इन सब बातों को चेक करके
गूगल का प्रोग्राम बता देगा कि उस व्यक्ति को दिल की बीमारी या हार्ट अटैक का
कितना खतरा है और कितने सालों बाद उसे ऐसी कोई बीमारी हो सकती है। डाटा एनालिसिस से
डॉक्टर बेहतर फ़ैसले भी ले सकेंगे| धीरे-धीरे एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई की ज़रूरत नहीं रहेगी. गलत निदान
स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एक बड़ा मुद्दा है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार , अमेरिका में हर
साल लगभग 12 मिलियन लोगों का गलत निदान किया जाता है, और उनमें से 44प्रतिशत कैंसर
रोगी होते हैं। एआई
डायग्नोस्टिक सटीकता और दक्षता में सुधार करके इस मुद्दे को दूर करने में मदद कर
रहा है।भारत में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है |छोटे शहरों और कस्बों में जगह जगह निजी
डायग्नोस्टिक सेंटर और हॉस्पिटल की भरमार है पर उनके द्वारा देखे जा रहे मरीजों
द्वारा पैदा किया जा रहा आंकडा शोध के काम में नहीं आ पा रहा है और न ही इन
सेंटरों पर किया जा रहा इलाज कितना सटीक है |इसके आंकलन की कोई केंद्रीयकृत व्यवस्था है | स्वास्थ्य
सुविधाओं की मांग बढ़ने के अनुपात में चिकित्सकों की आपूर्ति सीमित रहती है|ऐसे में रोगी की लगातार
देखभाल को बनाए रखना कठिन हो जाता है।चिकित्सा क्षेत्र में ज्यादा जोर रोग ठीक
करने में है न कि ऐसी परिस्थिती का निर्माण हो जिसमें रोग हों ही न |
एआई के
साथ सक्षम कंप्यूटर विजन जैसे डिजिटल चिकित्सा समाधान, चिकित्सा इमेजिंग का सटीक विश्लेषण प्रदान करते हैं, जिसमें रोगी की रिपोर्ट, सीटी स्कैन, एमआरआई रिपोर्ट, एक्स-रे, मैमोग्राम आदि शामिल हैं, जो मानव आंखों को दिखाई नहीं देने वाले डेटा को निकालने में सक्षम
हैं।अधिकांश चिकित्सा डेटा का विश्लेषण करने में एआई रेडियोलॉजिस्ट की तुलना
में तेज़ और सटीक हो सकता है, यह अभी भी रेडियोलॉजिस्ट को पूरी
तरह से बदलने के लिए पर्याप्त परिपक्व नहीं है। इसलिए, मेसचुटेस इंस्टिट्यट ऑफ़ टेक्नोलॉजी ने हाइब्रिड दृष्टिकोण के आधार पर एक मशीन लर्निंग सिस्टम बनाया है जो
मेडिकल रिपोर्ट का विश्लेषण करके विभिन्न प्रकार के कैंसर का निदान कर सकता है या
कार्य को विशेषज्ञ रेडियोलॉजिस्ट को संदर्भित कर सकता है।
एआई के माध्यम से रोगी के साथ संचार को स्वचालित करने से
अपॉइंटमेंट प्रबंधन, रिमाइंडर, भुगतान संबंधी समस्याएं जैसे थकाऊ कार्य समाप्त हो सकते हैं। इन
कार्यों से बचाए गए समय को रोगियों की देखभाल में लगाया जा सकता है, जो स्वास्थ्य पेशेवरों का मुख्य उद्देश्य है।एआई डेटा का त्वरित विश्लेषण
भी कर सकता है, रिपोर्ट प्राप्त कर सकता है और
रोगियों को संबंधित डॉक्टरों के पास भेज सकता है। एआई सर्जरी को सुरक्षित और
स्मार्ट बना रहा है। रोबोटिक-असिस्टेड सर्जरी सर्जनों को
जटिल सर्जिकल प्रक्रियाओं में उच्च परिशुद्धता, सुरक्षा, लचीलापन और नियंत्रण प्राप्त करने
में सक्षम बनाती है।यह रिमोट सर्जरी को भी सक्षम बनाता है, जिसे दुनिया में कहीं से भी उन क्षेत्रों में किया जा सकता है जहां
सर्जन उपलब्ध नहीं हैं। यह वैश्विक महामारी के दौरान भी
लागू होता है जब सामाजिक दूरी आवश्यक है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल द्वारा प्रकाशित शोध ने पारंपरिक और रोबोट-समर्थित प्रोस्टेट कैंसर सर्जरी के बीच अंतर की
तुलना की। अध्ययन में पाया गया कि
रोबोट-सहायता प्राप्त रोगियों में प्रक्रिया के बाद अस्पताल में कम समय तक रहना
पड़ा और उन्हें सर्जरी के बाद दर्द भी कम हुआ |भारत इंटरनेट के प्रयोगकर्ताओं के हिसाब से विश्व का दूसरा सबसे
बड़ा देश है | आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल
और इंटरनेट की पहुंच स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन ला
सकती है |
भारत जैसे गरीब देशों में मेडिकल सुविधाओं की पहुंच बढ़ाने में आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस अहम टूल साबित हो सकता है | आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस को सभी जगहों तक पहुंचाने के लिए हेल्थ रिकॉर्ड को डिजिटाइज करना
पहला अहम कदम है | वर्तमान स्थिति,सरकार का संरक्षण और विभिन्न स्टार्टअप्स की शुरुआत भारत को आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस को अपनाने के लिए आवश्यक गति प्रदान कर सकता है। देश में आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि लोग स्वास्थ्य सेवाओं में तकनीक
का इस्तेमाल कितनी जल्दी अपने व्यवहार में ले आयेंगे और क्या तकनीक उन्हें वो भरोसा दे सकती है जितना की इंसान |
दैनिक जागरण के राष्ट्रीय संस्करण में 04/08/2023 को प्रकाशित
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