दुनिया में ऑनलाईन प्रैंक वीडियो की शुरुआत
यूटयूब और फेसबुक जैसी साईट्स के आने से बहुत पहले हुई थी |साल 2002 में इंटरेक्टिव
फ्लैश वीडियो स्केयर प्रैंक के नाम से पूरे इंटरनेट पर फ़ैल गया था |थोमस हॉब्स उन पहले
दार्शनिकों में से थे जिन्होंने ये माना कि मजाक के बहुत सारे कार्यों में से एक
यह भी है कि लोग अपने स्वार्थ के लिए मजाक का इस्तेमाल सामाजिक शक्ति पदानुक्रम को
अस्त व्यस्त करने के लिए करते हैं | सैद्धांतिक रूप से, मजाक की श्रेष्ठता के सिद्धांतों को मनोविज्ञान और समाजशास्त्र के
बीच संघर्ष और शक्ति संबंधों के संबंध में समझा जा सकता है| विद्वानों ने स्वीकार किया कि संस्कृतियों में, मजाक और मज़ाक का इस्तेमाल
अक्सर "हिंसा को सही ठहराने और मजाक के लक्ष्य को अमानवीय बनाने के लिए"
किया जाता है|इन सारी अकादमिक चर्चाओं के बीच भारत में इंटरनेट पर मजाक का शिकार हुए
लोगों की चिंताएं गायब हैं |
सबसे मुख्य बात सही और गलत के बीच का फर्क मिटना
जो सही है उसे गलत मान लेना और जो गलत है उसे सही मान लेना |जिस गति से देश में इंटरनेट
पैर पसार रहा है उस गति से लोगों में डिजीटल लिट्रेसी नहीं आ रही है इसीलिये निजता
के अधिकार जैसी आवश्यक बातें कभी विमर्श का मुद्दा नहीं बनती | किसी ने किसी से फोन पर
बात की अपना मजाक उडवाया यह मामला यहं तक व्यक्तिगत रहा फिर वही वार्तालाप इंटरनेट
के माध्यम से सार्वजनिक हो गया |जिस कम्पनी के सौजन्य से यह सब हुआ उसे हिट्स लाईक और पैसा मिला पर जिस
व्यक्ति के कारण यह सब हुआ उसे क्या मिला ? यह सवाल अक्सर नहीं पूछा जाता |इंटरनेट पर ऐसे सैकड़ों एप है
जिनको डाउनलोड करके आप मजाकिया वीडियो देख सकते हैं और ये वीडियो आम लोगों ने ही
अचानक बना दिए हैं |कोई व्यक्ति रोड क्रोस करते वक्त मेन होल में गिर जाता है और उसका फन्नी
वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो जाता है और फिर अनंतकाल तक के लिए सुरक्षित भी
हो जाता है |
हमने उस वीडियो को देखकर कहकहे तो खूब लगाये पर
कभी उस परिस्थिति में अपने आप को नहीं देख कर सोचा|इंटरनेट के फैलाव ने बहुत सी निहायत निजी चीजों
को सार्वजनिक कर दिया है|ये सामाजिक द्रष्टि से निजी चीजें जब हमारे चारों ओर बिखरी हों तो हम उन
असामान्य परिस्थिति में घटी घटनाओं को भी सार्वजनिक जीवन का हिस्सा मान लेते हैं
जिससे एक परपीड़क समाज का जन्म होता है और शायद यही कारण है कि अब कोई दुर्घटना
होने पर लोग मदद करने की बजाय वीडियो बनाने में लग जाते है |मजाकिया और प्रैंक वीडियो पर
कहकहे लगाइए पर जब उन्हें इंटरनेट पर डालना हो तो क्या जाएगा और क्या नहीं इसका
फैसला कोई सरकार नहीं हमें आपको करना है |इसी निर्णय से तय होगा कि भविष्य का हमारा समाज
कैसा होगा |
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