कैबिनेट ने एफ एम् रेडियो के तृतीय चरण के लाइसेंस की
नीलामी की अनुमति दे दी है इस चरण में 227 शहरो में 839 नए एफ एम् रेडियो स्टेशन
खुलेंगे . हालांकि यूँ तो आकाशवाणी के प्राथमिक चैनल की पहुँच लगभग सम्पूर्ण भारत
पर है पर गुणवत्ता के मामले में एफ एम् का मुकाबला ये प्राथमिक चैनल नहीं कर सकते.
भारत में एफ एम् की शुरुवात 1972 में तत्कालीन मद्रास केंद्र से की थी पर लागत की
अधिकता के कारण इस प्रयोग को पूरे भारत में प्रोत्साहित नहीं किया गया नब्बे के
दशक में आकाशवाणी ने देश के चार बड़े शहरो में एफ एम् सेवा प्रारम्भ की बाद में
निजी प्रसारकों के इस क्षेत्र में उतरने से यह क्षेत्र एक बड़े बाजार में तब्दील
हो गया लगभग बारह सौ करोड रुपये का यह बाजार 2015 तक दुगुना हो जाएगा . एफ एम् रेडियो के
तृतीय चरण के लाइसेंस एफ एम् रेडियो को भारत के लगभग पच्चासी प्रतिशत आबादी तक
पहुंचा देंगे
दिक्कत यह है कि सभी निजी एफ एम् स्टेशन अपने प्रसारण
का इस्तेमाल मात्र मनोरंजन के लिए ही कर सकेंगे इसका कारण सूचना प्रसारण मंत्रालय
द्वारा लगाई गयी बंदिश है.टेलीविजन से खबर देने के मामले में दूरदर्शन का एकाधिकार
ना जाने कब का टूट गया लेकिन रेडियो में आकाशवाणी का एकाधिकार अभी तक कायम है .टेलीविजन
में तो ये हाल है कि अगर दूसरे चैनल उपलब्ध हो तो को दूरदर्शन के समाचार देखना
नहीं चाहता. उम्मीद की जा रही थी कि एफ एम् रेडियो के विस्तार के तृतीय चरण में
निजी प्रसारकों को समाचार प्रसारित करने की छूट दे दी जायेगी पर सरकार ने इतनी
रियायत दी है कि जो रेडियो स्टेशन
ऑल इंडिया रेडियो के समाचार बुलेटिन का प्रसारण करना चाहता हैं, उन्हें ऐसा करने की इजाज़त होगी.सरकार के इस कदम का
मतलब है कि रेडियो समाचारों की दुनिया में आकाशवाणी का प्रभुत्व कायम रहेगा
जाहिर है कि सरकार रेडियो के मामले में कोई बदलाव नहीं चाहती वह यही चाहती है कि रेडियो श्रोता उन्हीं ख़बरों को जाने सुने जो वह लोगों को बताना चाहती है .संचार क्रांति के इस युग में इस तरह का बेसिर पैर का सेंसर किसी की भी समझ से परे है .नेपाल जैसे छोटे से पड़ोसी देश ने एफ एम् को ख़बरों के लिए खोल दिया है .अगर हमारे यहाँ भी एफ एम् पर ख़बरों की इजाजत दी जाती है तो वह क्षेत्रीय भाषाओं के लिए एक अच्छा अवसर होगा.रेडियो एक सस्ता साधन है बशर्ते सरकार इसके महत्व को समझे और ख़बरों व सूचनाओं पर सरकारी एकाधिकार की सोच से मुक्त हो ,मौजूदा रवैया किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए उचित नहीं .
दैनिक हिन्दुस्तान में २९ जुलाई को प्रकाशित
9 comments:
सटीक विश्लेषण,आभार.
KUCH LOG TO BAS YHI JANTE HAI KI FM RADIO SONGS KE LIE HOTA HI HAI UNHE NHI PTA KI SARKAR KI PABANDI KI WAJAH SE FM RADIO NEWS NHI DE PATE HAI YE LEKH LOGO KI SOCH KO EK NAI DISHA DEGA
jis tarah telivision aur internet ki boom is wazah se redio aapni pehchan kho raha ha. news paper .television radio aur aab internet is meia se jude hain jisme internet bahut jorr se aapn prabhav bada raha hai har khab palpal ki is par mil jati hai.
radio aab F.M. me chan ho gaya hai jo aab manoranjan jyada karate hai aur kuch information bhi de dete hain janha TV ki pahunc nahi hain wanha aaj bhi radio hi kam kar rha ha. to hum ye nahi keh sakte ki radio puri tarah aapni pehchan kho raha ha. jis tarh se tecnology bad rahi ha radio bhi aapni pakad bada raha ha.
India's new private FM channels could also change the advertising scenario. Traditionally, radio accounts for 7% to 8% of advertiser expenditures around the world. In India, it is less than 2% at present..
(information provided by google)
Radio is still not loosing its hold as at present also radio is the biggest form of communication but in past few years radio is merely focusing on advertisements for their profit and some F.M. radio channels do not even give any kind of informational news or details but still it keeping masses updated.
sarkar har cheez ko apne kabu ,ai rakhna chahti hai taaki aam janta ko ullu sidha rakh saje,radio aaam janta dwara hi aadhik suna jata hai,aur agar uspe sarkar ki dhajiya udai jayegi to nischit hi vo apna bahumat kho degi.
aur aaj ke tym mai radio vaise bhi apni mul paichamn khota ja rha..jo ski kabhi hua karti thi...
sir loktantrik desh hona to bas ek dilasa h ham sab deshwasio k liye sach bat to yhi sarkar whi krti h jisme uska fayda hota h usi ka udaharan ye bandish b h
Sirji,pahle to kahte hai ki ham democratic hai,phir manmani bandishey laga de dete hai,,,ham azaad hokar bhi azaad hai kya???????????
sir sawal apni jagah per bana hua hai ki sarkar kyun nahi radio ko ijazat deti ki woh news sunaye....
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