इंटरनेट पर्याप्त रूप से हमारी संस्कृति को प्रभावित कर रहा है और यह कार्य इतनी तेजी और शांति से हो रहा है कि हम समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या वाकई इंटरनेट इतना ताकतवर है आप इसे एप कल्चर भी कह सकते हैं जब संस्कृति का जिक्र हो तो उसमें इंसानी रहन –सहन, खान –पान और परिधान अपने आप समावेशित हो जायेंगे |रहन–सहन और परिधान के लिए पहले ही हजारों एप बाजार में आ चुके हैं और भारतीय उनका इस्तेमाल भी खूब कर रहे हैं पर इसी क्रम में खान –पान भी शामिल हो चुका है|बाहर जाकर खाना खाने का दौर भले ही खत्म न हुआ हो पर मद्धिम जरुर पड़ रहा है अब लोग ऑनलाईन ऑर्डर करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं और इसमें माध्यम बन रहे हैं खान –पान से जुड़े एप जिनकी सहायता से आप अपना मनपसन्द खाना मंगा सकते हैं |वैश्विक शोध संस्था रेड सीर के आंकड़ों के अनुसार भारत में ऑनलाईन फ़ूड डिलीवरी बाजार साल 2016 में डेढ़ सौ प्रतिशत की दर से बढ़ा है वर्तमान में यह बाजार तीन सौ मिलीयन डॉलर का है |बाजार के इस बड़े हिस्से पर कब्ज़ा ज़माने की रणनीति के तहत गूगल और उबर जैसे बड़े वैश्विक इंटरनेट खिलाड़ी भी कूद पड़े हैं |गूगल ने ऑनलाईन खान –पान के इसी बाजार पर कब्जे लिए एरियो एप लांच किया है जो रेस्टोरेंट डिलीवरी और होम सर्विस प्लेटफोर्म सेवाएँ उपलब्ध करा रहा है अभी इस एप की सुविधा का लाभ हैदराबाद और मुंबई के निवासी ही उठा पा रहे हैं शीघ्र ही भारत के अन्य शहरों के निवासी इस सुविधा का लाभ उठा पायेंगे |उबर ने भी इसी साल उबर ईट्स के नाम से एक एप सेवा भारत में भी शुरू की है जिसकी सेवाएँ फिलहाल अभी मुम्बई में ही उपलब्ध हैं |
बदल रहा है सामाजिक ताना –बाना
एप आधारित ऑनलाईन की ये खान पान सेवाएँ भविष्य की और इशारा कर रही हैं कि किस तरह इंटरनेट हमारे जीवन के हर पहलू को हमेशा के लिए बदल डालने वाला है |संयुक्त परिवारों का पतन ,महिलाओं का कार्य क्षेत्र में बढ़ता दखल,शिक्षा के लिए घर से बाहर निकलते युवा और शहरीकरण ऐसे कुछ कारक हैं जिन्होंने एक आदर्श भारतीय परिवार के ताने –बाने पर असर डाला है |महिलाओं ने रसोईघर की देहरी को लांघ कर कम्पनी के बोर्ड रूम में अपनी जगह बनाई है जिससे यह धारणा टूटी है कि पुरुष कमाएगा और महिलायें खाना बनायेंगी |बढ़ता आय स्तर ,एकल और छोटे परिवारों ने जहाँ पति पत्नी दोनों काम करते हैं जैसे कुछ ऐसे कारक रहे हैं जिन्होंने ऑनलाईन खान –पान के इस कारोबार को बढ़ावा देना शुरू किया है इसमें जहाँ एक तरफ अनेक तरह के खाने का लुत्फ़ मिलता है जिसमें फास्ट फ़ूड भी शामिल हैं वहीं अपने घर का आत्मीय वातावरण लोगों को ऑनलाईन खाना ऑर्डर करने के लिए प्रेरित करता है जिसके साथ आपको ऑनलाईन खरीददारी में कई तरह के डिस्काउंट भी मिलते हैं |ऑनलाईन खान पान एक पूर्णता शहरी प्रवृत्ति है और अभी भारत के टाईप टू और टाईप थ्री शहर इससे अछूते हैं इसलिए जैसे जैसे शहरीकरण बढेगा इस व्यवसाय को और पंख लगेंगे |दूसरा शहर बहुत तेजी से आकार में बढे हैं वहीं ट्रैफिक और पब्लिक ट्रांसपोर्ट की हालत बदतर हुई है ऐसे में बाहर जाकर खाने का विकल्प बड़े शहरों में एक मध्यवर्ग परिवार या व्यक्ति के लिए एक महंगा और त्रासद पूर्ण अनुभव में तब्दील हो जाता है |तुलनात्मक रूप से ऑनलाइन खाने का ऑर्डर इन सब शहरी समस्याओं से बचाता है जिसमें ट्रैफिक में लगने वाला समय और पेट्रोल और टैक्सी पर किया गया व्यय शामिल है |
चुनौतियाँ भी है और कई
दुनिया में सबसे ज्यादा युवा आबादी वाले देश में चीन के बाद सबसे ज्यादा स्मार्ट फोन हैं और यही वो मैदान है जो दुनिया भर के लोगों को नवाचार करने के लिए आकर्षित कर रहा है |साल 2015 से कई स्टार्ट अप इस क्षेत्र में शुरू हुए जिसमें ज़ोमेटो, स्विगी ,फ़ूड पांडा जैसी कम्पनियां शामिल हैं जिन्होंने एप आधारित खान –पान की सेवाएँ देनी शुरू कीं हालंकि व्यवसायिक रूप से यह कम्पनिया कोई ख़ास मुनाफा अभी तक कमा नहीं पायीं हैं और बाजार में जमे रहने के लिए संघर्षरत हैं| उबर की प्रतिद्वन्दी कम्पनी ने ओला ने एक साल के भीतर ही अपनी ऐसी ही सेवा ओला कैफे भारत में बंद कर दी |पर गूगल और उबर जैसी कम्पनियों के मैदान में उतरने से मामला बहुत दिलचस्प हो गया है वो भी ऐसे वक्त में जब इस क्षेत्र में स्टार्ट अप की संख्या में गिरावट देखी जा रही है इन कम्पनियों का इस क्षेत्र में निवेश यह दिखाता है कि भारत एक नयी तरह के फ़ूड रिवोल्यूशन के लिए तैयार हो रहा है |जाहिर है इसकी शुरुआत पिज्ज़ा और बर्गर जैसी फास्ट फ़ूड बेचने वाली कम्पनियों से हुई और इस प्रयोग की सफलता ने पूरे के पूरे रेस्टोरेंट को ऑनलाईन बनाने के लिए प्रेरित किया |यह कहना अभी जल्दीबाजी होगी कि ऑनलाईन खान –पान के इस कारोबार का भविष्य उज्जवल है क्योंकि भारतीय रुचियाँ भोजन के मामले में दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले अलग हैं इसका बड़ा कारण देश के खान पान में पर्याप्त विविधता होना जिसका एक बड़ा कारण जलवायु आधारित भोजन है जहाँ जिस चीज की प्रचुरता है वही वस्तु उस क्षेत्र के लोगों द्वारा सामान्य रूप से भोजन के इस्तेमाल में ज्यादा प्रयोग में लाई जाती है उत्तर भारत में जहाँ सरसों का तेल अधिक इस्तेमाल होता हैं वहीं दक्षिण भारत में नारियल का तेल |
शहरीकरण ने विस्थापन को पर्याप्त रूप से बढ़ावा दिया है और लोग देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में रोजगार के लिए जा रहे हैं और बस भी रहे हैं पर खाने के मामले में उन्हें स्थानीय खानों पर ही निर्भर रहना पड़ता है क्योंकि वही सस्ते पड़ते हैं क्या ओनलाईन फ़ूड डिलीवरी बाजार उनकी इस कमी को पूरा कर पायेगा इस प्रश्न का उत्तर समय के गर्भ में है |
नवभारत टाईम्स में 01/07/17 को प्रकाशित
12 comments:
विशाल तबके के लोग अभी भी इससे दूर है।
The digitalisation in this field is good. As it can help people who are new in the city , even if we are busy or don't want to cook, just one click and food will reach at your door steps. It will save our time, which is very precious in this busy life. Just enjoy your food in your own way.
market mai bhut hai bheed lekin one click mai bh hai zindzgi ka alag mja.....
खाने में तकनीक का इस्तेमाल तो बड़ा ही मज़ेदार है और तकनीक भी ऐसी की ना आपको रसोई में जाने की जरूरत ना गैस आउन्न करने की। बस एक क्लिक पर आपका मनपसंद भोजन आपके द्वार, है ना अदभुत।आज के समय में जब हरकोई व्यस्त हैं, आमुमन हर घर में पति पत्नी दोनों ही कामकाजी होते हैं ऐसे में बाहर से खाना मांगाना एक आम बात है। कई बार हम एक बदलाव के लिए बाहर भोजन खाना चाहते हैं पर ट्रैफिक और पॉल्यूशन के कारण हम बाहर जाना नहीं चाहते । ऐसे में इस तरह के एएप बहुत उपयोगी साबित हो रहे हैं।
माना की आज एक क्लिक ने हमरी व्यस्त जीवन को थोड़े और आसान कर दीया है पर ये कही ना कही हमें अपनो से दुर कर रहे हैं अब हम कही साथ में बाहर जाना प्रेफर न कर के अपने कमरे में बैठ के खाना खाना प्रेफर करते है परिवार दोस्तों को जो पहले ही थोड़ा सा वक़्त दिया करते थे आज इस एक क्लिक की वजह से हम उस थोड़े समय को भी नहीं निकल पाते |
Night is the time of introspection and yes it can be said that night hours if utilised in a positive manner then a good can be achieved, also night is the time of relaxation since childhood .
इंटरनेट ने जीवन को आसान, और मनुष्य को अधिक गतिशील बना दिया है,भारत जैसे देश मे अनेकों सभ्यता, संस्कृति और विविधिता भरे देश में ऑनलाइन खाने का प्रचलन बता रहा है।
इस क्षेत्र में आयी कंपनियों का बन्द होना य मुनाफा न होना जगजाहिर है क्योंकि internet की समुचित व्यवस्था का न होना, अशिक्षा ,जागरूकता का अभाव, पुरानी मानसिकताओं से ग्रसित समाज में ऐसे व्यवसाय का टिक पाना संभव नही है।,
इंटरनेट ने जीवन को आसान, और मनुष्य को अधिक गतिशील बना दिया है,भारत जैसे देश मे अनेकों सभ्यता, संस्कृति और विविधिता भरे देश में ऑनलाइन खाने का प्रचलन बता रहा है।
इस क्षेत्र में आयी कंपनियों का बन्द होना य मुनाफा न होना जगजाहिर है क्योंकि internet की समुचित व्यवस्था का न होना, अशिक्षा ,जागरूकता का अभाव, पुरानी मानसिकताओं से ग्रसित समाज में ऐसे व्यवसाय का टिक पाना थोड़ा मुश्किल सा दिखता है।
इंटरनेट ने जीवन को आसान, और मनुष्य को अधिक गतिशील बना दिया है,भारत जैसे देश मे अनेकों सभ्यता, संस्कृति और विविधिता भरे देश में ऑनलाइन खाने का प्रचलन बता रहा है।
इस क्षेत्र में आयी कंपनियों का बन्द होना य मुनाफा न होना जगजाहिर है क्योंकि internet की समुचित व्यवस्था का न होना, अशिक्षा ,जागरूकता का अभाव, पुरानी मानसिकताओं से ग्रसित समाज में ऐसे व्यवसाय का टिक पाना थोड़ा मुश्किल सा लगता है।
Foods are healthiest and mood boosters lots of food makes our feels so warm and fuzzy they instently boosts the mood and concentration and improves blood flow to our brain,helping our feel more vibrent and energized.In our busy life and traffic we don't get time to cook food at home or to go out and have dinner in some restaurant thats why we prefer online food ordering it saves time and we get delicious,fresh and hot food at our doorstep in just one click we don't have to make plans and dress up to go out for lunch or dinner.But still the food cooked at home is the best made by mothers.
This One click has no doubt made a drastic change in the present scenario but has also made a visible difference among the people, there living style, thier habits,their likes, dislikes and more but more over everything comes with advantages n disadvantages as well.. Same is with this.
रैनसमवेयर मालवेयर' से कुछ घंटों में दुनियाभर में 75 हजार साइबर हमले होने की बात आई। एक घंटे में 50 लाख ईमेल हैक करने की दर से वायरस ने करोड़ों कंप्यूटरों की कार्यप्रणाली को ठप कर दिया। इस हमले की भयावहता इससे समझी जा सकती है कि समय के साथ आंकड़ों में अप्रत्याशित वृद्धि हो रही है। इस साइबर हमले को अनूठा माना जा रहा है क्योंकि इसमें रैनसमवेयर को 'वॉर्म' के कॉम्बिनेशन में प्रयोग लाया जा रहा है।
इसका मतलब ये है कि एक कंप्यूटर में शुरू हुआ संक्रमण स्वत: ही सारे नेटवर्क तक पहुंच जाता है। इसी कारण इस हमले की व्यापकता इतनी ज्यादा है। कैस्परस्की लैब के सुरक्षा अनुसंधानकर्ताओं ने शुरुआती कुछ घंटों में ही ब्रिटेन, रूस, यूक्रेन, भारत, चीन, इटली और मिस्र समेत 99 देशों में 45,000 से अधिक मामले दर्ज किए हैं। स्पेन में दूरसंचार कंपनी 'टेलीफोनिया' समेत बड़ी कंपनियां इस हमले का शिकार हुई।
सबसे विध्वंसक हमले ब्रिटेन में दर्ज किए गए, जहां कंप्यूटर में डेटा पहुंच नहीं होने के कारण अस्पतालों एवं क्लीनिकों को मजबूरन मरीजों को वापस भेजना पड़ा। दरअसल, यहां मरीजों का पूरा स्वास्थ्य रिकॉर्ड, खून की रिपोर्ट, दवाइयां आदि कंप्यूटरों से ही देखा जाता है। लेकिन, रैनसमवेयर हमले के बाद स्वास्थ्य सेवाएं तहस-नहस हो गई। इसके बाद हैकरों ने अमरीकी अंतरराष्ट्रीय कूरियर सेवा 'फेडेक्स' के सिस्टम को बंद कर दिया।
जैसा कि मैने बताया, रैनसमवेयर एक कंप्यूटर वायरस है, जो कंप्यूटर फाइल को बर्बाद करने की धमकी देता है कि अगर अपनी फाइलों को बचाना है तो फीस चुकानी होगी। ये वायरस कंप्यूटर में मौजूद फाइलों और वीडियो को इनक्रिप्ट कर देता है और उन्हें फिरौती देने के बाद ही डिक्रिप्ट किया जा सकता है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें फिरौती चुकाने के लिए समय सीमा निर्धारित की जाती है और समय पर पैसा नहीं चुकाया जाता है, तो फिरौती की रकम बढ़ जाती है। खराब या करप्ट हुए कंप्यूटर को पुन: सुचारू करने के लिए 300-600 डॉलर तक की फिरौती मांगी जा रही है। कुछ पीडि़़तों ने डिजिटल करेंसी बिटक्वाइन द्वारा भुगतान भी किया है लेकिन यह अब तक नहीं पता चला है कि साइबर हमलावरों को कितना भुगतान किया गया है?
आपका सुनील कुमार गौतम
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