तुम्हारा ई मेल मिला .मैंने भी ई मेल करना सीख लिया है ये तो तुम देख ही रहे होगे अब मुझे तुमहें चिठ्ठी भेजने के लिए पोस्ट ऑफिस के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे तुम्हारा भेजा हुआ मोबाइल मुझे तुम्हारा अहसास कराता है ऐसा लगता है कि तुम मेरे आस पास हो मैं तुमसे जब चाहूँ बातें कर सकता हूँ कितनी बदल गयी हैदुनिया मुझ जैसे ओल्ड एजेड परसन के लिए यह सब तो वरदान है लाइफ कितनी कम्फटेबल (comfortable) हो गयी है .तुमने लिखा है कि इस बार दीपावली पर तुम घर नही आ पाओगे दुःख तो हुआ लेकिन इस बात कि तस्स्सली भी है कि तुम भले ही कितनी दूर हो लेकिन मैं तुमसे जब चाहूँ बात कर सकता हूँ और विडियो कांफ्रेंसिंग से देख भी सकता हूँ .मैं जब पहली बार अपने घर से बहार निकला था तो चिठ्ठी को घर तक पहुँचने में सात दिन लग जाते थे और अमेरिका से तुम्हारा भेजा गया गिफ्ट दो दिन में मिल गया , पैसे भी मेरे अकाउंट में ट्रान्सफर हो गए हैं .शुगर फ्री चोकलेट तुम्हरी मां को बहुत पसंद आई.बेटा एक बात तुम मुझसे अक्सर पूछा करते थे कि पापा घर से स्कूल की दूरी तो उतनी ही रहती है लेकिन रिक्क्शे वाला किराया क्यों हर साल बढ़ा देता है मैं तुम्हें इकोनोमिक्स के जरिये किराया क्यों बढ़ता है समझाता था लेकिन मैं जानता था कि मैं तुम्हें समझा नहीं पा रहा हूँ .इतनी उमर बीतने के बाद मुझे ये समझ में आ गया है कि चेंज को रोका नहीं जा सकता है और अगर वह अच्छे के लिए हो रहा है तो हमें बाहें फैला कर उसका स्वागत करना चाहिए . जब तुमने पहली बार कंप्यूटर खरीदने की डिमांड की थी तो मैं बड़ा कन्फुज (confuse) था एक मशीन से पढ़ाई कैसे होगी लेकिन तुम्हारी जिद के आगे मुझे न चाहते हुए भी कंप्यूटर खरीदना पड़ा और इसी कंप्यूटर ने हम सब की जिन्दगी बदल दी शुरुवात में मुझे लगता था की उमर के आखिरी पडाव पर मै यह सब सीख कर क्या करूँगा मैं अपनी पुरानी मान्यताओं पर टिका रहना चाहता था .तुम्हें काम करते देख थोड़ा बहुत मैं भी सीख गया और आज जब तुम हम सब से इतनी दूर हो तुम्हारी कमी जरूर खलती है लेकिन लाइफ में कोई प्रॉब्लम नहीं है .मुझे याद है कि तुम्हारी इंजीनियरिंग की फीस के ड्राफ्ट के लिए मुझे आधे दिन की छुटी लेनी पड़ती थी और बैंक में धक्के अलग से खाने पड़ते थे आज एक ई मेल या फ़ोन पर ड्राफ्ट घर आ जाता है.मेरी पुरानी मान्यत्वाओं से तुम अक्सर सहमत नहीं रहा करते थे और रैस्न्ली मुझे समझाते भी थे समझता तो मैं भी था बेटा लेकिन चेंज एक झटके में नहीं होता .तुम जब पहली बार दीपावली में मिठायिओं के साथ चोकलेट के पैकेट ले आए थे तो मैंने तुम्हें डाटा था कि तुम अपनी परम्पराएँ भूलते जा रहे हो खील बताशे की जगह चोकलेट और डिजाइनर पैकिंग की मिठियां नहीं ले सकती शायद तुम्हें याद हो बेटा तुमने कहा था पापा परम्पराओं को जबरदस्ती नहीं थोपा जा सकता अगर खील बताशे के साथ चोकलेट आ गयीं तो बुरा क्या ? परम्पराएँ अपने टाइम को रिप्रसेंट करती हैं जब टाइम चेंज हो रहा है तो क्यों न परम्पराएँ भी बदली जायें .
वाकई तुम सही थे बेटा ई कामर्स से कागज और इंक की कितनी बचत हो रही है जिससे इंविओर्न्मेंट को फायदा मिल रहा है अपना शहर भी तेज़ी से बदल रहा है शौपिंग मॉल्स ,मल्टीप्लेक्स खुल रहे हैं अब खुशियाँ मनाने के लिए किसी त्यौहार का इंतज़ार नहीं करना पड़ता है जब तुम विदेश से लौटे थे तब हम पहली बार किसी होटल में खाना खाने गए थे , तुमने मुझसे से एक बात कही थी पापा सेविंग्स बहुत जरुरी है लेकिन आप खुशियाँ मनाने के लिए त्योहारों का इंतज़ार क्यों करते हैं आप होली दीपावली में मेरे कपड़े क्यों सिलवाते थे .हालाँकि उस वक्त मुझे तुम्हारी बात बुरी लगी थी . आज जब मैं अपने आस पास की दुनिया को देखता हूँ तब मुझे लगता है तुम सही थे मेरी उमर के तमाम लोग अपने ही बनाये नियम कानूनों में सिमटे रहना चाहते हैं वो बदलना तो चाहते हैं न जाने किस डर से वो हर चेंज को डर की नज़र से देखते हैं लेकिन तुम लोगों को देखकर लगता है कि तुम लोग जिन्दगी को एन्जॉय कर रहे हो और जीना इसी का नाम है तुम लोगों को अपने ऊपर भरोसा है रिस्क लेना का माद्दा है और रिस्क लेने वाला ही जीतता है मैंने जिन्दगी में रिस्क नहीं लिया और जिन्दगी भर क्लर्क बना रहा लेकिन तुमने मेरे लाख विरोध के बावजूद सरकारी नौकरी को छोड़ अपना बिज़नस शुरू किया और मुझे फख्र है कि मैं तुम्हारा फादर हूँ .खुश रहना मेरे बेटे
दीपावली की शुभकामनायें
तुम्हारा पापा
आई नेक्स्ट २१ अक्टूबर 2008 को प्रकाशित