तकनीक और का संगम मोर्स कोड की उत्पत्ति के साथ शुरू हुआ जब १९०० के दशक में मोर्स कोड द्वारा “प्रेम एवं चुम्बन”, “साभार”, “ढेर सारी सफलता” जैसी भावनाओं को व्यक्त करने की कोशिश की गयी| परन्तु इस कोशिश को सच्ची सफलता मिली १९८२ में ऑनलाइन इमोटिकॉन्स के पदार्पण के साथ शीघ्र ही इनका काफी प्रसार हो गया | इसके बाद जापानी मोबाइल कंपनियों द्वारा नामकरण किये गए इमोजी प्रचलन में आये | सच यह है कि आज जिस तरह साइबर दुनिया में ईमोजी के प्रयोग को बढ़ावा मिल रहा है वह एक मूक क्रांति है एक नयी भाषा के उदय होने की |सम्प्रेषण के लिए भाषा की आवश्यकता है,वाचिक भाषा में भावों को संचारित करना आसान होता है क्योंकि शब्दों को देह भाषा का साथ मिलता है पर लिखित भाषा में भावों को संचारित करने की एक सीमा होती है|इस सीमा को ख़त्म करने के लिए विराम चिन्हों का प्रयोग शुरू हुआ जो भावों के उतार चढ़ाव को व्यक्त करते हैं |सोशल नेटवर्किंग साईट्स के उदय और नयी सूचना तकनीक ने अभिव्यक्ति को क्लास से निकाल कर मास तक पहुंचा दिया है| सही विराम चिन्हों के इस्तेमाल का अज्ञान और लोगों के पास घटता समय वो कारक रहे जिन्होंने ईमोजी की लोकप्रियता को बढाया | इसकी खासियत भाषा और भावों का परस्पर संचार है चित्र आधारित इस भाषा को आप आसानी से आप किसी भी भाषा में समझ सकते हैं क्योंकि मानवीय भाव सार्वभौमिक रूप से एक होते हैं मसलन रोता हुआ चेहरा किसी भी भाषा में आपके दुखी होने की निशानी है | इमोजी पात्र आपको देखने में मामूली लग सकते हैं परन्तु वे बड़ी तेज़ी से ऑनलाइन संचार की आधारशिला बनते जा रहे हैं और एक नयी भाषा के निर्माण की आधारशिला रख रहे है| विगत वर्ष केवल ट्विटर पर ही १००० करोड़(दस बिलियन )इमोजी भेजे गए| यदि इन्स्टाग्राम की बात की जाए तो पिछले वर्ष इस पर की जाने वाली पोस्टों में से लगभग पांच सौ करोड़ में इमोजी का प्रयोग किया गया था|इस समय लगभग 1601 इमोजी चिन्हों का प्रयोग किया जा रहा है और इनकी संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है|ईमोजी जापनी भाषा के दो शब्दों ‘ई’ और ‘मोजी’ से मिल कर बना है, ‘ई’ का मतलब है इमेज यानी चित्र और ‘मोजी’ का मतलब है भाषा या लिपि| इमोटिकौन्स इमोशन (भाव) और आइकन (संकेत) से मिल कर बने हैं| इमोजी की इस प्रसिद्धि का एक कारण यह भी है कि हम लोग आमतौर पर लिखे हुए शब्दों का सही भावार्थ नहीं निकाल पाते हैं| इलिनॉय विश्वविद्यालय द्वारा कराये गए एक शोध के अनुसार केवल ५० प्रतिशत से कुछ ही अधिक लोग लिखे हुए शब्दों का सही भावार्थ लगा पाते हैं| इस शोध के दौरान केवल ५६ प्रतिशत लोग ही किसी लेख में अन्तर्निहित व्यंग्य अथवा गंभीरता के भाव का सही आंकलन कर पाए| जब यही लेख उन्हें रिकॉर्ड कर के सुनाया गया तो यह प्रतिशत लगभग एक चौथाई बढ़ गया| वैसे भी भावनात्मक रूप से जटिल सन्देश केवल शब्दों के माध्यम से भेजना एक दुरूह कार्य है|भाषा-वैज्ञानिकों के अनुसार इमोजियों की संख्या में लगातार वृद्धि होना एवं इनका और जटिल होते जाना इस बात का घोतक है कि आने वाले समय में यह एक भाषा का रूप ले सकते हैं| उनका यह भी मानना है कि इमोजी भाषा मिश्र की चित्रलिपि से भी अधिक उन्नत एवं परिष्कृत होगी|
पर जैसे-जैसे डिजिटल संचार आमने-सामने के संचार की जगह लेता जा रहा है, वैसे ही इन पर किया जाना शोध भी बढ़ रहा है जो यह बता रहा है कि इस आकार लेती नयी भाषा में कई सारी विसंगतियां भी हैं|जिससे ओनलाईन चैट और सोशल मीडिया में इनके इस्तेमाल से अक्सर भ्रम की स्थिति बन जाती है | ईमोजी भले ही भाषा के स्तर पर चित्रात्मक पर इसमें चित्र लिपि जैसी विविधता अभी तक नहीं आ पायी है और भावों के उतार चढ़ाव नहीं प्रदर्शित होता है
अमेरिका की मिनेसोटा विश्वविद्यालय में किये गए एक शोध में यह खुलासा हुआ है कि लोग रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाले बिम्बों के जो अर्थ निकलते हैं उसमें तमाम विसंगतियां हैं| लोग अक्सर एक ही इमोजी को भिन्न-भिन्न तरीके से समझते हैं| कुछ लोग एक इमोजी को सकारात्मक मानते हैं तो दुसरे उसी इमोजी को या तो नकारात्मक अथवा तटस्थ समझते हैं|शोध के दौरान यह भी सामने आया कि भ्रम की यह स्थिति तब और भी बढ़ जाती है जब एक ही इमोजी के अलग-अलग संस्करण लोगों के सामने रखे जाते हैं| उदहारण के लिए मुस्कराते हुए चेहरे और हंसती हुई आँखों वाले इमोजी के लगभग १७ भिन्न-भिन्न संस्करण हैं| यह सभी सोशल मीडिया एवं स्मार्टफोन पर विभिन्न कंपनियों जैसे एप्पल, सैमसंग आदि द्वारा भिन्न-भिन्न रूप में दर्शाए जाते हैं| जब इसी इमोजी का एप्पल द्वारा बनाया गया संस्करण जिसमें कि पात्र दांतों के साथ मुस्कराता है उसे अधिकतर लोगों ने नकारात्मक माना जबकि इसका अर्थ उन्हें सकारात्मक लगना चाहिए था|
मुद्रण कला से जुड़े लोग काफी समय से इस प्रयास में लगे हैं कि किस प्रकार भावनाओं को विरामचिन्हों के माध्यम से व्यक्त किया जाये| यदि वे अपनी इस कोशिश में सफल रहते हैं तो आने वाले समय में इमोजी केवल एक बिम्ब न रहकर एक पूर्ण भाषा का दर्जा हासिल कर लेंगे और यह एक ऐसी भाषा होगी जिसे संसार के सभी भागों के लोग समझ सकेंगे|
अमर उजाला में 19/07/16 को प्रकाशित