दुर्गेशपाठक ये नाम नहीं एक चिंतन है बस दो मिनट में आरहा हूँ । कभी -कभी में सोचता हूँ कि इस नाम का एक नया पंथ चलाया जाये जो लोगों को ये सीख देता हो कि किसी काम को बोझ मत समझा जाये क्योंकि ऐसी भी जल्दी क्या है जब जीना है बरसों। आप कोई भी कम कहें वो हो जाएगा लेकिन कब ?इस प्रशन का उत्तर समय के गर्भ में है । दार्शनिकों के कई पंथ व विचारधाराएँ हैं जिसमें एक् विचारधारा दुर्गेश पाठक की भी है क्योंकि अगर आप जीवन का सत्य जान जायेंगे तो जीवन से डर तो मौत है इसलिए हमारे प्यारे दुर्गेश जी भी आपको कभी भी काम का सत्य नहीं बतायंगे क्योंकि अगर आप सत्य जान जायेंगे तो आप को अपने कार्य से विराक्ती हो जायेगी ।
प्लेटो अरस्तू ने अपना सारा जीवन , दर्शन के मर्म को समझने में लगा दिया और उनके सिद्धांत किताब और ग्रंथों के रुप में आज भी हमारा पीछा नहीं छोड़ रहें हैं , लेकिन मुझे जीवन की निस्सारता का अहसास दुर्गेश जी के साथ कार्य करते हुए बहुत जल्दी समझ में आ गया है। शायद ठीक ही कहा गया है पुस्तकें हमारे चिंतन को विस्तार देती हैं लेकिन जब किसी दर्शन को आप जीने लगते हैं तो वो तुरंत यथार्थ का रुप ले लेता है और फिर शुरू होता है उसके सिद्धान्तिकरण का कार्य जो कार्य मैं कर रह हूँ .जिन्दगी का काम है चलते रहना और दुर्गेश जी भी चले जा रहे हैं उनको तो मैं बदल नहीं पा रहा हूँ तो सोचा जनमाध्यमों के तरह खुद ही क्यों न बदल लिया जाये क्योंकि जिन्दगी रुकती नहीं किसी के लिए चलता रहे इंसान यही मुनासिब है जिन्दगी के लिए ।
दोस्तों जिन्दगी एक ही है और फैसला हमें करना है कि हम अपना जीवन शिकयात करने और दूसरो के बदलने के इंतज़ार में ख़त्म कर दें या उस जीवन को जैसे हमें मिला है बेहतर करने की कोशिश में व्यतीत करें .किस्सा छोटा सा है फलसफा बड़ा जो सफर प्यार से कट जाये वो प्यारा है सफर ।
मेरा ये सफर चल रह है मंजिल के तलाश है न जाने कब खतम होगा लेकिन इतना विश्वास है की
जब चल कर आयें हैं इतने लाख वर्ष
तो आगे भी चल कर जायेंगे
आएंगे आएंगे उजले दिन जरूर आएंगे
धीरज और लगन से काम करते चलें दुनिया में सभी के लिए कुछ न कुछ है आप अपना हिस्सा तलाश करें
शुक्रिया
5 comments:
hello sir, the last few lines explains everything...... its really a very positive n beautiful thought said by u and this gives us a strength that we shud always do the same..........
Aap ki kosis to hei hai kabile tarif par baat fir vhi aati hai ki hum to apna kam karege hi bina kisi ko toke par ye bhi to jaruri nai hai ki vo insan humre raste me avrodh nai dalega
pr is kahani ka msg bhut aacha hai rely
aapne is kahaani ke zariye jo message dene ki koshish ki hai woh bohat acha hai ki is choti si zindigi mein dusro mein burai nikalne ke bajaye hum apne ko sudhaar ker kuch acha kare or zindigi ko khushiyon se bher de.....nice thought:)
very well written sir boosted with positive energies
bahot hi badhiya filled with enthusiasm
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