लक्ष्मण ने बसाया था नवाबों ने संवारा
लखनऊ फ़िदा है तुझ पर ये नन्हा सा दिल हमारा |
गोमती के किनारे बसती है एक राहगुज़र,
इन्ही राहों से निकलें हैं हमारे सपने करते हैं सफ़र ।
तुझे सोचने पर धडकता है मेरा दिल
तहजीब और तमीज के इस शहर को भूलना बड़ा मुश्किल |
ये मनाता है कभी ईद तो कभी दीवाली
ये शहर नहीं होता कभी उम्मीद से खाली |
चिकनकारी की कढाई और दशहरी की बातें,
ये है लखनऊ की निशानियाँ और उनकी रवायतें ।
इसके सीने पर गुजरते हुए तांगों की आवाज़,
वो भीगती हुई मिट्टी की खुशबू और खुशी का आगाज़ |
ये शहर है लखनऊ, जिसकी दास्ताँ हैं अनमोल,
यहाँ की गलियों में छुपे है अदबी शायरी के बोल
क़ैफियत से भरी हर जगह और जिन्दादिली का राज ,
लखनऊ, तुझसे ही सीखा है मैंने जीने का अंदाज ||
लखनऊ पर एक कविता
No comments:
Post a Comment