Wednesday, October 20, 2010

जो महका दे जीवन



पिछले दिनों मैंने जिंदगी का एक नया रंग देखा और हमेशा की तरह उसे फिल्मों की तरह जोड़ दिया हुआ यूँ कि करीब १९ साल के बाद अपने पुराने स्कूल जाना हुआ बगैर किसी कारण बस दिल ने कहा चलो और मैं चला गया वहाँ मुझे अपना एक सबसे प्यारा मित्र मिला जिसे मैंने पिछले १९ साल से नहीं देखा था और न बात की थी  ये अलग बात है कि वो स्कूल के दिनों का मेरा सबसे अच्छा दोस्त था अजय मोगरा  फेस बुक पर जाने से कुछ ही दिन पहले उसने मुझे खोज लिया और जब मैं वहां पहुंचा तो इंसाने रिश्ते का एक नया रंग देखा वो था दोस्ती मुझे लगा ही नहीं कि हम कभी बिछड़े भी थे  और ये फासला १९ साल का हो चुका था उसका प्यार और अपनत्व के आगे मुझे अपने का रिश्ते फीके से लगे . जिंदगी में हमारे पैदा होते ही ज्यादातर रिश्ते हमें बने बनाये मिलते हैं और उसमे अपनी चोइस का कोई मतलब ही  नहीं रहता लेकिन दोस्ती ही एक ऐसा रिश्ता होता है जिसे हम अपनी लाइफ में खुद बनाते हैं  फिर दोस्ती की नहीं हो जाती है दोस्ती तो हो जाती है तो आज बात फिल्म और दोस्ती की फिल्मों ने इश्क ,प्यार और मोहब्बत के बाद किसी मुद्दे पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया है वो दोस्ती है “जाने तू या जाने न”  “रॉक ऑन , 'दिल चाहता है' और 'रंग दे बसंती' जैसी फिल्मों में दोस्ती को ही मुख्य आधार बनाया गया है पर दोस्तों को दुवा देता  ये गाना जब आप सुनेंगे तो निश्चित ही आपको अपने सबसे अच्छे दोस्त की याद आ ही जायेगी  एहसान मेरे दिल पर तुम्हारा है दोस्तों ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तों (फिल्म :गबन ) इस दुनिया में शायद ही ऐसा कोई इंसान होगा जो अपने दोस्तों का एहसान न मानता हो क्या कहेंगे आप दोस्ती यानी एक ऐसा रिश्ता है, जिसमें प्यार, तकरार, इजहार, इंकार, स्वीकार जैसे सभी भावों का मिक्सचर है जब दोस्ती पर गानों की बात चली है तो सबसे ज्यादा चर्चित गाना शोले का ही हुआ “ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे ,छोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ न छोड़ेंगे” दोस्ती है ही रिश्ता ऐसा न इसके लिए न समाज की स्वीकृति चाहिए और न ही मान्यताओं और परम्पराओं का सहारा तभी तो कहा गया है बने चाहे दुश्मन जमाना हमारा सलामत रहे दोस्ताना हमारा (दोस्ताना )  जरा सोचिये बगैर दोस्ती के हमारा जीवन कैसा होता आफिस ,स्कूल , सिनेमा हाल , रेस्टोरेंट बगैर दोस्तों के कैसे लगते अगर नहीं समझ पा रहे हों तो अपने स्कूल का पहला दिन याद कीजिये जब आपका कोई दोस्त नहीं था या किसी दिन अकेले कोई फिल्म देखने चले जाइए और उसके बाद कहीं बाहर अकेले खाना कहिये फिल्म खुदगर्ज़ का ये गाना शायद इसी विचार को आगे बढ़ा रहा है “दोस्ती का नाम जिंदगी”, पर कभी ऐसा भी हो सकता है कि आपको दोस्ती करनी पड़ती है तो उस मौके के लिए भी गाना है “हम से तुम दोस्ती कर लो ये हसीं गलती कर लो “ (नरसिम्हा )
पर जिंदगी में रिश्ते हमेशा एक जैसे नहीं होते और ये बात दोस्ती पर भी लागू होती है कभी दोस्तों के चुनाव में भी गलती हो जाती है या गलतफहमियों से दोस्तों से दूरी हो जाती है और तब जो होता उसको बयां करता है ये गाना “दुश्मन न करे दोस्त ने वो काम किया है उम्र भर का गम हमें इनाम दिया है” (आखिर क्यों ) खैर हर रिश्ता कभी भी एक जैसा नहीं होता और वो बात दोस्ती पर भी लागू होती है  फिर आजकल की भागती दौडती दुनिया में अक्सर इस बात को दोष दिया जाता है कि इस से रिश्तों की संवेदनाएं खतम हो रही हैं पर एक रिश्ता तेज रफ़्तार  दुनिया में आज भी बचा हुआ है वो है दोस्ती क्योंकि ये कुछ मांग नहीं करता दोस्त , दोस्त होते हैं ये शिकायत हो सकती है कि समय की कमी है पर जब दोस्त मिलते हैं तो दोस्ती फिर से जवान हो जाती है तो चलिए किसी दोस्त को याद करते हैं एक एस ऍम एस करके या किसी सोसल नेट वोर्किंग साईट पर जाकर उसे हेल्लो बोलते हैं .
आई नेक्स्ट में २० अक्टूबर को प्रकाशित 

14 comments:

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

सचमुच, दोस्त ही तो हैं, जो हम अपनी मर्जीसे चुनते हैं।

Meenu Khare said...

Hello Mukul ! --:)

PRATIGYA SHUKLA said...

kya baat hai sir..ekdum shi kha aapne...vaise doston ko yaad kia ja rha hai..... to ek baat hme bhi yaad aa gai.......
" Memories r so confusing, u laugh wen u think of d times u had cried wid ur frnds and u cry wen u remember d times u had laughed together......."

ash5sh said...

आप ने सच लिखा है गुरूजी ...दोस्ती ही वो रिश्ता होता है जो जीवन में हजारों रंग भर देती है....और जीवन को महका देती है....

AAGAZ.. said...

घरवालों के बाद अगर कोई अपना सच्चा साथी होता है तो वो है दोस्त, कभी कभी शायद आपके अपने आपको न समझ पाए पर सच्चे दोस्त कभी साथ नहीं छोड़ते.. 1964 मैं एक फिल्म आई थी दोस्ती, उस वक़्त इस फिल्म को 4 फिल्मफेयर अवार्ड मिले थे.. दोस्ती की मिसाल थी ये फिल्म.. ज़माना चाहे कितना भी बदल जाये.. कितने ही रिश्ते बदल जाये. पर दोस्ती हमेशा साथ रहती है..

virendra kumar veer said...

DOSTI ME KISI KA JOR NAHI HOTA BAS YAHI O CHEEJ HAI JO KHUD KI MARJI SE CUNTE HA,AUR ACCHE DOST MILTE AUR UNSE DOSTI HO JATI HAI AUR DOSTI HASHIL NAHI KI JATI.DOSTI SE HI PYAR BADTA HAI.DOST HI HAI JISSE HUM HAR BAAD SHER KAR SAKTE HAI.DOSTO KE BINA JINDAGI ADHURI SI LAGTI HA,KYUNKI DOSTI KA DUSRA NAAM HI JINDAGI HAI.DOSTI TO KHUDA KA DUSRA ROOP HAI.

CHANDNI GULATI said...

nice write up sir....maine bhi ek baar apne ek friend ke liye ye gaana radio par dedicate kiya tha "tere jaisa yaar kahan, kahan aisa yaarana ,yaad karegi duniya,tera mera afsana".

sana said...

Bhulenge wo log bhulna jinka kam hai,
Hamari to dosto k bina guzarti nhi sham hai,
Kaise bhul sakte hai ham un dosto ko,
Jo hmari zindgi ka dusra naam hai.

ARUSHIVERMA said...

FRIEND'S ARE FOREVER.

Unknown said...

sahi kaha sir friendship is the only thing which no can forget remember nd all her life...
Sonali Singh

Unknown said...


आपके इस लेख को पढ़ने के बाद मैंने अपने स्कूल डेज की फ्रेंड को फेसबुक के ज़रिये सर्च कर के उससे कांटेक्ट किया , बात चीत की , बहुत अच्छा लगा , पुराने दिनों की यादे ताज़ा हो गई । दरअसल जब हम सब अपनी लाइफ में आगे बढ़ते हैं तो नए नए लोग मिलते जाते हैं और पुराने छूटते जाते हैं । दोस्ती पर एक गाना ज़हन में आता है " दीये जलते हैं फूल खिलते हैं , बड़ी मुश्किल से मगर दुनियां में दोस्त मिलते हैं "

सूरज मीडिया said...

जो बात हम कभी कभी अपने माता-पिता से नहीं कह पाते है,वही बात हम दोस्तों से आसानी से कह देते है । हर कदम पर इम्तिहान लेती है ज़िन्दगी, हर वक़्त नया सदमा देती है जिंदगी, हम ज़िंदगी से शिकवा कैसे करे, आखिर दोस्त भी तो देती है जिंदगी ।

Sudhanshuthakur said...

नज़रों के सामने वही नज़ारे आगए आपके लेख को पढ़ कर लेकिन खामोश हो गई ये जुबान कहने को तो सब कुछ है मगर कुछ भी नहीं है ।

Unkahe alfaaz said...

दोस्ती की खूबसूरती याद दिलाने का शुक्रिया सर।

पसंद आया हो तो