लेकिन जाड़े का ये मौसम हमें रुक कर सोचने के लिए मजबूर कर ही देता है.वैसे भी यादों के बगैर जीवन का कोई मतलब ही नहीं होगा.इंसान एक सोशल एनीमल है जो बगैर रिश्ते बनाये रह ही नहीं सकता और जब रिश्ते बनेंगे तो यादें भी होंगी. रिश्ते नाम के लिए नहीं बनाये जाते बल्कि एहसास के लिए बनाये जाते हैं वो एहसास ही तो है जो किसी आम से रिश्ते को ख़ास बना देता है. क्या आप किसी ऐसे शख्स को जानते हैं जिसके पास यादों का कोई खज़ाना न हो.सोचिये जरा कि जाड़े की सुबह,दोपहर और शाम से हम सबकी कितनी सुहानी यादें जुडी हैं. वो कोहरे में डूबी अलसाई सुबह हो जब बिस्तर छोड़ने का मन नहीं करता, या गुनगुनी धूप में नहाई दोपहर जिसकी याद अभी तक आपके दिल में ताज़ा है, या फिर वो सुहानी शाम जब आप पहली बार किसी से मिले थे.मौसम में भले ही ठंडक थी पर दिल किसी के साथ के एहसास से दहक रहे थे.
आपकी यादें भले ही मेरी यादों से अलग हों पर उनका एहसास सबको एक सा ही होता है. बीता वक्त तो अब लौट कर नहीं आ पायेगा पर बीती यादों को वो एहसास हमें अपने आने वाले कल को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करेगा.कोई कितना भी अकेला क्यूँ हो न पर उसके साथ हमेशा कुछ बीती यादें जरुर होती हैं. तो अगली बार फीलिंग लोनली का स्टेटस अपडेट करने से पहले जरा एक बार सोचियेगा क्या वाकई आप अकेले हैं? आपके साथ कितनी यादें हैं उनमें से कुछ मीठी यादों को अपने आप से ही चुरा लीजिए और आँखें बंद कर खो जाइए अपनी दुनिया में. विश्वास जानिये ये पल जिंदगी को बेहतर बनाने का हौसला देंगे और इन सब के लिए जाड़े के मौसम से भला और कुछ क्या हो सकता है. लोग घरों में बंद हों सड़कें वीरान सब तरफ सन्नाटा आप हों और आप की तन्हाई.
वैसे भी बहुत दिन हुए जब आपने किसी याद को जी भर के नहीं जीया तो इस जाड़े को जीने के लिए किसी पुरानी याद को फिर से जीया जाए क्यूंकि ये जाड़ा भी हर जाड़े की तरह चला जाएगा आपको हर बार की तरह एक नयी याद देकर. पर जाड़े की इन यादों से अपने तन मन को गरम रखियेगा क्यूंकि गर्मियां आते ही आपको जाड़े की याद आनी शुरू हो जायेगी, तो इससे पहले ये सर्दियाँ आपकी यादों के एल्बम का हिस्सा बन जाएँ इनको जी लीजिए.
प्रभात खबर में 09/02/2022 को प्रकाशित