Wednesday, January 18, 2023

महकता -महकाता जाड़ा

 


जाड़ों का मौसम मुझे हमेशा पसंद  रहा है उसके पीछे मेरे पास ज्यादा कारण नहीं वैसे आप चाहे तो कई कारण बता सकते हैं जैसे इस मौसम में काम करने की क्षमता बढ़ जाती है ,साग सब्जियों की ज्यादा वैरायटी उपलब्ध होती है  आप इसे यूँ समझे जितने मुंह उतनी बातें पर मेरे पास ठण्ड को पसंद करने का एक अनोखा कारण है. मुझे अपने बचपन से ही फूलों पत्तियों पर गिरी ओस बहुत अच्छी लगती है और इस द्रश्य को देखने और महसूस करने का सबसे अच्छा मौसम है जाड़ा बचपन में जब हम जाड़े की शामों में  सैर पर निकलते थे तो चारों ओर फूल ही फूल दिखते  थे .  

प्रकृति के इस अनोखे रूप को महसूस करने हिंदी फिल्म के गीतकारों ने अपने अपने तरीके से महसूस किया है. अब जब बात फूलों की छिड़ ही गयी है तो कुछ याद आया. अगर  नहीं याद आया तो सुनिए ये गाना फिर छिड़ी रातबात फूलों की,रात है या बारात फूलों की (बाजार )| फूल होतेतो दुनिया इतनी रंगीन नहीं होती.जितने कोमल फूल होते हैं उतनी ही कोमल होती हैं हमारी भावनाएं. देखिये एक भाई अपनी बहन के लिए क्या गा रहा है “फूलों का तारों का सबका कहना है एक हजारों में मेरी बहना है” (हरे राम हरे कृष्णा) .जरा सोचिए फूलों से हमारा कितना गहरा रिश्ता है इंसान के पैदा होने से लेकर उसके मरने तक हर खुशी हर गम में फूल हमारा साथ देते हैं. फूलों की बात हो  तो गुलाब का जिक्र होना लाजिमी है . उसे फूलों का राजा यूँ ही तो नहीं कहा जाता और गानों में सबसे ज्यादा इसी फूल का जिक्र हुआ है. प्यार की कोमल भावनाओं को व्यक्त करता हुआ  कुछ ऐसी कहानी बयान कर रहा है ये गाना  फूल गुलाब का लाखों हजारों में एक चेहरा जनाब का (बीवी हो तो ऐसी ).

बचपन की शरारतों के बाद जब हम जवान होते हैं तो हमारे जेहन में कुछ सपने होते हैं कुछ उम्मीदें होती हैं. इन्ही सपनों में एक सपना अपने घर का भी होता और घर जब फूलों के शहर में हो तो क्या कहना “देखो मैंने देखा है एक सपना फूलों के शहर में है घर अपना” (लव स्टोरी) पर अगर आपको सपने में फूल ही फूल दिखें तो ऐसे ख्वाब को क्या कहेंगे चलिए मैं आपको गाना ही बता देता हूँ “देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए दूर तक निगाह में गुल खिले हुए” (सिलसिला ) पर फूल सिर्फ कोमल ही नहीं होता अगर आपकी इस कोमलता का सम्मान नहीं करेंगे तो ये अंगारा भी बन सकता है “फूल कभी जब बन जाए अंगारा” (फूल बने अंगारे ).

 जिंदगी में हर चीज़ की अपनी अहमियत होती है और ये बात रिश्तों पर भी लागू होती है फूल को बढ़ने के लिए खाद पानी की जरुरत होती है. रिश्तों को संबंधों की गर्मी और अपनेपन के एहसास की तो जाड़ों  के इस मौसम मे गर्मी का एहसास करने के लिए गर्म कपडे पहनने के अलावा  कुछ फूलों के पेड़ लगाइएनए रिश्ते बनाइये. पुराने रिश्तों पर जम गयी गर्द को झाडिये क्योंकि रिश्ते भी फूलों की तरह नाजुक होते हैं .आइये महसूस करते हैं अपने आसपास बिखरी हुई फूलों की खुशबू रिश्तों में बसी अपने पन  की महक और जाड़े के मौसम में इठलाते फूलों की सरगोशियाँ हमारी राह तक रही हैं .जाड़े का स्वागत अगर महकते हुए और महकाते हुए किया जाए तो इससे अच्छा भला और क्या हो सकता है .

प्रभात खबर में 18/01/2023 को प्रकाशित 

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