Tuesday, July 29, 2025

असमंजस की स्थिति और लोगों की सलाह

 

टू बी ऑर नॉट टू बी हालांकि ये लाइन है तो एक विश्व प्रसिद्ध नाटक की पर मामला तो हमारी लाईफ से ही जुड़ा हुआ है.जीवन में अक्सर ऐसे मौके आते हैं जब हम कन्फ्यूजन या असमंजस की स्थिति में होते हैं. क्या करूँ?यानि टू बी ऑर नॉट टू बी. कभी रिश्तों में कभी करियर में तो कभी अपनी लाईफ में अक्सर ऐसा होता है और हमें कुछ समझ में नहीं आता कि किया क्या जाए.करियर में आपका इंटरेस्ट तो टीचिंग में है पर पेरेंट्स चाहते हैं कि आप  रेडियो में अपना करियर बनायें.शादी अपनी मर्जी से करना चाहते हैं पर पेरेंट्स को परेशानी होगी .चैटिंग से पढ़ाई में डिस्टर्बेंस होता है पर चैटिंग किये बिना हम रह भी नहीं पाते,वगैरह वगैरह. जैसे जैसे जिंदगी आगे बढ़ती है वैसे हमारे कन्फ्यूजन का दायरा भी बढ़ता जाता है.

 मुझसे अक्सर लोग सलाह मांगते हैं और तब मुझे बड़ी परेशानी होती है कि क्या मुझे वाकई सलाह देनी चाहिए हमारे एक मित्र एक शहर में अकेले रहते हैं एक दिन उन्होंने मुझसे सलाह माँगी कि वो मकान बदलना चाहते हैं.मैंने पूछा क्यूँ, तो वो बोले कि उन्हें बहुत अकेलापन लगता है.मैंने कहा ठीक है अपने किसी दोस्त के साथ रह लो या किसी ऐसी जगह मकान ले लो जहाँ आपके परिचित रहते हों. तब उनका जवाब था उन्हें ज्यादा दुलार पसंद नहीं है.जाहिर है वो कन्फ्यूज्ड हैं.वैसे भी कन्फ्यूजन एक ऐसी समस्या है जिसका इलाज समय रहते नहीं किया गया तो इसका सीधा असर हमारे व्यक्तित्व  पर पड़ता है.लेक्चर से आप बोर होते हैं और ज्ञान का खर्रा आपको और कन्फ्यूज करता है तो मैं जो कुछ कहूँगा वो आपके जीवन  से ही जोड़  कर के कहूँगा.

 चैटिंग पर भी जब आपको कुछ नहीं समझ आता तो आप भी हम्मम् कर के रह जाते हैं.ये हम्मम् का मामला वाकई बड़ा कन्फयूजिंग है,इसका कोई न कोई  सल्यूशन तो होना चाहिए. अब कन्फ्यूजन के सल्यूशन की तलाश में अगर किसी से सलाह मांगेंगे और उस पर अमल नहीं करेंगे तो परिणाम  कैसे निकलेगा.

अब ऐसा होता ही क्यूँ है.चलिए इस कन्फ्यूजन को दूर ही कर दिया जाए.कन्फ्यूजन अगर है तो उससे निपटने के दो रास्ते हैं. पहला किसी की राय ले ली जाए पर अक्सर होता है कि लोग इतने लोगों से राय ले लेते हैं कि कन्फ्यूजन घटने की बजाय और बढ़ जाता है.

ज्यादा लोगों से राय लेने का मतलब ये भी है कि आप जिससे सलाह ले रहे हैं. उस पर आपको पूरा भरोसा नहीं है.जब भरोसा नहीं है तो सलाह लेने का क्या फायदा  और अगर सलाह ले रहे हैं  तो उसे मानना चाहिए.बार बार सलाह लेकर अगर आप मानेंगे नहीं तो कोई भी आपको सही सलाह नहीं देगा. क्योंकि  उसे पता है कि आप किसी और के पास इस मुद्दे पर राय लेने जायेंगे.दूसरा तरीका है शांत दिमाग से उस समस्या के बारे में सोचा जाए जिसमें आपको कन्फ्यूजन है फिर अपने जीवन की सीमाओं  को ध्यान में रखते हुए अपना आंकलन किया जाए.तब कोई निर्णय लिया जाए पर इसके लिए पहले आपको अपने आप पर पूरा भरोसा होना चाहिए. क्योंकि  अपने निर्णय के लिए आप खुद जिम्मेदार होंगे वैसे जिन्दगी में फेसबुक स्टेटस अपडेट की तरह एडिट का कोई ऑप्शन नहीं होता जो बीत जाता है वो बीत ही जाता है.जब भी कभी कोई कन्फ्यूजन हो तो उससे आप ही अपने आप को बाहर निकाल सकते हैं चाहे किसी की सलाह लेकर या अपने आप पर भरोसा रखकर.

प्रभात खबर में 29/07/2025 को प्रकाशित 

No comments:

पसंद आया हो तो