आखिर तुम आ ही गए और मेरे जाने का वक्त आ ही गया पर चलने से पहले कुछ बातें तुम से बाँट लूँ वैसे तुम आते ही व्यस्त हो जाओगे खुशियाँ मानाने में तो मैंने सोचा चलने से पहले एक चिट्ठी तुम्हारे लिए लिख दूँ मित्र मैंने एक साल में जीवन के कई रंग देखे कुछ अच्छे थे कुछ बुरे कई जगह मुझे इस बात का पछतावा हुआ कि मैं बेहतर कर सकता था पर चीजें देर से समझ में आयीं अब देखो न ये ३ जी स्पेक्ट्रम अगर आ गया होता तो कमुनिकेसन कितना फास्ट हो गया होता लेकिन मेरे रहते तो ये हो न सका वैसे जब भी हम कोई नया काम सम्हालते हैं तो लोगों से हमें बहुत उम्मीदें रहती हैं और हमें लगता है कि ये खुशियाँ ऐसी ही रहेंगी पर वास्तव में ऐसा होता नहीं जब मैं आया था तो लोगों ने खूब खुशियाँ मनाई और मैंने भी इनका खूब आनंद लिया लेकिन धीरे धीरे खुशियाँ कम हुईं और लोगों की अपेक्षाएं बढ़ने लगीं मैं कुछ पूरी कर पाया और कुछ नहीं शिक्षा और बुनियादी ढाँचे पर काम हुआ लोग डेवलपमेंट इस्सुएस पर अवेयर हुए .महिला आरक्षण पर हम लोग एक कदम आगे बढे पर अभी मंजिल नहीं मिली .जो काम मैंने शुरू किया उसे तुम्हें आगे बढ़ाना है हमारा देश यूथ के लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा देश है आज का यूथ ज्यादा स्मार्ट और अवेयर है पर उसकी एनर्जी को सही डायरेक्सन देने की जरुरत है इसका अगर ख्याल रहोगे तो परेशानी कम होगी .
तुम जब आओगे तो खूब खुशियाँ मनाओगे ठीक भी है पर ये मत भूल जाना कि ये साल तुम्हारे लिए अवसर भी लाएगा और चुनोतियाँ भी अगर चुनोतियों को अवसर में बदल लोगे तो तुम्हारी जय होगी फ़ूड सिक्यूरिटी और हेल्थ इन्सुरेंस पर लोगों को तुमसे बहुत उम्मीदें हैं अगर ऐसा हो पाया तो देश में कोई भूख से नहीं मरेगा और बीमार होने पर अच्छी देखभाल होगी .जब मैं छोटा था तो मुझे लगता था कि मैं सही हूँ और जो बड़े लोग कहते हैं वो सही नहीं है या शायद वे मुझे समझते नहीं पर उम्र के इस मुकाम पर आकार मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं गलत था जो भी मुझसे बड़े मेरे लिए कहते थे वो सही थे पर मेरे पास अनुभवों को वो खजाना नहीं था कि मैं उनकी बातों को समझ सकूँ हो सकता तुम्हें मेरी बातें समझ में न आ रही हों या बुरी लग रही हों पर दोस्त जब जिंदगी सिखाती है तो अच्छा ही सिखाती है अब ये तुम्हारे ऊपर है तुम मेरी बात को ठोकर खा कर समझो या पहले से ही जान लो कहाँ सम्हल कर चलना है ,मैंने अपनी जिंदगी में यही सीखा है लोगों को साथ ले कर चलो सुनो सबकी इस छोटे से जीवन में मुझे लगता है कमसे कम ये काम तो हम कर ही सकते हैं खुशियों को सर पर न चढ़ने दें आखिर एक दिन तुम्हें भी जाना है तो सकारात्मक सोच के साथ काम करोगे तो ठीक रहेगा इस बार अयोध्या का फैसला मेरे लिए बड़े तनाव का वक्त था पर मैंने सोचा कि इस बार बहुत से चीजें बदल चुकी हैं हम आगे बढ़ चुके हैं बस इस सोच के साथ मैं आगे बढ़ता रहा और सब शांति से बीत गया दुनिया तो बहुत तेजी से बदल रही है कल मैं नया था आज पुराना हो गया हूँ ऐसा तुम्हारे साथ भी होगा इस लिए ये अपने आने वाले कल को सोच कर अपना आज मत खराब मत कर लेना अगर कुछ गलत हो भी जाए तो उसे इस सोच के साथ एक्स्सेपट करना कि चलो कुछ तजुर्बा ही हुआ जिसे तुम आगे आने वाली पीढ़ी को बता सको .हमारी सभ्यता इसी तरह विकसित हुई है और आगे भी होती रहेगी .तुम आ रहे हो और मैं जारहा हूँ मैं इस आने जाने के प्रोसेस को नोर्मल्ली ले रहा हूँ तुम अगर आने वाले वक्त को इस तरह लोगे तो अपनी एनर्जी का सही इस्तेमाल कर पाओगे.तुम्हें ये पत्र लिखना तो सिर्फ एक बहाना था जिसे मैं तुमसे अपनी बात कह सकूँ क्योंकि बात से बात चलती है तो अंत में इस बात को हमेशा ध्यान रखना लोगों की बात सुनते रहना और अपनी बात रखते चलना ये प्रोसेस बन्द मत करना मैं थोडा बहुत अगर सफल रहा तो यही कारण था कि मैंने हमेशा लोगों को सुना.इस उम्मीद के साथ मैं चलता हूँ कि आने वाले साल में तुम खुद भी खुश रहोगे और लोगों को खुश रखोगे
अलविदा
बहुत सारी शुभकामनाओं के साथ
तुम्हारा दोस्त
२०१०
आई नेक्स्ट में ३० दिसंबर २०१० को प्रकाशित