पिछले दिनों एक वेबसाइट के एक लेख पर नज़र पडी .लेख की शुरुवात कुछ इस तरह थी कि पिछले साल बुकर पुरूस्कार की दौड़ में दो भारतीय अरविन्द अडिग और अमिताव घोष शामिल थे , जिनमें मैदान अरविन्द अडिग के हाथ रहा लेकिन २००८ के लिए साहित्य का सबसे बड़ा पुरूस्कार यानि नोबेल पुरूस्कार फ़्रांसीसी लेखक जॉन मेरी गुस्ताव लाक्लेज़ियो की झोली में गया है.
लाक्लेज़ियो ट्रैवेल लेखक हैं .लेख आगे चलकर दूसरी दिशा में मुड़ जाता है लेकिन मेरा मन मुड़ गया दूसरी ओर मेरे जेहन में अपने बचपन में सुनी गयी वो सारी कहानिया घूमने लगी जो मैंने रजाई में अपने पिताजी के आगोश में दुबक कर या कभी कभी अलाव के गिर्द बैठकर सूनी थी. कभी सिंदबाद दा सेलर, तो कभी गुलिवर तरिवाल्स का कोई घटनाकर्म कभी हातिमताई कुछ न समझ आये तो ऐसे राजकुमार की कहानी जो रानी की तलाश में जंगल जंगल घूम रहा है .
लाक्लेज़ियो ट्रैवेल लेखक हैं .लेख आगे चलकर दूसरी दिशा में मुड़ जाता है लेकिन मेरा मन मुड़ गया दूसरी ओर मेरे जेहन में अपने बचपन में सुनी गयी वो सारी कहानिया घूमने लगी जो मैंने रजाई में अपने पिताजी के आगोश में दुबक कर या कभी कभी अलाव के गिर्द बैठकर सूनी थी. कभी सिंदबाद दा सेलर, तो कभी गुलिवर तरिवाल्स का कोई घटनाकर्म कभी हातिमताई कुछ न समझ आये तो ऐसे राजकुमार की कहानी जो रानी की तलाश में जंगल जंगल घूम रहा है .
सर्दियां शुरू हो गयीं हर मौसम से सबकी कुछ न कुछ यादें जुडी होती है ऐसा ही कुछ मेरे साथ है सर्दियां मुझे मेरे बचपन की याद बड़ी शिद्दत से कराती हैं आप भी सोच रहे होंगे कि मै आप लोगों पर इतना इमोशनल अत्याचार क्यों कर रहा हूँ मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है मै तो सिर्फ इतना याद दिलाना चाहता हूँ कि जिस टोपिक पर मै आज बात कर रहा हूँ वो हमारी जिन्दगी का कितना अहम् हिस्सा है जिसकी शुरुवात हमारे बचपने से हो जाती है मै बात कर रहा हूँ यात्रा की , सफ़र की, याद कीजिये भले ही बचपने की ज्यादातर कहानियां सफ़र से जुडी हुई रहती थीं आज के बच्चे कहानी सुनने की बजाय कार्टून देख कर सोते हों पर ज्यादातर कार्टून उन्हें यात्रा पर ले जाते हैं यात्राओं के बारे में सोचते हुए राहुल संस्क्रतायानन याद न आयें ऐसा हो सकता है क्या ? ट्रावोल्ग पढ़ते वक्त हमेशा ऐसा लगता है था कि घुमक्कड़ी के बाद इतना शानदार कैसे लिख लेते हैं लोग .लेकिन अब समझ में आने लगा है कि जब हम यातारों को जीना शुरू कर देते हैं तो यात्रा वृतांत अपने आप जी उठते हैं कहते है किसी पल को जीभर कर जी लेने के बाद ही डूब कर लिखा जा सकता है मैंने भी आज सफ़र को जीने की कोशिश की .
यात्राएँ हमारे चिंतन को विस्तार देती हैं आप ने वो गाना जरूर सुना होगा " जिन्दगी एक सफर है सुहाना यहाँ कल क्या हो किसने जाना" यूँ तो देखा जाए तो जिन्दगी का सफ़र है तो सुहाना लेकिन इसके साथ जुडी हुई है अन्सर्तेंतिटी और ऐसा ही होता है जब हम किसी सफ़र पर निकलते हैं ट्रेन कब लेट हो जाए बस कब ख़राब हो जाए वगैरह वगैरह मुश्किलें तों हैं पर क्या मुश्किलों की वजह से हम सफ़र पर निकलना छोड़ देते हैं भाई काम तो करना ही पड़ेगा न सर्दियों में कोहरा कितना भी पड़े डेली पैसेंजर तो वही ट्रेन पकड़ते हैं जिससे वो साल भर जाते हैं कभी छोटी छोटी बातें जिन्दगी का कितना बड़ा सबक दे जाती हैं और हमें पता ही नहीं पड़ता है हर सफ़र हमें नया अनुभव देता है जिस तरह हमारे जीवन का कोई दिन एक जैसा नहीं होता वैसे ही दुनिया का कोई इंसान ये दावा नहीं कर सकता कि उसका रोज का सफ़र एक जैसा होता है कुछ चेहरे जाने पहचाने हो सकते हैं लेकिन सारे नहीं, जिन्दगी भी ऐसी ही है .अब देखिये न सर्दी तो सबको लगती है मेरे पिताजी कहा करते हैं बेटा सर्दी बिस्तर पर ही लगती है बाहर निकलो काम पर चलो सर्दी गायब हो जायेगी मंजिल तभी तक दूर लगती है जब तक हम सफ़र की शुरुवात नहीं करते लेकिन एक बार चल पड़े और चलते रहे तो मंजिल जरूर मिलेगी . अब सफ़र पर निकले हैं तो किसी न किसी साथी की जरुरत पड़ेगी जरुरी नहीं आप साथी के साथ ही सफ़र करें साथी सफ़र में भी बन जाते हैं लेकिन साथी के सेलेक्टिओं मे सावधान रहें गलत साथी आपके सफ़र को पेनफुल बना सकते हैं और वैसा ही जिन्दगी का सफ़र में गलत कोम्पैनिओन आपके लिए प्रॉब्लम ला सकते हैं .आप ध्यान दे रहें न कहते हैं जो सफ़र प्यार से कट जाए वो प्यारा है सफ़र नहीं तो मुश्किलों के बोझ का मारा है सफ़र वाकई सफ़र तो वाकई वही जो हँसते मुस्कराते कटे और तभी सफ़र का मज़ा भी है मेरा तो जिन्दगी का सफ़र जारी है जिन्दगी के इस मोड़ पर आप सबसे मुलाकात अच्छी लगी क्या आप भी जिन्दगी के इस सफ़र में मेरे साथी बनेंगे और आगे से जब भी किसी सफ़र पर निकालिएगा तो ये मत भूलियेगा कि ये जिन्दगी का सफ़र है और हर सफ़र की शुरुवात अकेले ही होती है लेकिन अंत अकेले नहीं होता साथ में कारवां होता है अपनों का अपने अपनों का यात्राएँ चाहे जीवन की हों या किसी दूर देश की या फिर घर से दफ्तर के बीच की ही क्यों न हो .ऐसी ही यात्राओं से कोई लाक्लेज़ियो नोबेल पुरूस्कार ले जाते हैं ओर कोई अपनी मंजिल पर पहुंचकर मुस्कुरा उठता है .सबकी यात्राओं का अपना अलग अलग सुख है .फिलहाल यह लेख लिहने की अपनी यह यात्रा में यहीं ख़तम करता हूँ ओर निकलता हूँ अपनी दूसरी यात्राएँ की ओर
२१ नवम्बर को आई नेक्स्ट में प्रकाशित
11 comments:
bade dino baad..ek alag se anubhav...ke sath alag sa article padhne ko mila......
सर जी,आपके लेख हर बार हमें ऐसे विषयों से रूबरू कराते हैं जिनको हम हम देखते समझते तो हैं पर महसूस नही कर पाते.उन्ही में से एक है इस बार का लेख.
यात्रा और उसके पहलुओं के बारे में कभी इतनी गंभीरता से सोचा ही नही...हालांकि ट्रेवेलोग़ लेखन हमारे पाट्यक्रम में था पर वो सिर्फ एक्साम का एक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न बन कर रह गया था.
बाहर की यात्रा शुरू करते ही हमारे अन्दर भी एक यात्रा शुरू हो जाती है... यह पंक्तियाँ मेरी फेवरेट हैं.
bahut khoob sir ji
ab tak ka aapki lekhani ka safar bada aananddayak raha
aasha karta hoon ki aapki rachnayen padhne ki ye yatra aviraam jari rahegi
Dear Mukulji
Sorry apka lekh aaj hi pad paye, i was travelling and when i hav gone through ur article on travelling..............really many my recent travelling momnets came into my mind. ur article is really well written. gr8.........
regards
बहुत बढ़िया रहा यह भी.
"ज़िन्दगी के सफ़र में निकल जाते हैं जो मुकाम, वो फिर नहीं आते..वो फिर नहीं आते.. " इसीलिए अपनी ज़िन्दगी के हर मुकाम को, हर पड़ाव् को जी भर के जी लें..
कुछ ऐसा ही कहना चाहते हैं न आप सर.. :)
Sir every travel or journey gives you one or the other experience.U just need to do a little bit of footloose.
Aapke lekh ne rahul santkartya nand ke agaz ko fir aage badhaya hai
gumne ki jigyasa insano me hi hoti hai pasuo me nai.....or bhetar gumhna gumhne se aata hai
The world is a book and those who do not travel read only one page.” – St. Augustine
* Zindagi aik safar hai jis main,
Loog milte hain bichar jate hain..!
Haadse aik hi pal main kiya kiya,
Jene walon pe guzar jate hain..!
ek sher or to mein jo kehna chah rahi hun woh poori baat ho jayegi ..
* Mai akela hi chala tha janib e manzil ki taraf
Log milte gaye aur karwa banta gaya..
THE JOURNEY OF A THOUSAND MILES BEGINS WITH ONE STEP.
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