आराम भला किसे नहीं पसंद होता और जब भी आराम की बात होती है सोना या नींद सबसे ऊपर होती है. खैर, आप अभी-अभी सारी रात आराम करने के बाद, सोकर उठे हैं और मैं फिर से नींद की बात कर रहा हूं. अरे अरे, नाराज मत होइये क्योंकि यह बात जरूरी है. अभी एक नेशनल मैगजीन द्वारा कराये गए सर्वेक्षण में पता चला है कि लगभग 94 प्रतिशत भारतीय नींद संबंधी किसी न किसी समस्या से पीड़ित हैं. कभी-कभी सोचता हूं कि कैसे हमारी जिंदगी से जुड़े सर्वे फटाफट आ जाते हैं. जैसे इधर मेरी नींद हराम हुई उधर सर्वे हाजिर. ऐसा सबके साथ होता है ना? वैसे अगर नींद न आ रही हो तो पहला समाधान यही दिया जाता है की दिमाग शांत करके कोई अच्छा सा गाना सुन लीजिए नींद आ जायेगी. अगर गाना नींद से ही संबंधित हो तो क्या कहने. ये नुस्खा जांचा, परखा और आजमाया हुआ है. जरा अपने बचपन को याद कीजिये, जब मां हमें सुलाने के लिए लोरी गाया करती थीं और हम मीठी नींद सो जाया करते थे. अच्छी नींद और गानों का पुराना संबंध रहा है. ऐसे में सोते वक्त ये गाना कैसा रहेगा कोई गाता, मैं सो जाता-(फिल्म-आलाप). हमारे मानसिक स्वास्थ्य का सीधा संबंध नींद से होता है. अगर आप बहुत प्रसन्न हैं, तो चैन की नींद आयेगी, नहीं तो आपकी रातों की नींद उड़ जायेगी. अब प्रसन्न होने की शर्त तो बहुत बड़ी है भई. जब ऑफिस से लेकर घर तक काम के दबाव हों, जब सरकारें अपनी मनमर्जी कर रही हों, हमारी मर्जी से चुने जाने के बावजूद. जब महंगाई रात-दिन हमारा मजाक उड़ा रही हो, जब करप्शन मुंह फाड़े हमें निगलने को तैयार बैठा हो. जब पूरा शहर विकास के नाम पर खुदा पड़ा हो तो हम प्रसन्न कैसे हो सकते हैं. खैर, मैं कुछ ज्यादा ही भावुक हो गया. नींद पर लौटता हूं. नींद आना और नींद का उड़ जाना सामान्य स्थितियों में हमारे डेली रूटीन पर डिपेंड करता है. अब अगर आप इस गाने की फिलॉसफी पर भरोसा करेंगे कि बम्बई से आया मेरा दोस्त, दोस्त को सलाम करो रात को खाओ-पियो, दिन को आराम करो तो निश्चित ही नींद उड़ जायेगी और आप अनिद्रा रोग के शिकार हो जायेंगे. किसी काम में मन नहीं लगेगा और दिन भर आप उनींदे से रहेंगे. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अगर अच्छी नींद लेनी है तो दिन में खूब काम कीजिये और रात को आराम कीजिये नहीं तो आप सारी रात चांद को देखते हुए बिता देंगे. नींद और ख्वाब एक दूजे के लिए ही बने हैं पर ख्वाबों में जागते रहना, बेख्वाब सोने से अच्छा है. यूं ख्वाबों का बड़ा गहरा रोमैन्टिसिज़्म है, लेकिन असलियत ये है कि जब नींद गहरी हो और सपनों-वपनों की इसमें कोई गुंजाइश तक न हो तो सबसे अच्छा है. क्योंकि अगर नींद में लगातार सपने आ रहे हैं तो अच्छी बात नहीं है. ज्यादा सपने देखने का मतलब नींद की सेहत ठीक नहीं है. क्यों आजकल नींद कम ख्वाब ज्यादा हैं (फिल्म-वो लम्हे). हमारी सुबह सुहानी हो इसके लिए जरूरी है हम रात में अच्छी नींद लें. मीठी प्यारी नींद जो हमें हल्का महसूस कराये. सुबह आंख खुलते ही यह गाना अगर हमारे कानों में पड़े तो दिन की शुरुआत इससे बेहतर भला और क्या हो सकती है. निंदिया से जागी बहार ऐसा मौसम देखा पहली बार(हीरो). लेकिन नींद के कई दुश्मन हैं स्ट्रेस, टेंशन. ये सब तब होता है जब हम अपनी प्रजेंट सिचुएशन से सैटिस्फाइड नहीं हो पाते या कोई काम हमारे मन का नहीं होता. इसी वजह से जिंदगी में परेशानी होती है और नींद उड़ जाती है. शरीर में हेल्थ रिलेटेड कई समस्याएं पैदा हो जाती हैं. यानी हम जागते हुए भी सोये-सोये से रहते हैं और जब सोते हैं तो भी जगा-जगा सा महसूस करते हैं. वैसे डॉक्टर्स बताते हैं कि अच्छी नींद के लिये जरूरी है कि रात का खाना थोड़ा जल्दी खा लिया जाए. रात को नहाकर सोने से भी नींद अच्छी आ सकती है. हां, सोने से पहले टीवी देखना या कम्प्यूटर पर काम करने से बचें. सोते वक्त कुछ पढ़ने की आदत भी भली है. लेकिन अगर इन सब उपायों के बाद भी नींद उड़ी ही रहे तो डॉक्टर के पास ही जाना पड़ेगा. सबसे अच्छा तो यही होगा कि हमें डॉक्टर की जरूरत ही न पड़े. इधर हम बिस्तर की ओर बढ़ें और उधर नींद हमारी तरफ. खुद को एक मीठी सी नींद के हवाले करने से सुखद कुछ नहीं हो सकता. है ना? तो आइये अगले सर्वे की रिपोर्ट बदलने की तैयारी करें.
आई नेक्स्ट ११ अगस्त
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14 comments:
सर जी, गानों से सजा एक बेहतरीन लेख......................
bahut achhi prastuti.....
Meri Nayi Kavita aapke Comments ka intzar Kar Rahi hai.....
A Silent Silence : Ye Kya Takdir Hai...
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bahut khub........tarif mai kya kahu...bus itna ki behatrin hai
bahut khub
very good
सबसे अच्छा तो यही होगा कि हमें डॉक्टर की जरूरत ही न पड़े. इधर हम बिस्तर की ओर बढ़ें और उधर नींद हमारी तरफ. खुद को एक मीठी सी नींद के हवाले करने से सुखद कुछ नहीं हो सकता.
हाँ इतना तो है की बिस्तर पर गिरते ही नींदिया रानी आ जाती है ......रोचक लेख .....!!
sir ji kya khoob likha hai..... badhiya...
जहाँ तक विद्यार्थियों को नींद न आने का सवाल है तो उन्हें बस course बुक पकड़ा दीजिये.. दिन हो या रात. नींद अपने आप आ जाएगी.. किसी भी डॉक्टरी सलाह की ज़रुरत नहीं पड़ेगी.. हा हा..
student ko sabse jyada neend exam ke time hi aati ha, neend aane ki sabse achi dawa book hai nend ke leye isse acchi koi medicin kam nahi karegi.
Sirji hame to sabse neend tab aati hai jab kal exam aur maloom padta hai ki ham kahin so rahe hai.
sir books k alava b ek aur chiz h jo bhot achi nind dilati hai aur wo hota h lecture........par sir apke lecture ko chorkar
nice article. people generally feel sleepy when they have to do some important work when it is concerned with studies like as exams.
बात तो बिलकुल सच है कि नींद और संगीत का गहरा सम्बन्ध है । बचपन में हमें माँ लोरी गा के सुलाया करती थी । एक अच्छी नींद सुबह हमें तरोताज़ा महसूस कराती है । लेकिन ये विडम्बना ही है कि आज ज़्यादातर इंसान तनाव और समस्याओ से इतना जूझ रहा है की उन्हें बिना दवा लिए नींद ही नहीं आती है । इसलिए यदि आज हम बिना किसी दवा लिए एक साउंड स्लीप लेते है तो सच में हम भाग्यशाली हैं ।
सामान्यतः नींद के बारे में सोचने की आवश्यकता नहीं होती| ये आपके दिनचर्या का एक हिस्सा होता है । जोकि अपने वक़्त पर ही जाती है और लोग ख़्वाब में खो जाते है - खिड़की, चाँद, क़िताब और मैं, मुद्दत से एक बाब और मैं ।।
शब भर खेलें आपस में , दो आँखें इक ख़्वाब और मैं ।।
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