Thursday, August 28, 2008

हर आँख में एक सपना हो …..

आज बात शुरू करते हैं सपनों से सपने हर इंसान के जेहन की एक ऐसी वर्चुअल रिअलिटी है जो वास्तविक न होते हुए भी उसे वास्तविक लगती है लेकिन यथार्थ को बेहतर बनानने का रास्ता सपनों से ही हो कर जाता है शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा जिसने सपने नहीं देखे होंगे और जो सपने देखकर उनको सच करने की कोशिश करता है दुनिया उसे सफल मानती है . हिन्दी सिनेमा भी तो एक सपने की दुनिया का निर्माण करता है फिल्मों की कहानी और हर गीत के पीछे एक सपना ही तो होता है. इस दुनिया में शायद हर विचार के पीछे एक सपना ही होता है. फिल्मों ने सपने का प्रयोग कई गीतों में किया है जैसे मेरे सपनों की रानी कब आयेगी तू , तेरे मेरे सपने अब एक ही रंग हैं, एक न एक दिन ये कहानी बनेगी तू मेरे सपनों की रानी बनेगी, सपने सुहाने लड़कपन के मेरे नयनों में डोले बहार बन के, या फ़िर जैसे की सपने होते हैं सपने हैं सपने कब हुए अपने. वैसे सपनों की कहानी हमारे जीवन के साथ बढ़ती चली जाती है बचपन में दादा दादी नाना नानी की कहानियो से शुरू हो कर जीवन के अन्तिम समय तक चलती रहती है. बचपन में हम अच्छे खिलोनो का सपना देखते हैं तो जवानी में एक अच्छे जीवन साथी या एक बेहतर भविष्य का , चाँद तारे तोड़ लाऊं बस इतना सा ख्वाब है, और जीवन की शाम में हम उन सपनों का सपना देखते हैं जो हमने जवानी में देखे और उन्हें पूरा किया, सपने में देखा सपना, तो सपने देखने का ये सिलसिला पूरी उम्र चला करता है. लेकिन सही मायने में सपने देखने और उन्हें पूरा करने की उम्र तो जवानी ही है, क्योंकि तब तक आप जिन्दगी की हकीकत को समझ चुके होते हैं बचपने की नादानियों की जगह आप भविष्य को बेहतर बनाने की कोशिश में जुट जाते हैं और इस दौर के मालिक आप ख़ुद होते हैं और शायद इसीलिए हमारी फिल्मों के ज्यादातर किरदार युवाओं पर ही केंद्रित होते हैं क्योंकि युवाशक्ति ही वह शक्ति है जिसमें सपने देखने की ललक और उन्हें पूरा करने की ताकत होती है फिल्मों में दिखाया गया संसार भले ही काल्पनिक हो,कथानक और समस्या से निबटने का तरीका अवास्तविक हो लेकिन समाधान कहीं न कहीं वास्तविकता के आस पास होता है लगे रहो मुन्ना भाई” की गांधीगिरी इसका एक उदाहरण है “रंग दे बसंती” का कैडल मार्च भी हमें ये दिखाता है कि फिल्मों के समाधान वास्तविक जिन्दगी में काम कर सकते हैं सपने की ये कहानी भले ही आपको सपने जैसी लगे लेकिन विश्वास जानिए कि इस संसार में जो कुछ बेहतर हो रहा है उसके पीछे किसी का सपना जरूर है अगर हमने हवा में उड़ने का सपना न देखा होता तो शायद आज हम हवाई जहाज की यात्रा का आनंद नहीं ले रहे होते. मानव सभ्यता का विकास एक सपने का ही परिणाम है जो हमारे पूर्वजों ने देखा इसलिए सपने देखिये लेकिन ध्यान रहे सिर्फ़ सपने देखने से कुछ भी हासिल न होगा उन सपनों को हकीकत में बदलने की कोशिश कीजिये, और न कर पाइए तो तो उस सुंदर सपने को आने वाली पीढीयों के लिए छोड़ जाइये सपने जीवन का अभिन्न अंग हैं जो सिर्फ़ आपके हैं और जिन्हें आप से कोई नहीं छीन सकता है हम आज अगर बढे हैं तो कहीं न कहीं उसमे सपनों का योगदान जरूर है और उन सपनों को शुक्रिया कहने का सब से सुंदर तरीका है कि एक सुंदर सा सपना देखा जाए, हिन्दी फिल्में भी हमें सपने देखने के लिए प्रेरित करती हैं लेकिन सपने सिर्फ़ सपने देखने के लिए नहीं बल्कि अपने आस पास की दुनिया को बेहतर बनाने के लिए देखिये .
मुझे वीरेन डंगवाल जी की कुछ पंक्तियाँ याद आ रही है
मैं तसली झूठ मूठ की नहीं देता
हर सपने के पीछे एक सच्चाई होती है
हर कठिनाई कुछ न कुछ राह दिखा ही देती है
जब चल कर आए हैं इतने लाख वर्ष तो
आगे भी चल कर जायेंगे
आयेंगे आयेंगे
उजले दिन जरूर जायेंगे
आप सब से इस उम्मीद के साथ विदा लेता हूँ की इस दुनिया को बेहतर बनाने का आप सब जरूर एक सपना देखेंगे
आएये देखते हैं एक सुंदर सा सपना
आई नेक्स्ट में २८ अगस्त को प्रकाशित

6 comments:

शोभा said...

बहुत सुन्दर और सशक्त बात कही है। बधाई।

कुमार मुकुल said...

जीवंत ढंग से आपने आपनी बातें कहीं हैं अच्‍छा लगा

Puneet's Blog said...

बहुत ही अच्छा लेख लिखा है सर , बधाईयाँ
सपने देखना और उनको यथार्थ में बदलने की कोशिश ही ज़िन्दगी है..

Udan Tashtari said...

अच्छा लगा आपको पढ़ना..

archana chaturvedi said...

Ji ha sapno ki bhi duniya badi ajib hoti hai na to koi rokne vala or na to koi tokne vala par ha ek dar humesha lagta hai ki kahi need tut gei to kya hoga par abdul kalam ji ki kahi hui baat yaad aati hai ki"sapne vo nai jo needo me aate hai
sapne vo hote hai jinko pura karne ke liye raato ki need ued jati hai"

virendra kumar veer said...

sapna koi bhi ho agar dil se pure kiya jaye to sapne bhi haikat se roobaroo kar deti hain. sapne to har insaan dekhta hai kyun ki inki duniya hi ajeeb hoti hai jis par koi jor nahi hota. kabhi aankh band karke sapne dekhate to kabhi khuli ankho se.par sapne haikat me wahi hote jinhe poora karne me jindagi bhi kam pad jati hai. par jab sapna tutate hai to dard ka bhi ahsaas dila jata hai.

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