माध्यम कोई भी हो जब तक उसे विज्ञापन का साथ नहीं मिलता तब तक उसका विस्तार सम्भव नहीं है|माध्यमों की प्रगति का यह सफर टीवी अखबार से होते हुए आज इंटरनेट तक पहुँच गया है और अब हम इंटरनेट विज्ञापनों के साथ जीना सीख ही रहे हैं पर बाजार इंटरनेट के माध्यम से कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा लेना चाहता है|असल में कंटेंट की दृष्टि से टीवी और अखबार के मुकाबले इंटरनेट अपने चरित्र में ज्यादा लचीला है इसलिए इंटरनेट विज्ञापनों से भर उठा है अन्य माध्यमों की तरह इंटरनेट पर विज्ञापनों का नियमन करना लगभग असंभव है लेकिन भारत जहाँ इंटरनेट क्रांति का अगुआ बन कर उभर रहा है वहीं भारतीय उपभोक्ता इंटरनेट पर विज्ञापनों के इस्तेमाल में जागरूक उपभोक्ता बन कर भी उभर रहे हैं| पेजफेयर संस्था द्वारा एक अध्ययन में पाया गया कि, मार्च 2016 तक भारत में 122 मिलियन भारतीय स्वतंत्र रूप से मोबाइल ब्राउज़र द्वारा ऐड ब्लॉकिंग का इस्तेमाल कर रहे थे| भारत जैसा विकासशील देश, ऐड ब्लॉकिंग उपयोग के सन्दर्भ में, दुनिया में दूसरे स्थान पर है, जबकि चीन पहले स्थान पर है | जहाँ दिसम्बर 2015 में 275 मि लियन लोग सारी दुनिया में मोबाइल ऐड ब्लॉकर तकनीक का इस्तेमाल कर रहे थे, वहीँ दिसम्बर 2016 में यह आंकड़ा बढ़कर 615 मिलियन हो गया जिनमें बासठ 62 प्रतिशत लोग अर्थात 380 मिलियन लोग यह तकनीक मोबाइल में इस्तेमाल कर रहे थे |यनि सारी दुनिया में यह बढ़त तीस प्रतिशत रही |
ऐड ब्लॉकिंग एक प्रकार का सॉफ्टवेर है जो मोबाइल, डेस्कटॉप स्मार्ट फ़ोन तथा टेबलेट आदि डिजिटल उपकरणों पर वेबपेज और वेबसाइट आदि के द्धारा आने वाले अनचाहे विज्ञापनों, पॉपअप और स्पैम को रोकता है |
वेब सर्फिंग करते वक्त हमारे स्मार्टफोन पर अचानक कई ऐसे अनचाहे विज्ञापन आ जाते हैं जिनका हमारी खोज रुचियों से कोई लेना देना नहीं होता है |यह अनुभव मानसिक रूप से कष्टदायी और आर्थिक रूप से डाटा और धन का नाश करने वाला होता है जिसमें हमारी अनुमति के बगैर हमें अनावश्यक विज्ञापन झेला दिए जाते हैं |
ऑनलाइनलाइन विज्ञापन के इस संसार में दो तरह विज्ञापन प्रदाता होते हैं पहले जिनके प्लेटफोर्म का इस्तेमाल करते हुए ऑनलाइन विज्ञापन दिए जाते हैं जैसे फेसबुक,गूगल और यूट्यूब आदि जो खुद कोई कंटेंट नहीं बनाते और दूसरों के कंटेंट का इस्तेमाल करते हुए अपनी पाठक /दर्शक संख्या बढ़ाते हैं |दूसरे हमारी डिवाईस में किसी और उत्पाद के साथ आ जाते हैं इसमें कुछ मेल वायर और स्पाई वायर भी हो सकते हैं जो किसी डिवाईस और डाटा के लिए हानिकारक होते हैं |ऐसे विज्ञापन जो उपभोक्ता की परोक्ष स्वीकृति के बगैर आ जाते हैं ज्यादा कष्टप्रद होते हैं क्योंकि यह इंटरनेट पर हमारे काम में बाधा डालते हैं इनका स्थान और वक्त निश्चित नहीं होता और ये अस्वाभाविक लगते हैं क्योंकि इनके लिए उपभोक्ता मानसिक रूप से तैयार नहीं होता | ऐड ब्लॉकिंग ब्राउज़र से पेज स्पीड मे काफी तेज़ी आ जाती है क्योंकि अनावश्यक कंटेंट पहले ही ब्लॉक कर दिया जाता है और इसी रणनीति के तहत मोबाईल फोन बनाने वाली कम्पनियों ने एड ब्लॉकर सॉफ्टवेयर बनाने वाली कम्पनियों के साथ समझौता करना शुरू कर दिया है इससे वे उन्हीं कम्पनियों के विज्ञापन अपने फोन पर दिखाएंगी जिनसे उनका करार है पर तस्वीर का दूसरा रुख भी है |एड ब्लॉकर के ज्यादा इस्तेमाल से ऑनलाईन विज्ञापनों से होने वाली आय पर असर पड़ेगा जिसमें वीडियो गेम बनाने वाली कम्पनियां प्रमुखता से प्रभावित हो रही हैं|दूसरा खतरा नेट न्युट्र्लटी को है जिसमें सूचना सम्बन्धी विज्ञापन आते हैं जो भी समाग्री इन्टरनेट पर अपलोड होगी, कोई ज़रूरी नहीं कि वह उपभोक्ता के सर्च करने पर देखी ही जा सके, कारण मोबाइल ब्राउज़र द्वारा ऐड ब्लॉकिंग,वह केवल उन्हीं विज्ञापन साइट्स को प्रदर्शित करेगा जिन कम्पनियों का टाईअप मोबाइल ब्राउज़र से हो चुका है, मोबाइल ब्राउज़र द्वारा ऐड ब्लॉकिंग के चलते केवल टाईअप साइट्स ही प्रदर्शित होगी | वहीँ बाज़ार का एक बड़ा हिस्सा जो बिना किसी शुल्क के मुफ्त में इन्टरनेट और सोशल मीडिया के द्वारा अपने प्रोडक्ट का प्रचार कर रहे था वो इससे महरूम रह जायेगे, और यह तकनीकी बदलाव नेट नेट न्युट्र्लटी को खत्म कर सकती है | इस मौक़े का फायद गूगल जैसी सर्च इंजन और सोशल मीडिया उठाने साइट्स के लिए तैयार है |
हिन्दुस्तान में 21/03/17 को प्रकाशित लेख