Wednesday, February 14, 2024

अंगदान में आगे हैं महिलायें

 

दुनिया की बड़ी आबादी वाले देशों में से एक भारत में प्रतिवर्ष लगभग 3,00,000 लोग वक़्त पर अंग न मिल पाने के कारण अपनी जान गंवा देते हैं .औसतन  कम से कम 20 व्यक्तियों की रोज़ाना मौत अंगदान की कमी से हो जाती है .लेकिन उम्मीद की एक किरण देश की आधी आबादी से नजर आ रही है .2021 में एक्सपेरिमेंटल एंड क्लिनिकल ट्रांसप्लांटेशन जर्नल में प्रकाशित एक शोध पत्र  में जीवित अंग प्रत्यारोपण के मामले में देश में भारी लैंगिक असमानता पाई गई । आंकड़ों के अनुसार 2019 में अंग प्रत्यारोपण का विश्लेषण किया और पाया कि अस्सी प्रतिशत  जीवित अंग दाता महिलाएं हैंमुख्य रूप से पत्नी या मां जबकि अस्सी प्रतिशत  प्राप्तकर्ता पुरुष हैं।देश में अंग प्राप्त करने वाली प्रत्येक महिला के मुकाबले चार पुरुषों का अंग प्रत्यारोपण हुआ है. 1995 से 2021 तक के आंकड़ों से पता चलता है कि 36,640 अंग प्रत्यारोपण किए गएजिनमें से 29,000 से अधिक पुरुषों के लिए और 6,945 महिलाओं के लिए थेअध्ययन में यह भी पाया गया कि अंग दान करने के लिए अधिकांश महिलाओं का प्राथमिक कारण उन पर परिवार में देखभाल करने वाला होने और देने वाला होने का सामाजिक-आर्थिक दबाव है और चूंकि ज्यादातर मामलों में पुरुष कमाने वाले होते हैंइसलिए वे किसी भी सर्जरी से गुजरने से झिझकते हैं.

हालांकि अंगदान को लेकर लिंगभेद के दूसरे मोर्चे भी हैंपुरुषों  के मुक़ाबले महिलायें  ज़्यादा अंगदान क्यों करती हैंइसकी कई वजहें हो सकती हैं .माना जाता है कि महिलाएंपुरुषों के मुक़ाबले ज़्यादा सम्वेदनशील  होती हैंउन्हें अपने रिश्तेदारों  से ज़्यादा हमदर्दी होती है.लेकिन इसका बड़ा कारण आर्थिक ही है और यह अंगदान महिलाओं द्वारा किये जाने इसकी बड़ी वजह आर्थिक बताई जाती हैघर में नियमित आमदनी का स्रोत  का उद्गम  पुरुषों से ही होता  हैबीमारी या ट्रांसप्लांट के दौरानदान देने वाले को अक्सर महीने-दो महीने के लिए घर बैठना पड़ता हैइससे दोहरा आर्थिक नुक़सान होता हैइस परिस्थिति में  अक्सर महिलाओं को ये लगता है कि वे  अंग दान कर के घर को होने वाला आर्थिक नुक़सान को कम कर सकती हैं.

यदि महिलायें आर्थिक रूप से पुरुषों के बराबर होंगी तो यह आंकड़ा बराबरी का हो सकता है पर फिलहाल जीवन के हर क्षेत्र में महिलायें पितृसत्ता के दंश का शिकार होते हुए भी त्याग के ऐसे प्रतिमान गढ़ रही हैं जिसकी कहीं चर्चा नहीं हो रही है .महिलाओं का वित्तीय रूप से आत्म निर्भर न होने के कारण वे खुद भी कई समस्याओं का सामना कर रही होती है.जैसे प्राकृतिक आपदाओं के दौरान पुरुषों के मुक़ाबले महिलाओं को ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ता  है। वर्ष  2007 में लंदन स्कूल ऑफ इक्नोमिक्स और एसेक्स विश्वविद्यालया के शोधकर्ताओं द्वारा किए १४१ देशों में किए गए गए एक अध्ययन के अनुसार वर्ष १९८१ से लेकर वर्ष २००२ तक हुई प्राकृतिक आपदाओं के दौरान मरने वाली महिलाओं की संख्या पुरुषों की संख्या से काफी अधिक थी। साथ ही इस शोध में यह तथ्य भी सामने आया कि जैसे-जैसे प्राकृतिक आपदा की विभीषिका बढ़ती गयी वैसे-वैसे पुरुष और महिला मृत्यु-दर के बीच का फासला भी बढ़ता गया। अब इस पुरुषवादी समाज को भी सोचना होगा कि हम आर्थिक रूप से उन्हें स्वावलंबी बनाने में न केवल  मदद करें बल्कि उन्हें  इस बात का एहसास भी कराएं कि समाज की गाड़ी को चलाने के लिए जितनी जरुरत पुरुषों की है उतनी ही महिलाओं की भी .

 प्रभात खबर में 14/02/2024 को प्रकाशित 

 

Tuesday, February 13, 2024

मनोरंजन उद्योग में पायरेसी

 

सारी दुनिया में पाइरेसी एक बड़ी समस्या है और इंटरनेट ने इस समस्या को और भी जटिल बना दिया हैसोफ्टवेयर पाइरेसी से शुरू हुआ यह सफर फिल्मसंगीत धारावाहिकों तक पहुँच गया है |मोटे तौर पर पाइरेसी से तात्पर्य किसी भी सोफ्टवेयर ,संगीत,चित्र और फिल्म  आदि के पुनरुत्पाद से हैजिमसें मौलिक रूप से इनको बनाने वाले को कोई आर्थिक लाभ नहीं होता और पाइरेसी से पैदा हुई आय इस गैर कानूनी काम में शामिल लोगों में बंट जाती है |इंटरनेट से पहले यह काम ज्यादा श्रम साध्य था और इसकी गति धीमी थीपर इंटरनेट ने उपरोक्त के वितरण में बहुत तेजी ला दी हैजिससे मुनाफा बढ़ा है |भारत जैसे देश में जहाँ इंटरनेट बहुत तेजी से फ़ैल रहा हैऑनलाईन पाइरेसी का कारोबार भी अपना रूप बदल रहा है |पहले इंटरनेट स्पीड कम होने की वजह से ज्यादातर पाइरेसी टोरेंट से होती थी पर अब भारत समेत सारी दुनिया में पाइरेसी का चरित्र बदल रहा है क्योंकि अब हाई स्पीड इंटरनेट स्मार्टफोन के जरिये हर हाथ में पहुँच रहा हैतो लोग पाइरेटेड कंटेंट को सेव करने की बजाय सीधे इंटरनेट स्ट्रीमिंग सुविधा से देख रहे हैं |

ऑनलाइन पाइरेसी में मूलतः दो चीजें शामिल हैं पहला सॉफ्टवेयर दूसरा ऑडियो -वीडियो कंटेंट जिनमें फ़िल्में ,गीत संगीत शामिल हैं |सॉफ्टवेयर की लोगों को रोज –रोज जरुरत होती नहीं वैसे भी मोटे तौर पर काम के कंप्यूटर सोफ्टवेयर आज ऑनलाईन मुफ्त में उपलब्ध हैं या फिर काफी सस्ते हैं पर आज की भागती दौडती जिन्दगी में जब सारा मनोरंजन फोन की स्क्रीन में सिमट आया है और इन कामों के लिए कुछ वेबसाईट वो सारे कंटेंट उपभोक्ताओं को मुफ्त में उपलब्ध कराती हैं और अपनी वेबसाईट पर आने वाले ट्रैफिक से विज्ञापनों से कमाई करती हैं पर जो कंटेंट वे उपभोक्ताओं को उपलब्ध करा रही होती हैं वे उनके बनाये कंटेंट नहीं होते हैं और उस कंटेंट से वेबसाईट जो लाभ कमा रही होती हैं उसका हिस्सा भी मूल कंटेंट निर्माताओं तक नहीं जाता है |ऑडियो –वीडियो कंटेंट को मुफ्त में पाने के लिए लाईव स्ट्रीमिंग का सहारा लिया जा रहा है क्योंकि इंटरनेट की गति बढ़ी है और उपभोक्ता को बार –बार कंटेंट बफर नहीं करना पड़ता यानि अभी सेव करो और बाद में देखो वाला वक्त जा रहा है |यू ट्यूब जैसी वीडियो वेबसाईट जो कॉपी राईट जैसे मुद्दों के प्रति जरुरत से ज्यादा संवेदनशील हैपाइरेटेड वीडियो को तुरंत अपनी साईट से हटा देती है पर इंटरनेट के इस विशाल समुद्र में ऐसी लाखों वेबसाईट हैं जो पाइरेटेड आडियो वीडियो कंटेंट उपभोक्ताओं को उपलब्ध करा रही हैं |

मनोरंजन उद्योग में ऑनलाइन चोरी पर नज़र रखने वाली मुसोसाईट के अनुसार पाइरेसी के लिए जिस तकनीक का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है उसमें स्ट्रीमिंग पहले नम्बर पर है |मुसो कॉपीराइट उल्लंघनों पर आंकडा  एकत्र करती  है |इंटरनेट पर ऐसी कई साईट्स  हैंजहां से पाइरेटेड कंटेंट  मिल जाती हैं. जेलर और पठान जैसी फ़िल्में भी लीक हुईं . दक्षिण में  में तमिल रॉकर्स जैसी पाइरेसी साइट्स ने तो कोहराम  मचा रखा है. इन्हें जैसे ही ब्लोक  किया जाता हैये यूआरएल बदलकर फिर से काम  करने लगती हैं. पाइरेसी फिल्म इंडस्ट्री की एक बड़ी समस्या है. पाइरेसी के कारण  फिल्म इंडस्ट्री को 20 हज़ार करोड़ का नुकसान हो रहा है. वैश्विक सलाहकार फर्म अंकुरा की एक रिपोर्ट के अनुसार2022 में टोरेंट साइटों के माध्यम से 7 बिलियन से अधिक विज़िट के साथ कंटेंट पायरेसी वेबसाइटों पर जाने के मामले में  भारत तीसरे स्थान पर है। भारत से आगे अमेरिका और रूस जैसे देश हैं |स्पाइडर-मैन: नो वे होम 2022 में भारत में सबसे अधिक पायरेटेड फिल्म थीजबकि गेम ऑफ थ्रोन्स सबसे अधिक पायरेटेड श्रृंखला थी। केजीएफ: चैप्टर 2 और आरआरआर सबसे अधिक पायरेटेड भारतीय फिल्में थीं। संगीतफिल्मोंसॉफ्टवेयर और किताबों की पाइरेसी में व्हाट्स एप और टेलीग्राम जैसे मेसेजिंग एप नें स्थिति को और गंभीर बना दिया है | जो टॉरेंट साइट्स या एग्रीगेटर ऐप्स के बारे में जानकारी प्रसारित करते हैं जहाँ पाइरेटेड सामाग्री उपलब्ध हैं |

रिपोर्ट के अनुसार पायरेसी वेबसाइटों पर आने वाले कुल ट्रैफ़िक में टीवी सामग्री का हिस्सा 46.6 प्रतिशत थाइसके बाद प्रकाशन सामग्री (किताबें) का योगदान 27.80 प्रतिशत  रहा । फिल्म पाइरेसी 12.40 प्रतिशत  तक पहुंच गई हैइसके बाद संगीत और सॉफ्टवेयर का स्थान आता हैजो क्रमशः 7 प्रतिशत  और 6.20 प्रतिशत है।भारत में वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पायरेसी के कारण कुल राजस्व का 25-30 प्रतिशत हिस्सा गँवा रहे हैं|सरकार ने इसके लिए सिनेमैटोग्राफ संशोधन बिल 2023 में कुछ नए प्रावधान जोड़े हैंइस विधेयक का उद्देश्य ‘पायरेसी’ की समस्या पर व्यापक रूप से अंकुश लगाना हैइस बिल के तहत फिल्म की पाइरेसी करने वालों को तीन महीने से लेकर तीन साल की जेल हो सकती है. साथ ही फिल्म  की निर्माण लागत  का पांच  प्रतिशत जुर्माना भी भरना होगा. फिल्म को गैरकानूनी तरीके से दिखाना या फिर इसकी गैर कानूनी रिकॉर्डिंग भी अपराध की श्रेणी में आएगी. निजी इस्तेमालकरेंट अफेयर्सरिपोर्टिंग और फिल्म क्रिटिसिज्म के लिए कॉपीराइट कंटेंट इस्तेमाल किया जा सकेगा. सिनेमैटोग्राफ अधिनियम1952 में अंतिम महत्वपूर्ण संशोधन वर्ष 1984 में किया गया था। भले ही नई प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों पर पाइरेसी  व्यापक हो गई हैकई कानून आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं हैं। कॉपीराइट अधिनियम, 1957 जैसे मौजूदा कानूनों  में कई समस्याएं  हैं और वे पर्याप्त कठोर नहीं हैंजिससे अपराधियों को दण्डित करना मुश्किल  हो जाता है। राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) नीति 2016 सहित नए कानूनों का पालन  और साइबर डिजिटल अपराध इकाइयों की स्थापना अभी भी प्रारंभिक चरण में है। पर्याप्त कानूनों के अभाव मेंअदालतें पाइरेसी के मामले में कुछ ख़ास नहीं कर पाती हैं तकनीक के तौर पर इंटरनेट की जटिलता को देखते हुए ये सिनेमैटोग्राफ संशोधन बिल 2023 पाइरेसी की समस्या को कितना कम कर पायेगा इसका फैसला अभी होना है |

 दैनिक जागरण में 13/02/2024 को प्रकाशित 

 

रील्स के बढ़ते ट्रेंड के दौर में तस्वीरें

 इंटरनेट के आने से पहले की दुनिया में बदलाव की गति धीमी थी |नया देर से पुराना होता था पर अब यह प्रक्रिया इतनी तेज है कि नया  द्रुत गति से पुराना हो रहा है|सोशल मीडिया के आने के बाद लोगों ने अपनी बात कहने के लिए  ब्लॉग पोस्ट और तस्वीरों को जरिया  बनाया फिर वीडियो और आडियो कंटेंट की धूम मची पर तस्वीरें या फोटोग्राफ मांग में लगातार बने रहे |बात चाहे अपना जन्मदिन मनाते जोड़े की हो या दुनिया घूमती एक युवा लड़की की हर जगह तस्वीरें प्रमुखता से अपनी भूमिका निभा रही थी|ये तस्वीरों का ही कमाल  था|जिसने  मोबाइल से अपनी खुद की तस्वीरें लेने की कला सेल्फी को विकसित किया  और देखते -देखते सारी दुनिया में छा गयी|लेकिन  इंटरनेट पर रील्स की बढ़ती लोकप्रियता ने इन तस्वीरों   की लोकप्रियता को खत्म  तो नहीं पर कम जरुर कर दिया है|रील्स जैसा ही एक और प्रारूप इंटरनेट पर सुर्खियाँ बटोर रहा है |वह है "व्लॉगिंग"|ये  दो अलग-अलग डिजिटल मीडिया प्रारूप हैं जिनका उपयोग वीडियो सामग्री बनाने और साझा करने के लिए किया जाता है।जिनके कारण तस्वीरों की लोकप्रियता में कमी आ रही हैव्लॉगिंग का मतलब होता है कि व्यक्तिगत अनुभवोंज्ञानकलासाहित्ययात्राओं आदि को वीडियो के माध्यम से साझा करना।इनकी अवधि रील के मुकाबले ज्यादा होती है | रील्स एक प्रकार की वीडियो सामग्री है जो आमतौर पर एम एक्स शोर्ट विडियोमौज ,जोश ,चिंगारी,मित्रों इन्स्टाग्राम,यूट्यूब और फेसबुक  जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बनाई जाती है।हालाँकि  यह विभिन्न  विषयों पर छोटे-छोटे वीडियो होते हैं जिन्हें संगीतडायलॉगआदि के साथ तस्वीरों और क्लिप्स के साथ मिलाकर बनाया जाता है। रील में गति होती है जबकि तस्वीरों में अगर गति लानी भी  है तो रील्स का ही सहारा लेना पड़ेगा |सोशल इनसाइडर  के अनुसार रील्स इंस्टाग्राम पर किसी भी अन्य सामग्री प्रकार से दोगुनी पहुंच उत्पन्न करते हैं।रील्स की औसत पहुंच दर 30.81 प्रतिशत  हैजबकि कैरोसल  (ऐसी पोस्ट जिसमें एक से अधिक फ़ोटो या वीडियो हों , जिन्हें उपयोगकर्ता फ़ोन ऐप के माध्यम से पोस्ट पर स्वाइप करके देख सकते हैं। ) और फोटो  पोस्ट की औसत पहुंच दर क्रमशः 14.45 प्रतिशत  और 13.14प्रतिशत  है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि 2022 और 2023 के बीच कैरोसेल पोस्ट  की पहुंच दर में महत्वपूर्ण  गिरावट आई है।

स्टैटिस्टा की एक रिपोर्ट के अनुसारइंस्टाग्राम  रील्स की पहुंच दर उन खातों के लिए कहीं अधिक है। जो कम फ़ॉलोअर्स रखते हैं500 फ़ॉलोअर तक के खातों की औसत पहुँच दर 892 प्रतिशत  होती है। हालांकि यह उन खातों की पहुँच दर से कई गुना ज्यादा  है जिनके पास ज्यादा  फ़ॉलोअर्स होते हैं,  पर बड़े खातों वालों के इंस्टाग्राम  रील्स की पहुँच में  भी काफी महत्वपूर्ण वृद्धि देखी जा रही  है।

ये आंकड़े सुझाव देते हैं कि भारत में  फोटो ग्राफ    की तुलना में रील्स एक अधिक प्रभावी तरीका है जिससे भारत में जनसंचार करनेलोकप्रियता प्राप्त करने और जनों को परिवर्तित करने का सही तरीका है। डिमांड्सएज वेबसाईट के अनुसार 230.25 मिलियन इंस्टाग्राम उपयोगकर्ताओं के साथभारत इंस्टाग्राम रील्स का सबसे बड़ा बाजार हैदूसरे नम्बर पर  अमेरिका (159.75 मिलियन) और तीसरे स्थान पट ब्राजील  (119.45 मिलियन) है।

रील्स के लोकप्रिय होने के कुछ कारण हैं. पहलावे स्थिर तस्वीरों की तुलना में अधिक आकर्षक हैंरील्स कहानियां बता सकती हैंगति दिखा सकती हैंऔर संगीत और ध्वनि प्रभाव जोड़ सकती हैंजो उन्हें दृश्य रूप से अधिक आकर्षक और देखने में दिलचस्प बना सकती हैंदूसरारील्स बनाने के लिए पहले से कहीं अधिक आसान हैंस्मार्टफोन और वीडियो संपादन ऐप्स के आगमन के साथकोई भी कुछ ही टैप के साथ एक रील बना सकता है. तीसरारील्स एक व्यापक दर्शकों तक पहुंचने का एक शानदार तरीका है. उन्हें इंस्टाग्राम यु ट्यूब शॉर्ट्स  जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर साझा किया जा सकता हैजिनके अरबों उपयोगकर्ता हैं|फिर भी स्थिर चित्रों का महत्त्व खत्म नहीं हुआ है |वे यादें कैद करने का एक अधिक स्थायी और कालातीत तरीका हैउन्हें घरों और व्यवसायों में मुद्रित और प्रदर्शित किया जा सकता हैजिन्हें कई  वर्षों तक संजोया जा सकता हैस्थिर तस्वीरें दूसरों से व्यक्तिगत तौर पर जुड़ने से  एक अधिक अंतरंग तरीका भी हैंजिनका उपयोग व्यक्तिगत कहानियां बताने और निजी क्षणों को साझा करने के लिए किया जा सकता हैउनका उपयोग विशेष अवसरोंयात्रा और रोजमर्रा की जिंदगी का दस्तावेजीकरण करने के लिए होता है|रील्स छोटे   मनोरंजक वीडियो साझा करने का एक शानदार तरीका है. जिनका उपयोग  अक्सर हास्यरचनात्मकता और व्यक्तित्व को प्रदर्शित करने के लिए होता हैइसलिएजबकि रील्स लोकप्रिय हो रहे हैंयह संभावना नहीं है कि वे पूरी तरह से स्थिर तस्वीरों को समाप्त कर देंगे | दोनों प्रारूपों की अपने ताकत और कमजोरियां हैंऔर वे आने वाले वर्षों में सह-अस्तित्व के साथ कितनी देर तक रह पाएंगे इसका फैसला होने में अभी वक्त है |

अमर उजाला में 13/02/2024 को प्रकाशित 

पसंद आया हो तो