कभी कभी यूँ ही चीज़ों को उलट पलट कर देखने
का मन करता है .इसी तरह एक दिन जिंदगी के रंगों को उलट पुलटकर देख रहा था तो ख्याल
आया अगर हमारी जिंदगी में आवाज़ न होती तो क्या होता ?सच कहूँ सिहरन सी हुई
.आवाजें हमें कितना कुछ सिखाती हैं लेकिन इसका मोल हम सचमुच कर पाते हैं क्या ?जितना फोकस हम बोलने पर करते हैं उतना ही सुनने पर करते हैं क्या ?असल में आवाज़ का असर उसे ठीक से सुने जाने में है .है न मजेदार बात . अब
अगर अच्छा बोलना है तो थोडा सुनने की आदत भी होनी चाहिए
वो संगीत हो या किसी की मीठी बात हमें तभी अच्छी लगेगी जब हम उन्हें सुनेगे .सुनना
एक कला है .जो इस कला को जितना ज्यादा जानता है उसे जीवन उतना ही सीखता है जीवन की भाग दौड में कितना कुछ हम सुनते हैं कितने तरह की आवाजें दोस्त की
पुकार ,मम्मी
का प्यार और और भी बहुत कुछ पर उसमे से हमें वही याद रहता है जिसे हम याद रखना
चाहते हैं गाने भी हमें वही अच्छे लगते है जिन्हें हम सुनते हैं तो आज कुछ ऐसे
गाने सुनिए जो अच्छे तो हैं पर आपने उन्हें आपने सुना ही नहीं और ये गाने जिंदगी
के बारे में आपका नजरिया बदल कर रख देंगे . शुरुवात जगजीत सिंह की गज़ल से “आवाजों के बाज़ारों में खामोशी पहचाने कौन” इसे सुनते हुए हमेशा महसूस हुआ कि वाकई हम आवाजें ही ठीक से सुनना नहीं
सीख पाए अब तक ,खामोशी सुनने को कौन कहे .कितना मुश्किल है
ये और कितना जरूरी भी .एक गाना जो हमेशा से बहुत पसंद है .
अब अगर आवाज़ की आवाज़ को सुनना हो तो इससे बेहतर क्या
गाना हो सकता है दिल की आवाज़ भी सुन (हमसाया ) जरा सोचिये अगर हम बोलना कम और
सुनना ज्यादा शुरू कर दें तो कितनी प्रोब्लम सोल्व हो जायेगी .अब अगर कोई बड़ा
हमें डं/ट रहा है तो अगर हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं तो सिर्फ उसे सुन ही लें
तो बात वहीं खतम हो जाए पर
कभी दिल बोलता है और हम सुन ही नहीं पाते “कुछ दिल ने कहा ,कुछ भी नहीं कुछ ऐसी बातें होती हैं” (अनुपमा ) तो दिल की आवाज़ सुनने के लिए
अपने आप को तैयार करें अगर आप स्ट्रेस में हैं तो सब कुछ छोड़कर शांति से कोई
अच्छा गाना सुनिए पर कभी ऐसा भी होता है कि किसी की आवाज़ हमें इतनी अच्छी लगती है
कि हम सुध बुध ही खो बैठते हैं और हम गा उठते हैं “आवाज़ दो हमको हम खो गए” (दुश्मन ) पर ये आवाज़ आपको अच्छी क्यों
लगती है क्योंकि जब सामने वाला अपनी बात सलीके से कहता है तो हमें अच्छा लगता है
और इसी लिए हमें हमेशा सिखाया जाता है कि मीठा बोलना चाहिए पर समस्या ये है कि हम
मीठा सुनना चाहते हैं पर बोलना नहीं .जरा याद कीजिये हम रिक्शेवाले या अपने यहाँ
काम करने वाले किसी सब ओर्डिनेट से किस तरह बात करते हैं और ये वह लोग हैं जो
हमारे जीवन को बेहतर बनाने में मदद कर रहे हैं पर हमारा रवेया इनके प्रति कैसा
रहता है ? समझदार को इशारा काफी है अगर आप
नहीं समझेंगे तो हो सकता है आपके साथ ये स्थिति आये कि आप ये गाना गाते फिरें “आज पुरानी राहों से कोई मुझे आवाज़ न दे” (आदमी)
आई नेक्स्ट में ३ मार्च २०११ को
प्रकाशित
31 comments:
सर हम आपकी तरह क्यों नहीं सोच पाते सर आप बहुत अच्छा लिखते है
mja aya guruji padkar ...aur anat jis gane se kiye us gane ki bat hi kuch aur hai
आज पुरानी राहों से कोई मुझे आवाज़ न दे”...
बहूत खूब.
hello sir, bahut badiya awaz aap ne di. maza aa gayaaaaaaaaaaaa
सर इस लेख के लिए मेरे पास सिर्फ एक ही शब्द है .....लाजवाब
आपके लेख को पढकर अपने आवाज पर इठलाने का मन किया सच ये आवाज का हे जादू है के हम एक सामाजिक दायरा बना पते है ..सदा की तरह सुंदर ...
एक भोज पूरी की कहावत है गुरु जी....
जवन मुहवा पान खाला उहे मुहवा पंनहियो(जूता ) खाला...
लेकिन अगर आपकी बात को लोग समझ जाये तो मुहवा खाली पनवे खइबे करी...
और पनही कबो चलबे ना करी...
letters to words, words to sentences, sentences to voice which are most heard when said from inner true feelings whether in verbal or in signatory form. silence also speaks like in a song CHUP TUM RAHO CHUP HUM RAHE KHAMOSHI KO KHAMOSHI SE, JINDAGI KO JINDAGI SE BAAT KERNE DO.....
सर बहुत खूब
जिंदगी के रंगों को उलट पुलटकर देखना अपने आप में रोचकता का खेल है... आवाजें सुनना जैसे तैसे हम सीख ही जाते है... मगर खामोशी सुनना... ये बात दिल को छु गई... क्यों की ख़ामोशी की सुगबुगाहट सुनने के बाद ही ज़िन्दगी को एक दिश मिलती है... नज़रिये की बात है सर... बहुत ही लॉजिकल लेख है... समझने का फेर है...
नमस्कार सर , आपके आवाज के फसाने को पढ़ते हुए लगा की सच में हम कोई गीत गुनगुना रहे हों. आपके दो पुराने लेख याद आ गए, एक जो आई-नेक्स्ट में आपने होली पर २००८ में लिखा था. उस समय मेरा ठिकाना लखनऊ में था. अरुण जी जो ई-टीवी में हैं ,उनके साथ अक्सर वहां के पत्रकारिता विभाग आया करता था. उस समय मुझे नहीं पता था की एक दिन मेरी भी इंट्री पत्रकारिता में होगी. अभी यहाँ भोपाल में हूँ. माखन लाल चतुर्वेदी से पत्रकारिता की पढाई कर रहा हूँ. यह मेरा अंतिम वर्ष है. आपकी दूसरी पोस्ट रेडियो दोचिबिले पर पढ़ी थी जो प्रेम पर लिखी गयी थी. लखनऊ आने पर जरुर मिलना चाहूँगा.
jadu jadu jadu..............
कुछ लोग जीते जी इतिहास रच जाते हैं
कुछ लोग मर कर इतिहास बनाते हैं
और कुछ लोग जीते जी मार दिये जाते हैं
फिर इतिहास खुद उनसे बनता हैं
आशा है की आगे भी मुझे असे ही नई पोस्ट पढने को मिलेंगी
आपका ब्लॉग पसंद आया...इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी
कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
बहुत मार्मिक रचना..बहुत सुन्दर...होली की हार्दिक शुभकामनायें!
namaste sir,
aapke post per mera comment!!!
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umeed hai ki aawazo ke bazaro me meri khamoshi samajh li jayegi!!!
ashutosh tripurari singh
क्या बात है सर....
जो सुनाई दे उसकी आवाज तो सभी पहचान सकते हैं मगर...ख़ामोशी में आवाज आप जैसेलोग ही खोज सकते हैं......
awaj ka apna ek alag mahatva hota ha jisse logo ko ek alag pehchan hoti hai but khamoshi me awaj ko sir aap jaise hi log jaan pate hain. magar khamosi ko suna humarte dil ko ye baat chu gaye.
आवाजें अगर न सुनी होती तो हम आज बोल भी नहीं पाते.. सच में सिरहन सी होती है जब बिना आवाजों की दुनिया को सोचते हैं.. एक खास आवाज़ किसी खास व्यक्तित्व की पहचान कराती है तभी तो कहा जाता है कि " मेरी आवाज़ ही पहचान है."
Sirji jitna sunenge utne hi achche shrota aur vakta banenge
A new thought to experiment with...such a inspiring article.
sir very nicely written...........lovely
lovely article sir..waise to pata tha awaaz ki importance lekin aaj realize hua ki allah ne kitni badi cheez se nawaza hai....:)
what a song....lovely
ek achchee vakta ko ek acha listner bhi hona chahiye ...
sir very lovely song......
Listening is truly an art. Unfortunately, we have become so self-involved in today's time that we only focus on what we have to say. If we learn to listen, be it songs or people - it will help us gain a new perspective to see things. Besides, songs and music is the best stress-buster, no matter how big a problem is. Good music always helps to calm the troubled mind.
As it is said "Listening is the secret to discover great stories." Listening is key to all effective communication.
AAWAJ US KHUDA KI BAKHSI HUI WO NEMAT HAI JISKE BAGAIR ZINDGI ADHURI HI NAHI MUHAAL BHI HAI. "ASLI HUNAR TO KHAMOOSH SADAOON KO SUNNE ME HAI AAWAJ KA SHOR TO SAB SUNTE HAI"..."TUM HO MERE DIL ME APNI AAWAJ MILA DO MERI AAWAJ SE"
SIR AAPKE BLOG NE VAAKAI DIL KO CHU LIYA...
perhaps that is the reason people these days know each other but not understand each other..
किसी की आवाज़ को शांति से सुनना हमारे अंदर की ऑब्ज़र्वेशन स्किल को बढ़ाता है... जितना ज़रूरी बोलना है उतना ही जरूरी सुनना भी... क्योंकि अगर हम सुनेगें नहीं तो क्या बोलना है वो कभी नहीं समझ पाएंगे...
और दूसरे से हम कैसे बात करते हैं... उसके लिए बस एक गाने कि दो लाइन ... "नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा, मेरी आवाज़ ही पहचान है, गर याद रहे..."
Everything has its own importance, be it vision, sensation or as you amazingly quoted 'voice' !!
Its hard to be a good listener but once you become one, many of your problems can be easily solved.
But most importantly, listen to yourself.
a very well crafted article. This was expected of you as "communicating" well is not only your passion but profession too. The narration is blended with old wise wisdom of ' Listen to others with patience"
while reading through your quoted songs for hindi movies, I stopped and open my youtube in another window to listen a melodious song from "anupama"-- " kuch dil ne kaha". The experience was 'magical' The "awwaz" of this rhythmic song made me completely silent.
I again felt the power of Music. Your article reminded me of a quote by William Ellery which I read in my school days " Every man is a volume if you know how to read it.
I thoroughly enjoyed.
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