हम हर चीज के लिए बस एक अदद “एप” की तलाश करते हैं |जीवन की जरुरी आवश्यकताओं के लिए यह “एप” तो ठीक था पर जीवन साथी के चुनाव और दोस्ती जैसी भावनात्मक और निहायत व्यक्तिगत जरूरतों के लिए दुनिया भर के डेटिंग एप निर्माताओं की निगाह में भारत सबसे पसंदीदा जगह बन कर उभर रहा है | उदारीकरण के पश्चात बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ और रोजगार की संभावनाएं बड़े शहरों ज्यादा बढीं ,जड़ों और रिश्तों से कटे ऐसे युवा भावनात्मक सम्बल पाने के लिए और ऐसे रिश्ते बनाने में जिसे वो शादी के अंजाम तक पहुंचा सकें डेटिंग एप का सहारा ले रहे हैं |स्टेइस्टा सर्वे कंपनी के अनुसार इंटरनेट पर जितने लोग एक्टिव हैं, उनमें से तीन प्रतिशत फिलहाल ऑनलाइन डेटिंग ऐप्स या साइट का इस्तेमाल कर रहे हैं. 2025 तक इसकी संख्या बढ़कर 4.3 प्रतिशत हो जाएगी. वर्तमान में भारत में ऑनलाइन डेटिंग सेगमेंट में 53.6 करोड़ डॉलर का कारोबार हो रहा है. यह कारोबार 17. 61 प्रतिशत की सालाना दर से बढ़ रहा है. इन आंकड़ों से भारत में डेटिंग ऐप्स के भविष्य का अंदाजा लगाया जा सकता है. लेकिन इस तस्वीर का एक और भी पहलू है |
इन डेटिंग एप से बनने वाले सम्बन्धों की कोई सामाजिक स्वीकृति नहीं रहती | डेटिंग एप से पहले सम्बन्ध साथ पढ़ाई लिखाई करने ,मोहल्ले या फिर साथ कम करते वक्त की परिधि में बनते थे जिसमें काफी कुछ समानता हुआ करती थी |भले ही ये सम्बन्ध निजता के दायरे में आते थे पर आस -पास के लोगों को इनके बारे में एक अंदाज़ा हुआ करता था |यह अंदाजा बात बिगड़ने की सूरत में एक ढाल का काम किया करता था | श्रद्धा हत्याकांड अपने आप में एक बानगी है कि इंटरनेट की दुनिया में लगातार विचरने वाली युवा पीढी कितनी अकेली होती जा रही है |चैटिंग एप के स्क्रीन शॉट वायरल हो जाने की संभवनाओं के चलते लोग इस पर अनौपचारिक और अन्तरंग चर्चा करने से बचते हैं |मिल जुल के समस्याओं को समझाने का वक्त किसी के पास नहीं है | क्या डेटिंग ऐप्स पर मिले लोगों को एक-दूसरे के बारे में ज्यादातर जानकारी नहीं होती है?
सिर्फ नाम पता और तस्वीर देखकर मुलाक़ात तय कर ली जाती हैं और फिट उन मुलाकातों में जो कुछ दिख रहा है वो कितना असली है |इसकी गारंटी कोई भी नहीं ले सकता क्योंकि डेटिंग एप्स पर आने वाले लोगों का कोई वेरिफिकेशन नहीं होता है और इसी बिंदु से असली समस्या शुरू होती है |नेटफ्लिक्स पर “द टिंडर स्विंडलर” वृत्तचित्र एक ऐसी ही सच्ची घटना का प्रस्तुतीकरण है जिसमें एक व्यक्ति अपने इन्स्टाग्राम अकाउंट के जरिये महिलाओं को ठगता है |चूँकि डेटिंग या रिश्ते जैसी चीजें वैसी भी बहुत निजी तरह का मामला होता है फिर उसमें असफलता जैसी चीजें लोग अपने अभिन्न मित्रों से बताने में संकोच करते हैं |सोशल मीडिया और डेटिंग एप जैसा प्लेटफोर्म पर अपनी पीड़ा रखना या मदद मांगना तो दूर की बात है |ऐसे में कोई भी व्यक्ति जो रिश्तों में ईमानदार नहीं है उसका मायाजाल चलता रहता है और उसकी वास्तविकता कभी सबके सामने नहीं आ पाती |
ट्रूली मैडली, वू ,टिनडर,आई क्रश फ्लश और एश्ले मेडिसन ,बम्बल जैसे डेटिंग एप भारत में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं जिसमें एश्ले मेडिसन जैसे एप किसी भी तरह की मान्यताओं को नहीं मानते हैं आप विवाहित हों या अविवाहित अगर आप ऑनलाईन किसी तरह की सम्बन्ध की तलाश में हैं तो ये एप आपको भुगतान लेकर सम्बन्ध बनाने के लिए प्रेरित करता है |
हालंकि डेटिंग एप का यह कल्चर अभी मेट्रो और बड़े शहरों तक सीमित है पर जिस तरह से भारत में स्मार्ट फोन का विस्तार हो रहा है और इंटरनेट हर जगह पहुँच रहा है इनके छोटे शहरों में पहुँचते देर नहीं लगेगी |पर यह डेटिंग संस्कृति भारत में अपने तरह की कुछ समस्याएं भी लाई है जिसमें सेक्स्युल कल्चर को बढ़ावा देना भी शामिल है |वैश्विक सॉफ्टवेयर एंटी वायरस कंपनी नॉर्टन बाई सिमेंटेक के अनुसार ऑनलाइन डेटिंग सर्विस एप साइबर अपराधियों का मनपसंद प्लेटफार्म बन चुका है। भारत के लगभग 38 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने कहा कि वह ऑनलाइन डेटिंग एप्स का प्रयोग करते हैं। ऐसे व्यक्ति जो मोबाइल में डेटिंग एप रखते है, उनमें से करीब 64 प्रतिशत महिलाओं और 57 प्रतिशत पुरुषों ने सुरक्षा संबंधी परेशानियों का सामना किया है। आपको कोई फॉलो कर रहा है, आप की पहचान चोरी होने के डर, के साथ-साथ उत्पीड़ित और कैटफिशिंग के शिकार होने का खतरा बरकरार रहता है।