इंटरनेट की तेज दुनिया में अब कोई इन्तजार नहीं करना चाहता और इसीलिये पॉडकास्ट को वो लोकप्रियता नहीं मिल रही थी जितनी सोशल मीडिया साईट्स को मिली |जबकि ध्वनियों का मामला इंटरनेट के एक आम उपभोक्ता के लिए वीडियो के मुकाबले ज्यादा सरल है और इसमें डाटा भी कम खर्च होता है | भारत जैसे देशों में, जहां इंटरनेट की स्पीड काफी कम होती है, वीडियो के मुकाबले पॉडकास्टिंग ज्यादा कामयाब हो सकती है। भारतजैसे भाषाई विविधता वाले देश में जहाँ निरक्षरता अभी भी मौजूद है | पॉडकास्ट लोगों तक उनकी ही भाषा में संचार करने का एक सस्ता और आसान विकल्प हो सकता है |प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की मन की बात कार्यक्रम का पॉडकास्ट काफी लोकप्रिय है | पॉडकास्ट की सबसे बड़ी खूबी है इसकी ग्लोबल रीच यानि अगर आप कुछ ऐसा सुना रहे हैं जो लोग सुनने चाहते हैं तो किसी चैनल के लोकप्रिय होते देर नहीं लगेगी | भारत हमेशा श्रोत परम्परा वाला देश रहा है जहाँ हमारे सामाजिक जीवन में कहानियां बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है कोरोना महामारी से उपजी पीड़ा और चिंताओं ने लोगों को कहानियाँ कहने और सुनने दोनों के लिए प्रेरित किया |उधर लोग सोशल मीडिया पर लोग अपनी राय व्यक्त करने के लिए लिखने में अपना समय नष्ट नहीं करना चाहते है तो इसका विकल्प ध्वनियाँ ही ही हो सकती हैं |
फेसबुक (लाईव ऑडियो रूम )और ट्विटर (स्पेक्स) आवाज की दुनिया में पहले ही कदम रख चुके हैं | इसी कड़ी में 2021 मई में देश में लॉन्च होते ही क्लबहाउस लोगों की चर्चा का केंद्र बन गया |क्लब हाउस ध्वनि आधारित एक सोशल नेटवर्किंग साइट है| जो लोगों को ‘किसी भी चीज’ और ‘हर चीज के बारे में’ बात करने की सुविधा देता है। लांच होने के बाद ही ये तेजी से लोकप्रिय हो रहा है|आधिकारिक तौर पर भारत में इसके कितने उपभोक्ता है इसका आंकड़ा जारी नहीं किया गया है |इसकी लोकप्रियता से उत्साहित होकर आडियो स्ट्रीमिंग में उपभोक्ताओं की पहले ही पसंद बन चुकी कम्पनी स्पोटीफाई ने क्लब हाउस को टक्कर देने के लिए इसी माह आवाज पर आधारित एक सोशल नेटवर्किंग एप ग्रीन रूम लांच कर दिया है माना जा रहा है कि लाईव आडियो मार्केट में एक कदम आगे निकले हुए ग्रीन रूम कलाकारों पर ज्यादा ध्यान केन्द्रित करेगा और इसके लिए कम्पनी जल्दी ही एक क्रियेटर फंड बनाने जा रही है जिससे ऑडियो क्रियेटर को यू ट्यूब की तर्ज पर अपने लोकप्रिय काम के पैसे भी मिलेंगे |इंटरनेट पर हुई वीडियो क्रांति के अनुभव बताते हैं कि वीडियो कंटेंट में बहुत अश्लीलता, फूहड़ मजाक और फेक न्यूज की बाढ़ भी आ गयी है |चूँकि इंटरनेट पर किसी तरह का कोइ सेंसर नहीं है ऐसे में बच्चों को अवांछित ऑडियो कंटेंट से कैसे बचाया जाएगा |उपभोक्ताओं द्वारा बोले गए शब्द कंटेंट का क्या होगा उसकी निजता की रक्षा कैसे की जायेगी | इसके अलावा, नफरत फैलाने वाले भाषण जैसे दुरुपयोग की निगरानी के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल की कमी के कारण इस तरह के एप कैसे अपने उपभोक्ताओं को इंटरनेट पर ध्वनि की दुनिया में सुरक्षित अनुभव दे पायेंगे इसका फैसला अभी होना है |
प्रभात खबर में 04/05/2023 को प्रकाशित
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