham sab soch bhi nahi pate use aap sabdho main bandhkar itne sundar rachna kar dalte hai..really great.........ek chota bachha nirthak sabdo ko bolkar bhi sabka mann moh leta hai........aapki rachna se aaj uska meaning samjh main aa gaya... aapko dher saari bhadhyeya.....
बढियां ,जोरदार राईट -अप
जैसा कि निर्मला ने कहा कि अहमियत एहसास की है न कि शब्दों की,बात तो ठीक है लेकिन उस एहसास को मुकु के शब्द नहीं मिलते तो क्या हम उस एहसास को जान पाते ?
इसलिए शब्द ब्रह्म तो है ही............
लिखते और तलवार की धार पर चलते रहिए।
मुकुल को ढेंरों बधाई...........
ati sundar....badhai.
वाह बहुत सुंदर लिखा है आपने ! बढ़िया लगा ! नवरात्री की हार्दिक शुभकामनायें!
दिल से दिल तक जाने के लिये शब्दों के अर्थ नहीं भाव प्रमुख होते हैं.
सर जी!!! बात गीतों के भाव की नहीं अपितु व्यक्तिगत भावनावो की होती है.. और ये तो जग ज़ाहिर है...इंडियंस आर वैरी इमोशनल....एंड अल्सो दे डू वैरी गुड इमोशनल अत्याचार....सो दैट्स व्हाय "रम प् पम प् पम ए जी ओ जी करता हूँ जो मैं वो तुम भी करो जी”
aapne jo lokha hai o wakai me sach bat hai....pad kar badhiya laga aapko bahut-2 badhi
बेहतरीन.
SIR APNE JO LIKHA BAHUT ACHA LIKH AUR HUMRE AHSAS KI AHMIYAT SAMJHA DEE.
DIL KO CHU JANE WALE GEET AKSAR JUBAAN PAR AA HI JATE HAIN AUR HUM USSE HI AKSAR GUNGUNATE RAHTE HAIN. KAM WAHI KARNA CAHIYE JISME APKA HUNAR HO AUR AAPKO ACHA LAGE AUR SAHI DISHA ME MEHNAT KI JAYE TO SAFALAT AKHUD AAPKE KADAM CUMEGI, KOI BHI KAM DUSARO PAR NA CHOD KAR KHUD KARNA CAHIYE.
"Haua haua nachao na mere yaaq haua haua"samjh me aaye ye na aaye par tb bhi hum naach uthe hai"1 2 chch cha "
ye to sukun or khushi ki baat hai jo hume aachi lagti hai use hum kahi na kahi se dundh hi lete hai
bohat achi baat kahi aapne sir...words chahe kuch bhi ho woh dil tak ager pohanch rahe hai to kaam ho gaya..bas :)
NICE WRITE UP.
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