इंटरनेट और कंप्यूटर के बढ़ते प्रयोग से यह अंदाजा लगाया जा रहा था की आने वाला वक्त का समाज अपने परम्परागत रूप से लग होगा जिसकी झलक हमें रोजमर्रा के काम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल में दिख भी रही थी पर कोरोना काल ने ,मानव सभ्यता के बदलाव की तस्वीर को एक झटके में बदल दिया |मानव सभ्यता में इतना बड़ा बदलाव इससे पहले आग पानी और पहिये की खोज के बाद ही आये थे फिर इंटरनेट ने तस्वीर बदली और समाज में बहुत सी क्रांतिकारी घटनाएँ घटीं और ऑन लाइन का दौर आ गया पर अभी भी बहुत से लोग इंटरनेट से दूर थे क्योंकि उनके पास उन कामों के लिए परम्परागत विकल्प थे जिससे इंटरनेट से मानव सभ्यता का चेहरा जितनी तेजी से बदलना चाहिए था वो गति नहीं थी |लेकिन कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न हुई परिस्थितयों ने अचानक ही कई सारे बदलाव कर दिए |
घर और ऑफिस का अंतर मिट गया बहुत से पुराने रोजगार हमेशा के लिए अतीत हो जायेंगे वहीं कई नए क्षेत्रों में रोजगार का स्रजन होगा जिसमें सिर्फ कंप्यूटर और इंटरनेट का ही राज होगा |ऐसी परिस्थितयों में जब घर से काम करने वाले सैकड़ों हजारों कर्मचारी सामान्य स्थिति में लौटने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, उनमें से बहुत से लोग अब अपने परम्परागत कार्यालय नहीं लौटेंगे | क्या हम डिजिटल भविष्य की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं ? क्या यह नया सामान्य (New Normal) होगा ? ये कुछ ऐसे प्रश्न है जिनके उत्तर को खोजने में सारी दुनिया के चिंतक लगे हुए है |
अब जो बदलाव आने वाले है वो इसलिए होना लाज़मी हैं क्योंकि कोरोना भले ही खत्म हो जाए पर भविष्य में इस तरह की महामारी न फैले इसके लिए पूरी मानव सभ्यता तैयारी करेगी |हम भले ही अपने आस पास होने वाले बदलाव को देख न पा रहे हों पर पिछले तीन महीने में हमारे जीवन में हमेशा के लिए काफी कुछ बदल गया है |जैसे, कि हम घर से काम करने के लिए अनुकूलित हो रहें हैं, ई-मेल, चैट और वीडियो कांफ्रेंसिंग पर हमारी निर्भरता बढ़ रही है, वीडियो कॉलिंग अब समय काटने के लिए नहीं बल्कि काम के लिए हो रही है व्यापार जगत, आईटी सेक्टर, अन्य कंपनियां ही नहीं आम व्यक्ति भी वीडियो कॉफ्रेंसिंग और ऑनलाइन कार्य को ज्यादा महत्व ज्यादा दे रहा है | यह महज COVID-19 महामारी के जवाब में न केवल सीमित शारीरिक संपर्क के लिए प्रभावी है बल्कि काम करने के नए तरीके को भी आकार दे रहा है |आने वाले समय में काम के लिए यात्राओं पर होने वाला व्यय बहुत कम होगा और यह बहुत तेजी से हमारी कार्य संस्कृति को बदलेगा जब ज़ूम जैसे एप से यात्राओं पर होने वाला समय और धन दोनों बचायेंगे | वर्क फ्रॉम होम का एक बड़ा सामाजिक असर यह हो सकता है कि महिलाओं के साथ रोजगार में होने वाला लैंगिक विभेद कम होगा क्योंकि यह माना जाता है कि महिलाओं को देर रात तक आपातकालीन परिस्थितयों में रोकना मुश्किल होता है इसके अतिरिक्त उन पर घर की ज्यादा जिम्मेदारी होती है |जिससे महिलाओं के लिए रोजगार के ज्यादा अवसर बढ़ेंगे | इस तथ्य की पुष्टि आंकड़े भी कर रहे हैं कि महिलाओं के लिए जॉब सर्च पोर्टल जॉब्सफॉरहर पर घर से काम वाली नौकरियों की संख्या पिछले एक महीने में बीते साल की इसी अवधि के मुकाबले तीस प्रतिशत तक बढ़ गई है | वर्क फ्रॉम होम कैटिगरी के अंतर्गत जिन नए पदों पर भर्ती हो रही है, उनमें मेडिकल कॉन्टेंट राइटर, वेब डिवेलपर और डिजाइनर, आर्ट थेरपिस्ट, कॉपीराइट और पेटेंट प्रफेशनल, और पाइथन प्रोग्राम डिवेलपर जैसे पोस्ट शामिल हैं | स्किल्ड मानव संसाधन समय की मांग है और मशीनीकरण की गति ज्यादा तेज होगी |
देश में अस्पताल और स्वास्थ्य सेवा संस्थाएं भी बदल रही है जिसको गति कोरोना काल में और तेजी से मिल रही है | अब ई कन्सलटेशन (आभासी परामर्श ) वास्तविकता है जो ऑडियो और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग टूल के माध्यम से किया जा रहा है सरकार की टेलीमेडिसिन प्रेक्टीस गाईड लाईन्स देश के सुदूर इलाकों में चिकित्सकों को इंटरनेट के माध्यम से अपनी सेवाएँ देने को विधिक स्वरुप प्रदान करती है जिसे बीस मार्च को जारी किया गया है |चिकित्सा का यह तरीका न केवल संकट के इस समय बल्कि भविष्य में भी लोगों को फायदा पहुंचाएगा | डॉक्टर तथा मरीज इन-पर्सन विजिट के बजाय वस्तुतः डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़ सकेंगे |जिससे अस्त्पतालों में अनावश्यक भीड़ को कम किया जा सकेगा और गंभीर रोगों के इलाज के लिए रोगी अस्पताल पहुंचेंगे | कोरोना महामारी एक ऐसा संकट है जिसने चिकित्सा वैज्ञानिकों के साथ ही अन्य वैज्ञानिकों के समक्ष भी चुनौती खड़ी कर दी है | जिससे विज्ञान के सभी क्षेत्रों में हमें बदलाव देखने को मिलेंगे | अब पहले कि अपेक्षा अच्छी और आधुनिक चिकित्सा सुविधा और सुरक्षा के बारे में सोचा जाएगा |
मानसिक स्वास्थ्य अब एक बड़ा मुद्दा बनेगा और लोग इसके प्रति भी एकजुट होंगे | शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत बड़ा बदलाव आया है क्योंकि स्कूलों और विश्वविद्यालयों को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा | वहाँ ई- लर्निंग का उदय हुआ है जहाँ बच्चों को सिलेबस डिजिटल प्लेटफार्मों पर पढ़ाया जा रहा है और इस तरह से शिक्षा और प्रौद्योगिकी का यह एकीकरण तेज हो जाएगा | लगभग हर उद्योग क्षेत्र को प्रभावित करते हुए, COVID-19 ने हमें डिजिटल दुनिया दुनिया से जोड़ दिया है | ऐसा करना समय की मांग भी है क्योंकि देश और दुनिया किसी और संक्रामक बीमारी का खतरा नहीं झेल सकती जिससे मानव सभ्यता पर ही संकट आ जाए |
अब लोगों को सोशल डिस्टेंस रखना ही होगा शायद इसी तरह से जीना सीखना होगा | इसके लिए सार्वजनिक जगहें , बस, ट्रेन, ऑफिस, स्कूल , ऑडिटोरियम, सिनेमाहाल आदि जगहों को नए ढंग से डिजाइन किया जायेगा | सामाजिक दूरी हमारे शिष्टाचार का अंग बनेगी |
सैनिकों और अंतरिक्ष विज्ञान के लिए भी अब नए तरीके से सोचने का मौका मिलेगा | हर क्षेत्र में शोध तेजी से बढ़ेंगे | बढ़ती इंटरनेट पर निर्भरता हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालेगी तो मेंटल हेल्थ काउंसलर जैसे नए पद अब अनजाने नहीं होंगे |डिजीटल मार्केटिंग एक्सपर्ट की बहुत तेजी से बढ़ेगी जिससे कई नए तरह के रोजगार का स्रजन होगा |
मुद्रा का लेन देन का जो तरीका नोट्बंदी ने बदलना शुरू किया है उसका चरम अब देखने को मिल सकता है | आँकड़ें बताते हैं कि लॉकडाउन में बिजली, पानी, क्रेडिट कार्ड व फोन जैसी सुविधाओं के बिलों का ऑनलाइन भुगतान 73 प्रतिशत तक बढ़ा है | फाइनेंशियल कंपनी, रेजर पे की रिपोर्ट में लॉकडाउन से पहले और बाद के नतीजों का विश्लेषण किया गया है | डिजिटल पेमेंट में 43 फीसदी के साथ यूपीआई सबसे आगे रहा | लेकिन इसी के चलते आने वाले समय में अब साइबर सुरक्षा पर फोकस भी एक मुद्दा रहेगा और आम जनता को साइबर अपराध से बचने के तरीकों को ज्यादा तेजी से सीखना होगा | मानव की सबसे ख़ास बात ये है कि वो बहुत तेजी से सीखता है यह आपदा भी एक ऐसा ही अवसर है जब आने वाला समाज आज से ज्यादा बेहतर होगा इसी उम्मीद की जानी चाहिए |
दैनिक जागरण राष्ट्रीय संस्करण में 15/07/20202 को प्रकाशित