2008 से अब तक, यानी की सिर्फ 7 साल। 7 साल में एक बिलियन लोगों की हाथों में एंड्रॉइड फोन पहुँच चुका है।साल 2014 में हुए एक सर्वे के आंकड़ों की मानें तो ये पूर्वानुमान लगाया गया था कि साल के खत्म होते होते एंड्रॉयड इस्तेमाल करने वालों की संख्या एक बिलियन पार कर जाएगी।महज 7 सालों में करीब 85 फीसदी मोबाईल फोन पर कब्जा करना, इसी से एंड्राइड की लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है कि हर पांच में से चार स्मार्ट फोन, एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम पर चल रहा है. हर दिन 15 लाख से ज्यादा लोग नया एंड्रॉयड डिवाइस खरीद रहे हैं. इसी साल एंड्रायड, एक ऐसे आंकड़े को छू लेगा जिसके आसपास पहुंचना किसी भी कंपनी के लिए एक सपना होता है|बाजार में आने वाला पहला एंड्रॉयड फोन एचटीसी ड्रीम था जिसे 22 अक्टूबर 2008 को लांच किया गया था। तब से अबतक कई बार इन संस्करणों को उन्नत (अपग्रेड) किया गया और हर बार इनका नामकरण किसी न किसी खाद्य केक पेस्ट्री के नाम पर किया गया - कपकेक, डोनट एक्लेयर, जिंजरब्रेड, आइसक्रीम सैंडविच,हनीकाम, जेली बिन आदि नामो से किया गया|ये मीठे का सिलसिला अब लौली पॉप तक आ पहुंचा है. क्या आपने गौर किया कि हर वर्जन का नाम alphabetical order में आगे बढ़ रहा है. C, D, E, F...तो आप M से शुरू होने वाली मीठी चीजों के बारे में सोचें जो एंड्रॉयड के अगले वर्जन में आ जायेगी |
इसकी कुछ खासियतों ने इसे दुनियाभर के स्मार्टफोन में छा दिया है।इतना ही नहीं, वो दिन अब ज्यादा दूर नहीं जब लगभग हर चीजे एंड्राइड से ही चलेगी।
एंड्राइड फोन की सबसे बड़ी खासियत उसका कस्टमाइजेशन प्रोसेस है। इसे अपने सहूलियत के हिसाब से सेट किया जा सकता है। ऐसी छूट दूसरे ऑपरेटिंग सिस्टम वाले फोन नहीं देते। दूसरी खासियत ये है कि हर बजट में एंड्राइड फोन अवेलबल है। गूगल मोबाईल फोन कंपनियों को एंड्राइड सॉफ्टवेयर मुफ्त में प्रोवाइड कराता है, यही कारण है कि एंड्राइड फोन की भरमार है और हर बजट में मिल जायेंगे। लगभग हर बड़ी ब्रांड्स एंड्राइड फोन बना रही है।इसमें लगभग दस लाख से ज्यादा एप्स अवेलबल हैं जिसमें अधिकतर एप्स को फ्री में डाउनलोड किया जा सकता है।अगर आप सपना देख रहे कि आप अपने फोन को बोलकर इंस्ट्रक्शंस दें और वो उसे समझकर फॉलो करें तो ऐसा सपना एंड्राइड ही पूरा कर सकता है।एंड्राइड फोन में गूगल नाऊ का ऑप्शन है जिसमें आप अपने फोन से इंसानों की तरह बातचीत कर सकते हैं।जिस बारे में भी आप सुचना चाहते हैं, उसे बोलकर बताइये, वो उसे पढ़ करके फ़ौरन जानकारी दे देगा। इतना ही नहीं एंड्राइड टेक्स्ट को आवाज में भी बदल देता है।ओपन सोर्स प्लेटफोर्म पर होने के कारण कोई भी अपना एप बना कर गूगल प्ले पर डाल सकता है और लोग अपनी जरुरत के मुताबिक़ इन एप में से चुनाव कर सकते हैं ये एप बात करने से लेकर हेल्थ या फिटनेस और खेल आदि तक कुछ भी हो सकता है |
एंड्राइड फोन का इतिहास
अक्टूबर २००३ में अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया राज्य के पालो आल्टो नामक नगर में एंडी रूबीन (संस्थापक डेन्जर), रिच माइनर (संस्थापक वाइल्ड फायर कम्युनिकेसन), निक सियर्स तथा क्रिस ह्वाइट (डिजान तथा इन्टरफेस बिकास प्रमुख) एण्ड्राइड इनकार्पोरेशन की स्थापना की। एण्डी रूबीन के ही शब्दों में उनका उद्देश्य था
ऐसा चतुर मोबाइल उपकरण जो अपने प्रयोगकर्ता की प्राथमिकताओं को तथा उसके ठिकानों को पहचाने।बाद मे, 17 अगस्त 2005 को गूगल द्वारा इस का अधिग्रहण कर इसे गूगल के अधीन कम्पनी के रूप में रखा गया और मूल कम्पनी ”एण्ड्राइड इनकार्पोरेशन" के एंडी रूबीन, रिच माइनर, तथा क्रिस ह्वाइट यहाँ कम्पनी के कर्मचारियों के रूप में काम करते रहे।
गूगल द्वारा बाजार में आने के बारे में सोचने के बाद रूबीन के नेतृत्व में लाइनक्स कर्नेल पर आधारित मोबाइल उपकरण प्लेटफार्म को विकसित किया गया गूगल ने इस प्लेटफार्म की मार्केटिग इस वायदे के साथ की, कि हैण्ड सेट निर्माताओ तथा संचार कंपनियों के बीच इस प्लेट फ़ार्म को लचीला (फ्लेक्सिबल) रखा जाएगा और अपग्रेड करने की सुविधा उपलब्ध करता रहेगा |
वर्ष २००८ में इसका प्रथम संस्करण निकाला गया | तब से अबतक कई बार इन संस्करणों को उन्नत (अपग्रेड) किया जा चुका है | २००८ के कप केक संस्करण की विशेषता थी स्क्रीन को घुमाने की सुविधा, स्क्रीन पर कुंजीपटल तथा टेक्स्ट का अनुँमान लगाने की सुविधा |इसके बाद डोनट, फ्रोयो एक्लेयर आदि संस्करणों में और अधिक सुविधाए प्रदान की गयी इनमे से सबसे महत्वपूर्ण विशेषता थी लेख (टेक्स्ट) को आवाज में बदलने के सुविधा |क्लाउड से मोबाइल या टैबलेट में डाऊनलोड की सुविधा बही मेमोरी कार्ड पर अनुप्रयोगों को डाऊनलोड कर इस्तेमाल की सुविधा |
इसके बाद हनीकाम टेबलेट पर प्रयोग के लिये विकसित किया गया और इसमे पाई गयी कमियों को अगले संस्करण आइसक्रीम सैंडविच में दूर किया गया | नवीनतम संस्करण जेली बीन के द्वारा यू .एस .बी .आडियो आउट पुट की सुविधा प्रदान की गयी |
क्या होता है ऑपरेटिंग सिस्टम(ओएस )
ऑपरेटिंग सिस्टम एक सिस्टम सॉफ्टवेयर है, जो हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच सेतु का काम करता है। इसका काम हार्डवेयर के रिसोर्सेस को सही ढंग से मैनेज करने का होता है। मेमोरी, प्रोसेसर और अन्य इनपुट और आउटपुट डिवाइस को सुव्यवस्थित ढंग से करने का काम ओएस यानी ऑपरेटिंग सिस्टम करता है। ओएस के बिना स्मार्टफोन कुछ भी नहीं है। फाइल को रिनेम करना, उनकी सेविंग का प्रोसेस, प्रिंटिंग का काम ओएस ही देता है। मल्टी प्रोग्रामिंग के लिये ओएस का बहुत अहम रोल होता है।मल्टी प्रोग्रामिंग यानी एक ही समय पर दो से अधिक प्रक्रियाओं का एक दूसरे पर प्रचालन होना । स्मार्टफोन पर मल्टीटास्किंग का काम भी ओएस के जरिये ही होता है। मल्टीटास्किंग का अर्थ है एक ही वक्त में फोन की कई सारी एप्लीकेशन से काम लेना जैसे फोन पर बात करते हुए सोशल नेटवर्किंग साईट्स का इस्तेमाल या संदेशों का आदान प्रदान यह सुविधा एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम से पहले नहीं थी |
क्यों है एंड्रॉयड जरा हट के
· फोन को जैसा चाहें वैसा इस्तेमाल के लायक बनायें
फोन में अपने हिसाब से बदलाव करने की आजादी एंड्रॉयड की सबसे बड़ी खासियत है. फोन की सेटिंग में जाकर हर फीचर को अपने हिसाब से सेट करना चाहते हैं, तो एंड्रॉयड जैसी छूट कोई दूसरा फोन आपको नहीं देगा| ब्लैकबेरी, आईफोन और विंडोज आपको ऐसी छूट नहीं देते.
· गूगल का साथी है एंड्रॉयड
गूगल के बिना आज इंटरनेट की दुनिया के बारे में सोचना भी मुश्किल है|
गूगल के तमाम ऐपलिकेश्न्स जैसे सर्च, गूगल मैप, यू-ट्यूब चलते तो तमाम दूसरे फोन्स में भी हैं, लेकिन गूगल की कोई भी नयी एप्लीकेशन आपको एंड्रॉयड में ही मिलेगी |
· 'Google Now' है चमत्कारी
लंबे समय से स्मार्ट फोन इस्तेमाल करने वालों की इच्छा थी कि उनका फोन उनसे बात करे, उनकी बात सुने और समझे| किसी इंसान की तरह, बातचीत की भाषा में| Google Now ने इस सपने को साकार कर दिया है. ये वो जादू है जो बिना पूछे ही समझ जाता है कि किस वक्त आपको क्या जानकारी चाहिए और आपके सामने वही चीज पेश करता रहता है - ये आपको बता देगा कि जिस रास्ते आप अपने घर जाने वाले हैं उस पर इस समय ट्रैफिक का क्या हाल है , Google Now सिर्फ एंड्रॉयड 4.1 या उससे ऊपर के वर्जन में उपलब्ध है. |
· ऐप्स का असीमत भण्डार
गूगल प्ले स्टोर में दस लाख से ज्यादा ऐप्स हैं और उनकी संख्या निरंतर बढ़ रही है| इसे आप यूं समझ सकते हैं कि अगर आप हर ऐप को डाउनलोड करके पांच मिनट के लिए आजमाना चाहें तो आपको दस साल से ज्यादा का वक्त लग जाएगा | दुनिया में हर तरह की पसंद, हर तरह की जरूरत के लिए ऐप यहां मौजूद है. अगर आप कोई ऐप खरीदना भी नहीं भी चाहें तो मुफ्त के ही इतने ऐप्स हैं कि आपको अपने अमीर न होने का दुःख नहीं होगा |
· हर कीमत में दर्जनों फोन
पैसे की कमी होना कभी भी एंड्रॉयड फोन खरीदने के रास्ते में बाधा नहीं बन सकता| गूगल अनेकों फोन कंपनियों को एंड्रॉयड सॉफ्टवेयर मुफ्त में उपलब्ध कराता है इसलिए एंड्रॉयड फोन बनाने वाली कंपनियों की भरमार है| सस्ते देसी ब्रांड से लेकर महंगे विदेशी ब्रांड तक |
सब कुछ अच्छा है एंड्रॉयड फोन में ऐसा भी नहीं
· पूरी तरह सुरक्षित नहीं है
एंड्रॉयड सॉफ्टवेयर 'ओपेन सोर्स' है यानि कोई भी इसके लिए ऐप बना सकता है. यही बात एंड्रॉयड को सुरक्षा के लिहाज से कमजोर बनाती है| किसी भी हैकर के लिए एंड्रॉयड फोन को हैक करना किसी और फोन के मुकाबले आसान है. मालवेयर हो या घटिया नकली ऐप्स, गूगल प्ले स्टोर सबका गढ़ है| एप को गूगल प्ले में उतारने से पहले उसको पर्याप्त रूप से जांचने की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है |
· बार –बार वर्जन अपडेट का झंझट
एंड्रायड सॉफ्टवेयर तो गूगल बना कर कंपनियों को मुहैया कराता है लेकिन हर फोन कंपनी अपने फोन को अलग दिखाने के लिए, उसकी अलग पहचान बनाने के लिए, एंड्रॉयड सॉफ्टवेयर के साथ कुछ बदलाव करके उसे अपने फोन्स में डालती है. नतीजा ये होता है कि जब गूगल एंड्रॉयड सॉफ्टवेयर का नया और बेहतर वर्जन लांच करता है तो आप सीधे उसे अपने फोन में इसे डाउनलोड नहीं कर सकते. जब तक की आपकी मोबाईल फोन कंपनी इसे आपको उपलब्ध न कराये आपको पुराने वर्जन से काम चलाना पड़ेगा |कई बार कम्पनियां अपडेटेड वर्जन उपलब्ध ही नहीं कराती हैं |
आपको इंतजार करना होगा कि आपकी फोन कंपनी आपके फोन के मॉडल के हिसाब इस वक्त एंड्रॉयड सॉफ्टवेयर का सबसे नया वर्जन लॉलीपॉप है|
· बैट्री जल्दी डिस्चार्ज होने की समस्या
एंड्रॉयड फोन में बैटरी की समस्या सबसे ज्यादा है क्योंकि एंड्रॉयड एक बेहद ही शक्तिशाली सॉफ्टवेयर है जिसे मल्टीटास्किंग के लिए बनाया गया है और इसमें बैटरी की खपत ज्यादा होती है |
· बार फोन का हैंग और क्रैश होने की समस्या
एंड्रायड फोन में यह समस्या आम है जिसमें फोन बार बार हैंग होता है और थोडा पुराना होने पर ओ एस क्रैश भी हो जाता है |
क्या है एंड्रायड का बिजनेस मॉडल
एंड्राइड मुक्त बिज़नस मॉडल पर काम करता हैं I एंड्राइड 47 तकनीकी और मोबाइल कंपनियों द्वारा मिल कर एक मुक्त हैंडसेट अलायन्स के रूप में प्रस्तुत किया गया हैं जिनकी आमदनी बहुत अधिक हैं I जिसके कारण पैसा कमाना इनका मुख्य उद्देश्य नहीं हैं I बल्कि एक ऐसा ऑपरेटिंग सिस्टम तैयार करना जिसके आधार पर व्यवसाय का और तेजी से विकास किया जाए I इस बाजार का बहुत तेजी से बढ़ने का अनुमान हैं अभी एंड्राइड मार्किट 25 डॉलर लेता है रजिस्टर्ड डेवलपर बनने के लिए और पेड एप्स के लिए रेवेनुए शेयरिंग मॉडल पर काम करता है I अभी गूगल एंड्राइड बाजार से केवल 10% का मुनाफा कमा पाती हैं जबकि बाकी का पैसा वो विज्ञापन से कमाती हैI जैसे जैसे एंड्राइड मोबाईल उपभोक्ता बढ़ेंगे इनका मुनाफा और बढेगा |
स्मार्ट फोन में प्रयुक्त होनेवाले दुनिया के प्रमुख ऑपरेटिंग सिस्टम
एंड्रॉइड
ये एक तरह का ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसकी शुरुआत 2008 में गूगल ने की थी। इसकी खासियत ने इसे हर स्मार्टफोन का शहंशाह बना दिया। महज 6 साल में करीब एक बिलियन लोगों के हाथों का शान बन चुका एंड्राइड फोन 85फीसदी मोबाइल पर कब्जा कर चुका है।इतना ही नहीं, वो दिन अब ज्यादा दूर नहीं जब लगभग हर चीजे एंड्राइड से ही चलेगी।
आईओएस
ये ऑपरेटिंग सिस्टम सिर्फ एपल के सेट्स में ही काम करता है।2007 में इसकी शुरुआत आईफोन से हुई थी।शुरुआती दौर में इसमें तकरीबन 500 एप्लिकेशंस थे। एक साल के अंदर ही एक बिलियन एप्लिकेशंस डाउनलोड किये गए थे वहीँ 2014 के बीच में 75 बिलियन डाउनलोड पाये गए थे। 2015 के शुरुआत में आये आंकड़ों की मानें तो एपल ने करीब एक बिलियन डिवाइस बेंचने का दावा किया है।
विंडोज
विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम साल 2010 में लांच हुआ।साल 2014 में विंडोज ने अपना लेटेस्ट वर्जन विंडोज 8.1 लांच किया। हालाँकि कुछ लोग अधिक तकनीकी होने के कारण विंडोज फोन से दूर भागते हैं पर जो लोग एक बार इसकी फंक्शनिंग समझ जाते हैं, वो इसे बहुत पसंद करते हैं।एंड्राइड और आईओएस के बाद ही इसका नंबर आता है।
ब्लैकबेरी
ब्लैकबेरी ओएस खास ब्लैकबेरी स्मार्टफोन के लिए बनाया गया है। इसमें कई तरह के एप्लिकेशंस है और कई स्पेशल इनपुट डिवाइसेस भी हैं। ट्रैकपैड और टचस्क्रीन हाल ही में लांच हुआ है।माना जाता है कि अधिकतर गवर्नमेंट एम्प्लॉयीज इसे रखते हैं। वक्त के साथ ब्लैकबेरी के फ़ंक्शंस में भी तेजी से बदलाव आ रहा है और तेजी से नए एप्लिकेशंस लांच हो रहे हैं।
फायरफॉक्स
फायरफॉक्स मोजिला द्वारा बनाया गया एक ऐसा ऑपरेटिंग सिस्टम है जो एपल के आईओएस और गूगल के एंड्राइड को तेजी से टक्कर दे रहा है।2 जुलाई 2013 को पहला फायरफॉक्स ओएस लांच किया गया। 2014 में दुनिया के 28 देशों में इसकी पहुँच हो गयी | सर्च फायरफॉक्स ओएस की एक ओर खासबात है इसमें दिया गया सर्च ऑप्शन जो ऐप्स और मोबाइल साइट में फर्क नहीं करता फिर अगर आप मोबाइल में फेसबुक खोलना चाहते हैं तो वो ऐप के द्वारा खुल जाएगा फिर चाहे उसे आप ब्राउजर में ही क्यों न खोले |
प्रभात खबर में 29/04/15 को प्रकाशित