"न जाने कितने दिनों से मैंने चाँद नहीं देखा
यूँ तो सब कुछ है जीवन में
पर वो हँसता मुस्कुराता आसमान नहीं देखा
युग बीते यूँ ही तारों को देखे हुए
जीवन के खाली पन में अपने आपको परखे हुए
जाने कितने दिनों से मैंने चाँद नहीं देखा
(सौमित्र का ब्लॉग पढते हुए अचानक ये पंक्तियाँ मन में आ गयी तो सोचा आपके साथ बाँट लिया जाए इस अधूरी कविता की पहली पंक्ति सौमित्र की कविता से ली गयी है सौमित्र अपने आपको व्यक्त करने के लिए एक पंक्ति देने के लिए आभार )
यूँ तो सब कुछ है जीवन में
पर वो हँसता मुस्कुराता आसमान नहीं देखा
युग बीते यूँ ही तारों को देखे हुए
जीवन के खाली पन में अपने आपको परखे हुए
जाने कितने दिनों से मैंने चाँद नहीं देखा
(सौमित्र का ब्लॉग पढते हुए अचानक ये पंक्तियाँ मन में आ गयी तो सोचा आपके साथ बाँट लिया जाए इस अधूरी कविता की पहली पंक्ति सौमित्र की कविता से ली गयी है सौमित्र अपने आपको व्यक्त करने के लिए एक पंक्ति देने के लिए आभार )
21 comments:
वाह,सुंदर पंक्तियाँ.
very nice sir aap 10th me is level ki soch rakhte the amazing
panktiyon ka arth kafi goodh hai
sir ji aapke blog ka naya roop bhut acha hai....
aur kavita bhi...
sir apke blog ka naya roop bhut acha hai....aur kavita bhi.......
" सर कविता तो है ही अच्छी पर आपके ब्लॉग का रंग रूप और भी बेहतरीन है......"
acchi hai. maine chaand ko maasum dekha
सर आपकी कविता पढकर चाँद देकने कि इच्छा प्रबल हो उठी है जो कहीं छुपा बैठा है ...
sir ap se hi sikhne ki koshish hum bhi kar rahe hai
sir ap se hi sikhne ki koshish hum bhi kar rahe hai
बहुत सुन्दर भाई ..
kitani sundar line hain sir,chand dekhne ki kya jarurat hai kuc haste muskurate cehre dekh lijiye jo aapke kareeb ho chand unme hi najar ayega.
तय तो करना था सफ़र हमको सवेरों कि तरफ,
ले गए लेकिन उजाले ही अंधेरों की तरफ,
ये जो दुनिया साथ थी मेरे सुबह से शाम तक,
हो गयी वो शाम ढलते ही लुटेरों की तरफ..
sirji zaroor eid ka waqt kareeb hoga,shayad isiliye nahi dekha.
nice poem..
very beautiful poem sir.........
sir aapki poem padhke mein soch mein pad gayi ki yaar sach much kitne din ho gaye meine chand nahi dekha lolz..
ab ho chuki hai raat chalo mere ghar chalo karni hai dil ki baat chalo mere ghar chalo ab chand bhi hai poora poori hai rat honi hai barsat chalo mere ghar chalo,ab ho chuki hai raat.....
ab hone ko hai prabhat aur niklne ko hai diwakar chalo mere ghar chalo.
sir nice poem.
हँ जानें कितने दिनों से मैने चाँद नहीं देखा, लेकिन जब भी शहर की इस चकाचौंध से दूर अपने गाओं जाने का मौका मिलता है मैं चाँद और तारे देखती हूँ और हैरान रह जाती हूँ कि यह आसमान इतना खूबसूरत लग सकता है।
Bhuj gaya dil,hayaat baaqii hai...
Chup gaya chand,raat baaki hai...
ab pata ni chand dikhege bhi ki ni...bhauth khoob likha sir...kisi aur hu duniya me le gai ye kavita mujhe.....
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