Friday, October 26, 2007

काम ख़त्म हुआ लेकिन अभी इम्तिहान बाकी है

एडिटिंग का कम खतम हुआ मुश्लिल तनाव का एक दौर ख़त्म हुआ लेकिन कुछ और तनाव इंतिज़ार कर रहे होंगे एक शिक्षक की हैसियत से सब से जयादा परेशानी होती है सभी को संतुष्ट करने में क्योंकी मेरा मानना है कि अगर सर्जन्तामकता निकालनी है तो दिमाग से कुंठा को निकालना होगा एक कुंठित व्यक्ति कुंठित विचार को आगे बढायेगा इस लिए सारे तनाव मैं ओढ़ लेता हूँ अगर ये खुश रहेंगे तो मई खुश रहूंगा लेकिन कुछ ज्यादा जिद करते हैं तब मुझे लगता है कि उनका भरोसा मैं नहीं जीत पाया लेकिन यही जिन्दगी है ।
शुक्रिया सभी का जिनोहेने मेरी डांट सूनी लेकिन बुरा नहीं माना शुक्रिया दुर्गेश जी शुक्रिया गणेश तुम्हारा दुस्हेरा ख़राब किया लेकिन तुमने पूरा साथ दिया बच्चों बहुत बहुत शुक्रिया इस पूरे दौर मैं किसी को मेरी बात बुरी लगी हो तो मैं माफी चाहूँगा शुक्रिया

3 comments:

Anonymous said...

Keep the tension on
It helps to keep the tension on
There's something to be said
For the sweating palm
There's nothing like the high
From a ticking bomb
You've got to put yourself
To the acid test
Or let your life decay
In a fat-cat's rest

archana chaturvedi said...

aapki baat ka bura maana yani khud ka nuksan karna ye mai sirf aap ke liye hi nai kah rahi balki subhi ki baat ko sunna jarur chahaiye baki kam hummara hota hai apna bura or sahi jana ye hummare uper nirbhar karta hai

samra said...

sir koi bhi kaam kerte waqt gussa aana ya mazak hona laazmi si baat hai kyunkiyeh dono cheeze aisi hai jo kabhi bhi aa sakti hai kisi bhi kaam ke beech or insaan jab kisi kaam ko kerta hai to chahta hai ki woh cheez perfect ho.... or phr teacher kabhi apne students ka bura nahi chahte hai..isiliye aapke bajaye students ko aapko thanks bolna chahiye ki aapne unka sath diya...

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