Monday, March 7, 2022

सामरिक हथियार बनी सूचनाएं


 युक्रेन और रूस में युद्ध जारी है और सारी दुनिया की निगाहें इन दो देशों की तरफ हैं पर युद्ध सिर्फ रूस और युक्रेन के बीच में नहीं चल रहा है एक और युद्ध भी है जो चल रहा है साइबर मैदान में जिसे हम सूचना युद्ध के नाम से जानते हैं|जहाँ इंटरनेट और मीडिया कम्पनियों के सहारे छवि निर्माण की होड़ मची है |एक तरफ है अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के देश जो ये मानते है कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन सारी दुनिया के लिए खतरा हैं |वही दूसरी तरफ रूस के राष्ट्रपति पुतिन सारी दुनिया को यह समझाने में लगे हैं कि रूस का गौरव   सर्वोपरि है | तथ्य यह भी है कि युद्ध अपने आप में खुद समस्या है और इससे किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता लेकिन जनमत निर्माण सिर्फ कुछ ओपीनियन लीडर्स के भरोसे इंटरनेट के दौर में नहीं छोड़ा जा सकता |पहले यह समझते है कि रूस ने यूक्रेन पर हमला क्यों किया साल 2014 में रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था. उस वक़्त रूस समर्थित विद्रोहियों ने देश के पूर्वी हिस्से में एक अच्छे खासे इलाक़े पर क़ब्ज़ा कर लिया थाउस वक़्त से लेकर आज तक इन विद्रोहियों की यूक्रेन की सेना से भिड़ंत लगातार जारी हैदोनों देशों के बीच टकराव टालने के लिए मिन्स्क का शांति समझौता भी हुआलेकिन उसके बाद भी टकराव ख़त्म नहीं हुआ|पुतिन का मानना  है कि इसी वजह से वो सेना को यूक्रेन में हमला करने  को मजबूर हैदूसरी  संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने रूस द्वारा यूक्रेन के अलगाववादी राज्यों में 'शांति कायमकरने के उद्देश्य से सेना भेजने के तर्क को सिरे से खारिज किया है|

फरवरी के आख़िरी हफ्ते में ट्विटर ने बताया कि रूस में इसकी वेबसाइट को प्रतिबंधित किया जा रहा है। ट्विटर ने ट्वीट कर बताया, 'हम इस बात से अवगत हैं कि रूस में कुछ लोगों के ट्विटर अकाउंट को बंद किया जा रहा है ओर हम सर्विस को सबकी पहुंच के दायरे में रखने व इसे सुरक्षित रखने के लिए काम कर रहे हैं। इससे पहले फेसबुक ने रूस की स्थानीय मीडिया पर यूक्रेन में इसके सैन्य कार्रवाई पर विज्ञापन चलाने को लेकर रोक लगाई थी।  इसके जवाब में रूस ने फेसबुक के इस्तेमाल पर पाबंदीलगा दी । दरअसल यूक्रेन में रूसी सैन्य कार्रवाई के बाद फेसबुक ने रूस समर्थित मीडिया संस्थानों के विभिन्न अकाउंट पर रोक लगा दी थी। रूस की सरकारी संचार एजेंसी 'रोसकोमनादजोरने फेसबुक पर ‘रूसी नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता’ के उल्लंघन का आरोप लगाया।वहीं गूगल ने रशिया टुडे और स्पुतनिक के यूट्यूब चैनल को ब्लॉक कर दिया है। इससे पहले मेटा(फेसबुक ) ने भी पूरे यूरोपीय संघ में रूसी राज्य मीडिया आउटलेट आरटी और स्पुतनिक को ब्लॉक किया है।इस सारे घटनाक्रम में कुछ मुद्दे विचारणीय है जब कोई दो देश युद्ध कर रहे हैं तो सूचनाओं में इंटरनेट का एल्गोरिदम महत्वपूर्ण  हो जाता है|2018 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में फर्जी जनमत निर्माण में कई सोशल मीडिया कम्पनियों की भूमिका पर सवाल उठे थे |किसी युद्ध में हम जब किसी देश के बारे में राय बनाते हैं |उसमें मीडिया की बड़ी भूमिका होती खासकर इंटरनेट की |ज़रा याद कीजिये |2003 में अमेरिकी नेत्रत्व में गठबंधन देशों की सेनाओं ने ईराक पर कुछ इसी तरह से हमला किया था जैसा आज रूस ने यूक्रेन में किया हैऐसा ही तर्क अमेरिकी सेना ने ईराक हमले के वक्त दिया था |इराक में जन तबाही करने वाले हथियारों के ज़खीरे को लेकर जो भी फैसले लिए गए और इन्हें जिस तरह से पेश किया उसे किसी भी तरह से तर्कसंगत और न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता है|बाद के घटनाक्रम ने इस तथ्य को सिद्ध ही किया कि ईराक पर हमला एक गठबंधन देशों की भूल थी |तब सोशल मीडिया का जन्म नहीं हुआ था और सूचना का मुक्त प्रवाह पश्चिमी चश्मे से ही देखा जाता था और सद्दाम हुसैन का पक्ष दुनिया के सामने वही आया जो पश्चिमी मीडिया ने दिखाया|इंटरनेट ने खेल भले ही पलट दिया हो लेकिन यहाँ फिर एल्गोरिद्म महत्वपूर्ण हो उठता है | अमेरिका का इतिहास बताता है कि वो ऐसी नीतियां बनाता है जो उसके व्यवसायिक हितों की पूर्ति करे और ऐसी संस्थाओं का संरक्षण करता है जो उसके हित लाभ के साधन में मदद करे |तस्वीर का एक रुख विकिलीक्स से जुड़ा है|बात भले छोटी हो पर इसके निहितार्थ बड़े हैंविकिलीक्स का जन्म ही इंटरनेट की ताकत और विस्तार के कारण हुआ और इस पर सबसे बड़ी चोट अमेरिका ही ने पहुंचाई |विकिलीक्स के द्वारा जारी किये गए सैकड़ों गोपनीय कूटनीतिक संदेशो से सारी दुनिया अमेरिका के दोहरे रवैये को जान गयी वहीं इस खुलासे से वेब पत्रकारिता को नया आयाम मिला आमतौर पर समाचार पोर्टल टीवी और अखबार की सामग्री से ख़बरें बनाते थे पर मानव सभ्यता के इतिहास में पहली बार वेब से आयी सामग्री टीवी और अख़बारों की ख़बरों का आधार बनीरूस यूक्रेन युद्ध  को रोकने की दिशा में अमेरिकाजर्मनीब्रिटेन समेत तमाम देश  रूस और उसके सहयोगियों पर आर्थिक प्रतिबंध लगा रहे हैं और उसी के साथ जनमत बनाने का खेल भी चल रहा है | कूटनीति में कोई भी फैसले दो दूनी चार नहीं होते और कोई भी पक्ष पूरी तरह से दोषी या निर्दोष नहीं होता है |यह साल 2003 नहीं जब दुनिया के कुछ ताकतवर राष्ट्र एक अनाम रिपोर्ट पर एक देश को युद्ध में झोंक देते हैं |

पश्चिमी मीडिया के इस नजरिये का शिकार भारत भी रहा है |साल 2012 में असम में हुई समस्या और भारत के कई शहरो से उत्तर पूर्व के निवासियों का पलायन हुआ | सरकार ने इसके लिए इंटरनेट और सोशल नेटवर्किंग साईट्स पर फ़ैली अफवाहों और भडकाऊ तस्वीरों को दोषी माना और कार्यवाही करते हुए 245 वेबसाइट-वेब पन्नों को ब्लॉक कर दिया गया|आश्चर्यजनक रूप से तेजी दिखाते हुए सरकार के इस  फैसले के बाद अमरीकी विदेश मंत्रालय की तत्कालीन प्रवक्ता विक्टोरिया नूलैंड ने बयान दिया  कि अमरीका इंटरनेट की आजादी के पक्ष में हैभारत  सरकार से निवेदन किया कि वो मूलभूत अधिकारोंकानून और मानवाधिकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जारी रखे|

भारत को मानवाधिकार और इंटरनेट की आजादी का पाठ पढाने वाले इस बयान को जरा इन आंकड़ों के संदर्भ में पढ़ें तो एक बार फिर अमेरिका का व्यवसायिक नजरिया स्पष्ट हो जाएगा | सारी दुनिया की अर्थव्यवस्था विकास केंद्रित हुई है|  आर्थिक विकास की गति को बढ़ाने में इन्टरनेट की भूमिका में  अमेरिका के व्यवसायिक हित सम्मिलित हैं ,इंटरनेट के अस्तित्व में आने से इस पर हमेशा अमेरिकी सरकारकंपनियोंऔर प्रयोगकर्ताओं  का अधिपत्य  रहा है लेकिन अब इसमें तेजी से बदलाव आ रहा है जिसका केंद्र भारत और ब्राजील जैसे देश शामिल हैंजहाँ इंटरनेट तेजी से फल फूल रहा है जिसमे बड़ी भूमिका फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल नेटवकिंग साईट्स निभा रही है |सोशल नेटवर्किंग साईट्स के प्रभाव का आंकलन करते वक्त हम इसके व्यवसायिक पक्ष को  दरकिनार नहीं कर सकते |जो अमेरिका की अर्थव्यवस्था में अपना अहम योगदान दे रही हैं क्योंकि सभी बड़ी सफल सोशल नेटवर्किंग साईट्स का उद्गम अमेरिका ही है फेसबुक का मतलब महज सोशल नेटवर्किंग नहीं है बल्कि  ये विज्ञापन ,मीडिया और नए रोजगार के निर्माण से भी सम्बन्धित है | फेसबुक को अन्य देशों की क्षेत्रीय सोशल नेटवर्किंग साइट जैसे दक्षिण कोरिया में सिवर्ल्डजापान की मिक्सीरूस में वोकांते से कड़ी टक्कर  मिल रही सूचना क्रांति ने लोगों के  मूलभूत अधिकारों,और मानवाधिकारों को एक बड़े बाजार में तब्दील कर दिया है|यह भी सूचना क्रांति का एक पक्ष है |

 दैनिक जागरण में 07/03/2022 को प्रकाशित 

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