हमारे जीवन में रात और दिन की समान जगह है पर जब भी हम जीवन की बात करते हैं तो बात सिर्फ दिन की होती है. बात समझे दिन इसलिए दिन है क्योंकि रात है. मैं बात को थोडा और सिंपल करता हूँ जब हम काले रंग के बारे में जानेगे तभी तो ये जान पायेंगे कि कौन कितना गोरा है.यानि इस जीवन में सबकी अपनी अपनी उपयोगिता है और कोई भी बेकार नहीं है.मैंने कहीं पढ़ा था बुराई कि सबसे बड़ी अच्छाई ये है कि वो बुराई है तो अगर कोई आगे बढ़ रहा है और आप उस जगह नहीं पहुँच पा रहें तो फ्रस्टेट न हों,अपने आप को पहचाने हो सकता हो आप उस काम के लिए बने न हों और वो काम करें जिसके लिए आप बने हों.जैसे रात, दिन नहीं हो सकती और दिन, रात नहीं. भाई इस फेस्टिव सीजन में मैं अपनी बात को फेस्टिवल के थ्रू ही कहूँगा तब शायद आप मुझे समझें तो मामला यूँ है कि आप होली में पटाखे छुडाएं तो लोग आपको क्या कहेंगे?
कोई भी काम शुरू करते जोश के साथ होश का भी इस्तेमाल करें महज इसलिए कि आजकल इसका बड़ा क्रेज है ,इसमें पैसा बहुत है जैसी बातों को ध्यान में रखकर कोई काम मत शुरू कर दीजिए. जिस तरह सारे दिन एक जैसे नहीं होते हैं और उसी तरह से सारी रातें भी एक जैसी नहीं होती हैं. किसी रात आप अपने किसी अज़ीज़ दोस्त की पार्टी में नाच गा रहे होतें तो किसी रात आप बिस्तर पर स्ट्रेस के कारण जगते हुए काट देते हैं और किसी रात आप ऐसा खूबसूरत सपना देखते हैं कि सुबह होने ही नहीं देना चाहते हैं.सबसे इम्पोर्टेंट हमारी जिंदगी में बहुत सारे ऐसे लोग है जिनका हमारी सफलता में योगदान होता है तो उनको भी नहीं भूलना चाहिए याद है न रात है तभी तो दिन है,तो दीपावली आपने हर साल मनाई होगी इस साल दीपावली की रात अपने उन दोस्तों के साथ मनाई जाए जो आपकी खुशी के लिए कुछ भी कर सकते हैं. अब तो आप मान ही लीजिए कि दीपावली तभी तक प्रकाश का त्यौहार है जब तक इस धरती पर अँधेरा है क्यूंकि कोई दिन में कोई पटाखे नहीं फोड़ता. तो कैसा लगा आपको दीपावली का रात कनेक्शन .
प्रभात खबर में 14/10/2022 को प्रकाशित