आज से तीस साल पहले घटी यह प्रक्रिया इंसान और तकनीक के सहजीवन का उदाहरण बनी पर अब तो हर रोजगार में सिर्फ तकनीक का ही राज है | आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस इस गति को कई सौ गुना तेज कर रहा है |जाहिर है इसका असर नौकरियों पर पड़ने वाला है। इसे लेकर एक ताजा रिपोर्ट सामने आई है। वर्ल्ड इकोनमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट फ्यूचर आफ जाब्स में भविष्य को लेकर कई नई संभावना जाहिर की गई है। इसके अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ), मशीन लर्निंग और डाटा सेगमेंट के चलते अगले पांच सालों में देश में 22 प्रतिशत नौकरियों का स्वरूप बदल जाएगा। वैश्विक स्तर पर नौकरियों में 23 प्रतिशत बदलाव होने का अनुमान है। रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान 6.9 करोड़ नए रोजगार सृजित होंगे जबकि 8.3 करोड़ रोजगारों के खत्म होने की उम्मीद है। इस तरह अगले पांच सालों में दुनिया में एक चौथाई नौकरियां घट सकती हैं। इस दौरान नौकरियों में बढ़ोतरी की दर 10.2 प्रतिशत और गिरावट की दर 12.3 प्रतिशत रह सकती है। 803 कंपनियों के बीच कराए गए सर्वे के माध्यम से इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है। जिन कंपनियों को सर्वे में शामिल किया गया है, उनमें 1.13 करोड़ लोग काम करते हैं और ये कंपनियां 27 सेक्टरों का प्रतिनिधित्व करती हैं। ये कंपनियां 45 देशों का प्रतिनिधित्व करती हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वो तकनीक है जहां आप कंप्यूटर को इंसान की तरह काम करना सिखाते हैं| जैसे एपल का सिरी, गूगल असिस्टेंट या फिर एमेजन एलेक्सा. यहां आप कंप्यूटर को डाइरेक्ट करते हैं और वो आपके हिसाब से काम करता है| अपने सरलतम रूप में, एआई को इस तरह से समझा जा सकता है कि उन चीजों को करने के लिए कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है जिनके लिए मानव बुद्धि की आवश्यकता होती है।
ए आई बाजार पर कब्जा करने के लिए इन दिनों माइक्रोसॉफ्ट के “चैटजीपीटी” और गूगल के “बार्ड” के बीच चल रही प्रतिस्पर्धा इसका एक उदाहरण है | इसे इस तरह समझा जा सकता है एक बैंक में एक आर्टिफिशल इंटेलिजेंस सिस्टम लगाया गया है जो लोगों के द्वारा भेजे गए ईमेल संदेशों को अपने आप जवाब दे देता है। इससे, जो लोग ई मेल का का जवाब देने के लिए रखे गए थे, वे अधिकांशतः अनुपयोगी हो जायेंगे या उन्हें अपने अंदर कोई नयी स्किल सीखनी होगी जिससे वे बैंक के लिए उपयोगी बने रहें |अब चुनौती यह है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की वजह से जिनके रोजगार जायेंगे |उनका क्या होगा ?इस बहस के बीच औद्योगिक क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जमकर स्वागत किया जा रहा है इसके पीछे तर्क यह है कि इससे उत्पादन में बढ़ोतरी होगी, लागत में कमी आएगी। चिकित्सकीय-जीवन रक्षक मामलों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से गलती शून्य हो जाने के कारण ज्यादा जीवन बचाए जाने की उम्मीद की जा रही है।लेकिन यह सब इतनी आसानी से नहीं होने जा रहा है |इंटरनेट के प्रयोगकर्ताओ के मामले में दुनिया के दूसरे सबसे बड़े देश के सामने कई चुनौतियां है |जैसे कि देश की शिक्षा व्यवस्था अभी इस तकनीक के साथ कदमताल करने के लिए बिलकुल तैयार नहीं है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में तकनीकी तौर पर दक्ष युवा तैयार करने के लिए देश को अपनी शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन करने की आवश्यकता है।
पाठ्यक्रम के साथ-साथ शिक्षकों में भी बड़े बदलाव की आवश्यकता महसूस की जा रही है। अकादमिक जगत के विशेषज्ञ मानते है कि इसके बिना भारत एक बार फिर कंप्यूटर क्रांति की तरह पिछड़ जाएगा और उसे पश्चिमी देशों से आयातित तकनीक पर ही निर्भर रहने के लिए मजबूर हो जाना पड़ेगा।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमारी सोचने से ज्यादा तेज गति से बढ़ रहा है। लेकिन अभी के स्तर पर यह कहना बहुत मुश्किल है कि इसके लंबी अवधि में क्या परिणाम होंगे और बाजार और नौकरियों पर इसका क्या असर पड़ेगा।लेकिन इतना तय है कि आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का हर औद्योगिक सेक्टर में तेजी से उपयोग बढ़ने वाला है। यदि युवाओं को भविष्य की नौकरियों के लिए तैयार होना है, तो उन्हें इस तकनीक की बारीकियों से अवगत कराया जाना चाहिए।सरकार द्वारा लाई जा रही नई शिक्षा नीति में नई तकनीक को अपनाने को लेकर बड़े बदलाव किए जा रहे हैं जिसका असर आने वाले समय में दिखाई पड़ेगा। लेकिन यदि हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को नए जमाने की चुनौतियों के अनुरूप तैयार करना हो, तो उनके इन प्रश्नों का नए संदर्भों के साथ उत्तर खोजा जाना बहुत जरूरी है।
दैनिक जागरण राष्ट्रीय संस्करण में 19/05/2023 को प्रकाशित