Tuesday, March 21, 2023

फर्जी कंटेंट पर पूर्ण अंकुश

 

इंटरनेट ने जहां एक ओर हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को आसान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, वहीं इसके माध्यम से फर्जी समाचारों का भी विस्तार हो रहा है, जिसे नियंत्रित करना एक बड़ी चुनौती बन गई है |बीते दिनों तमिलनाडु में बिहार के कुछ मजदूरों की पिटाई से संबंधित एक फर्जी समाचार को प्रसारित किए जाने का आरोप बिहार के एक यूट्यूबर पर आरोप लगाया गया है। वस्तुत: एक फर्जी बताए जा रहे वीडियो से तमिलनाडु और बिहार सरकार के संबंध बिगड़ने के करीब आ गए थे,|लिहाजा एक संबंधित यूट्यूबर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इस घटना के बाद एक बार फिर इंटरनेट पर फेक न्यूज को रोकने के बारे में सख्त कानून की आवश्यकता महसूस की जाने लगी है। यह कैसी विडंबना है कि तकनीक ने एक तरफ हमारे जीवन को आसान बनाया है, तो वहीं दूसरी तरफ कई स्तरों पर अराजकता भी पैदा कर दी है। आज सूचनाओं के संजाल में यह तय करना मुश्किल है कि क्या सही है क्या गलत। इससे हमारे समाज के सामने एक नई चुनौती पैदा हो गई है। गलत सूचनाओं को पहचानना और उनसे निपटना आज के दौर के लिए एक बड़ा सबक है।

फेक न्यूज के चक्र को समझने के लिए मिसइनफार्मेशन और डिसइनफार्मेशन में अंतर समझना जरूरी है। मिसइनफार्मेशन का मतलब ऐसी सूचनाओं से है जो असत्य हैं, पर जो इसे फैला रहा है वह यह मानता है कि यह सूचना सही है। वहीं डिसइनफार्मेशन का मतलब ऐसी सूचना से है जो असत्य है और इसे फैलाने वाला भी यह जानता है कि अमुक सूचना गलत है, फिर भी वह फैला रहा है। हमारा देश डिसइनफार्मेशन और मिसइनफार्मेशन के बीच फंसा हुआ है।इंटरनेट का बढ़ता महत्व : नोकिया की वार्षिक मोबाइल ब्राड्बैंड इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में एक भारतीय औसत रूप से 19.5 जीबी डाटा प्रति माह उपयोग कर रहा है। रिपोर्ट बताती है कि यह भारत में डाटा उपयोग 2022 में 13.6 प्रतिशत बढ़ा है। आंकड़े अपनी कहानी स्वयं कह रहे हैं कि आज एक औसत भारतीय के रोजमर्रा के जीवन के लिए इंटरनेट कितना महत्वपूर्ण है। इंटरनेट उपभोक्ताओं में इतनी वृद्धि का होना इस ओर स्पष्ट इशारा करती है कि इंटरनेट के अनेक उपभोक्ता सूचनाओं के लिए इंटरनेट मीडिया, वाट्सएप और यूट्यूब जैसी साइट्स पर भी निर्भर हैं। अभी तक 'फेक न्यूज' के प्रसार के लिए वाट्सएप और फेसबुक ट्विटर जैसी साइट्स ही घेरे में रही थी, पर अब यूट्यूब पर भी भारत में फेक न्यूज के प्रसार का एक बड़ा माध्यम बन रहा है। आंकड़ों के अनुसार समूचे विश्व में यूट्यूब के सबसे ज्यादा उपयोगकर्ता भारत में हैं जिसकी संख्या 46.7 करोड़ है। 

इसके बाद अमेरिका का नंबर आता है जहां लगभग 24 करोड़ लोग यूट्यूब का उपयोग करते हैं।वीडियो की पुख्ता जांच : अनुभव बताता है कि यूट्यूब पर लगभग 90 प्रतिशत वीडियो सही होते हैं, परंतु उन्हें गलत संदर्भ में प्रस्तुत किया जाता है। किसी भी वीडियो की जांच करने के लिए उसे ध्यान से बार-बार देखा जाना चाहिए। यह काम क्रोम ब्राउजर में 'इनविड एक्सटेंशन' जोड़ कर किया जा सकता है। इनविड जहां किसी भी वीडियो को फ्रेम दर फ्रेम देखने में मदद करता है, वहीं इसमें वीडियो के किसी भी दृश्य को मैग्निफाई (बड़ा) करके भी देखा जा सकता है। यह वीडियो को देखने के बजाय उसे पढ़ने में मदद करता है। मतलब किसी भी वीडियो को पढ़ने के लिए किन चीजों की तलाश करनी चाहिए, ताकि उसके सही होने की पुष्टि की जा सके। जैसे वीडियो में पोस्टर-बैनर, गाड़ियों की नंबर प्लेट और फोन नंबर की तलाश की जानी चाहिए, ताकि गूगल द्वारा उन्हें खोज कर उनके क्षेत्र की पहचान की जा सके। कोई लैंडमार्क खोजने का प्रयास करना चाहिए ताकि उसके स्थान के बारे में अधिक से अधिक सटीक जानकारी मिल सके। वीडियो में दिख रहे लोग कैसे कपड़े पहने हुए हैं, वे किस भाषा या बोली में बात कर रहे हैं, उसे देखा जाना चाहिए। इंटरनेट पर ऐसे कई साफ्टवेयर उपलब्ध हैं जो वीडियो और फोटो की सत्यता पता लगाने में मदद कर सकते हैं।एमनेस्टी इंटरनेशनल ने वीडियो में छेड़छाड़ और उसका अपलोड इतिहास पता करने के लिए यूट्यूब के साथ मिलकर 'यूट्यूब डाटा व्यूअर सर्विस' का आरंभ किया है। वैसे हमारे देश में फेक न्यूज को रोकने के लिए अलग से कोई कानून नहीं है, परंतु नफरत से भरा कंटेंट बनाने वालों और इसे साझा करने वाले लोगों को भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की प्रासंगिक धाराओं के तहत सजा दी जा सकती है। वैसे इंटरनेट की विशालता के कारण ऐसे लोगों की पुख्ता पहचान करना काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। बीते कुछ वर्षों में फेक न्यूजफैलाने वाले कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है और कई इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म ने भी अपनी नीति में कुछ परिवर्तन किया है, किंतु इसके बावजूद एक सार्वभौमिक नीति अथवा नियम के अभाव के कारण फेक न्यूजकी समस्या से अब तक पूर्णतः निपटा नहीं जा सका है।

दैनिक जागरण के राष्ट्रीय संस्करण में 21/03/2023  को प्रकाशित 

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