स्व रोजगार ये शब्द वर्ष 2020 के बाद से अचानक बहुत से ऐसे लोगों की जुबां आ गया है जो कभी किसी निश्चित आय और नौकरी के साथ जिदंगी गुजर बसर कर रहे थे।इन्वेस्टोपीडिया वेबसाइट के मुताबिक स्व रोजगार से जुड़ा व्यक्ति किसी नियोक्ता और निश्चित सैलरी के लिये कार्य नहीं कर रहा होता है। स्व रोजगार से जुड़ा व्यक्ति खुद ही अपनी विशेष स्किल के लिये जरिये अपनी आय जुटाता है। अब सवाल उठता है कि स्वरोजगार क्या होता है और किसे स्वरोजगार माने और किसे न मानें।सवाल उठ रहा है तो मतलब जवाब भी आपके आस पास ही होगा। स्वरोजगार से जुड़े व्यक्ति शैक्षिक और गैर शैक्षिक वर्ग दोनों से हो सकते हैं। मसलन अगर कोई व्यक्ति ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं, फिर भी वो अपनी सब्जी की दुकान के जरिये अपनी आजीविका चला रहा है और वहीं एक पढ़ा लिखा व्यक्ति जिसने ग्राफिक डिजाइनिंग में महारत हासिल है, वो अपनी स्क्लि के जरिये खुद का अपना काम करके या फ्रीलासिंग के जरिये अपनी आजीविका चला रहा है।
स्वरोजगार करने वालों में चाय वाले, किराना स्टोर, टैक्सी ड्राइवर ओला और उबर, रेहड़ी पटरी पर दुकान लगाने वाले, फूड कियोस्क, प्लंबर, इलेक्ट्रशियिन, इंश्योरेंस एजेंट, वित्तीय सलाहकार, वकील समेत विभिन्न क्षेत्रों के लोग जुड़े हुये हैं जो खुद ही अपनी आय का इंतजाम करते हैं।एक समय था जब जॉब मार्केट में इतनी ज्यादा प्रतियोगिता नहीं थी। लोग कम थे और नौकरियों के अवसर ज्यादा थे। पर कोविड 19 महामारी के दौर ने एक बार फिर से सबको सिखा दिया है कि खुद के द्वारा शुरू किये कार्य और उससे मिलने वाली आजीविका की बात ही कुछ और है।कोविड 19 महामारी के दौर में आप सबको अपने घर के पास खुली जनरल मर्चेंट की दुकानों की महत्ता तो पता ही चल चुकी होगी, जब सब कुछ बंद था तो इन छोटी—छोटी लाखों दुकानों ने ही करोड़ों लोगों को समय से दैनिक जीवन में उपयोग आने वाली चीजें मुहैया कराई थीं।
क्या आपको
पता है कि इन देश में कितने ड्राइवर हैं जो अपनी स्किल के बदौलत अपनी आजीविका चला
रहे हैं?
आईटीआई, पॉलीटेक्निक, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, स्किल इंडिया जैसी योजनाएं और कार्यक्रम अब प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों रूपों में रोजगार दिलाने का कार्य कर रहे हैं। इन कार्यक्रमों में अपनी मनपसंद ट्रेड चुनकर एक तरफ युवा खुद को जॉब मार्केट के लिये तैयार कर रहा है। वहीं बेहतर स्किल पाकर खुद का कार्य भी शुरू कर रहा है। रेहड़ी-पटरी वालों को आत्मनिर्भर बनाने की पहल करते हुये आर्थिक मदद के लिए 2 जुलाई 2020 को प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि योजना को पेश किया गया। पीएम स्वनिधि योजना के तहत इसकी शुरुआत से लेकर अब तक 34 लाख से अधिक रेहड़ी-पटरी वालों को 3,628 करोड़ रुपये का कर्ज मंजूर किया जा चुका है। प्रधानमंत्री स्वनिधि स्कीम को आवास व शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान के हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया है। योजना के तहत रेहड़ी-पटरी या खोमचे वाले पहली बार में 10,000 रुपये तक का कर्ज प्राप्त कर सकते हैं।उपरोक्त आंकड़े बताते हैं कि इतने कम समय में 34 लाख लोगों ने रेहड़ी पटरी पर खुद का कार्य शुरू या फिर शुूरू किये गये कार्य को आगे बढ़ाने के लिये 10,000 रूपये को लोन लिया। सीधे तौर पर इन 34 लाख लोगों के परिवार भी अपने जीविकोपार्जन के लिये इस कार्य पर ही निर्भर होंगे।
मैला ढोने वाले स्वच्छकारों के पुनर्वास के लिए स्वरोजगार योजना सरकारी क्षेत्र के बैंकों के लिए लागू है। इस योजना के तहत मैला ढोने वाले लोगों को मुख्यधारा में लाना है जिससे समाज में वो एक बेहतर जिंदगी जी सके और इज्जत के साथ अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत नारे का मकसद भी यही है कि रोटी, कपड़ा और मकान जैसी मूलभूत जरूरतों के अलावा भी लोगों की सबसे बड़ी जरूरत रोजगार को भी पूरा किया जा सके। इसी बात को ध्यान में रखते हुए वर्तमान में केंद्र सरकार ‘प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम’ जैसी योजना चला रही है।‘प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम’ जहां एक ओर देश के युवाओं को रोजगार मुहैया करा रहा है तो वहीं दूसरी ओर कोविड संकट और लॉकडाउन के बाद सुस्त पड़ चुके तमाम कार्यक्षेत्रों को फिर से नई गति भी प्रदान कर रहा है।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने वित्त वर्ष 2021-22 में पीएमईजीपी के तहत अब तक के सबसे अधिक रोजगारों का सृजन करके पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ डाले हैं। आयोग ने वित्त वर्ष 2021-22 में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत 8.25 लाख का अब तक का सबसे अधिक रोजगार सृजन दर्ज किया है। इसके साथ ही आयोग ने अभूतपूर्व रूप से 1.03 लाख नई विनिर्माण और सेवा इकाइयों की भी स्थापना की।पीएमईजीपी के तहत शुरू की गई इकाई को तीन साल तक सफलतापूर्वक चलाने के बाद दोबारा इकाई के विस्तार के लिए एक करोड़ रुपए का लोन फिर से लिया जा सकता है। इस पर भी 15 फीसदी सब्सिडी सरकार की ओर से दी जाती है। अधिक जानकारी के लिए आप kviconline.gov.in पर भी विजिट कर सकते हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार की ओडीओपी योजना भी स्वरोजगार को बढ़ावा देने वाली है। इस योजना के तहत हर जिले के प्रमुख उत्पाद के जरिये वहां के लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा जायेगा। साथ ही प्रत्येक जिले के उत्पाद विशेषों की बिक्री बढ़ाने के लिये ई कॉमर्स वेबसाइट के साथ—साथ हर जिले के उत्पादों को वहां के रेलवे स्टेशन ब्रिकी और मार्केटिंग के लिये उचित स्थान भी मुहैया कराया जायेगा। आज का समय ऐसा है कि उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले युवा भी स्वरोजगार की तरफ प्रेरित हो रहे हैं। बहुत से युवा उद्यमशीलता की तरफ जा रहे हैं तो बहुत से युवा खुद से स्वरोजगार की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं। आज से 10 साल पहले किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि लखनउ जैसे शहर में एक चटोरी गली होगी और वहां लगने वाली सैंकड़ों दुकानों को पढ़े—लिखे युवा चला रहे होंगे। या फिर एक एमबीए चाय वाला पूरे भारत में प्रसिद्ध हो जायेगा।
किसी भी पौधे को पेड़ बनने में समय लगता है। साथ ही उस पौधे को सही देख—रेख के साथ पानी, हवा, धूप की भी जरूरत होती है। तभी वह पौधा बड़ा होकर फल देता है। ऐसे ही स्वरोजगार योजनाओं से जुड़े युवाओं और अन्य लोगों को भी आर्थिक सलाह और सुरक्षा देनी होगी जिससे वो किसी से रोजगार न मांगकर खुद के स्वरोजगार को ज्यादा से ज्यादा फैलाने में लगे रहें।
आकाशवाणी लखनऊ से 26/05/2022 को प्रसारित वार्ता
https://youtu.be/0E6-CVLvLLo