तेरे चेहरे में वो जादू है , जी हाँ चेहरे में भी जादू होता है यह सिर्फ़ एक फिल्मी गाने की पंक्तियाँ नहीं हैं बल्कि जिन्दगी की सच्चाई भी है. मुझे एक और गाना याद आ रहा है सलामी फ़िल्म का चेहरा क्या देखते हो दिल में उतर कर देखो न , बात एकदम खरी है दिल और चेहरे का एकदम सीधा सम्बन्ध है. लाख छुपाओ छुप न सकेगा राज हो कितना गहरा दिल की बात बता देता है असली नकली चेहरा . मेरी आदत है भीड़भाड़ में, सेमिनार में, ट्रेन की यात्राओं में मैं चेहरे मिलाया करता हूँ .अगर अपरिचित का चेहरा अपने किसी परिचित से मिलता-जुलता हुआ तो मैं गिनने लगता हूँ कि दोनों की क्या-क्या अदाएं मिलती-जुलती हैं। ऐसे अपरिचितों से कभी बात करने की हिम्मत तो नहीं हुई, लेकिन मुझे लगता है कि हर चेहरा कुछ कहता है , अब इस गाने में तो यही कहा जा रहा है चेहरा है या चाँद खिला है (फ़िल्म :सागर )आईये आज चेहरे की भाषा को समझने की कोशिश की जाए.
रोज़ हम न जाने कितने चेहरे देखते हैं लेकिन कभी गौर नहीं करते असल में चेहरा हमारी पर्सनाल्टी का आइना होता है और हर चेहरा कुछ कहता है लेकिन हम समझना चाहें तो , चेहरे से ही हमारी सोच और बॉडी लैंग्वेज का पता चलता है मतलब की परदे के पीछे क्या चल रहा है .डर से चेहरा काला पड़ जाता है गुस्से में चेहरा लाल हो जाता है ,शर्म से चेहरा गुलाबी हो जाता है और बीमारी में चेहरा पीला पड़ जाता है ये तो चेहरे के रंग हैं जो जिन्दगी की हलचल को बताते हैं पर ये रंग जो चेहरे पर दिखते हैं वह रियलिटी में हमारे दिल की भावनाएं होती हैं जो चेहरे पर दिखती हैं . हम अगर अन्दर से अच्छा महसूस कर रहे हैं तो चेहरे पर वो खुशी दिखेगी अगर दुखी हैं तो चेहरा डल दिखेगा अब जिन्दगी में सुख दुःख तो आते जाते रहेंगे और आप इससे बच नहीं सकते , तो क्यों न इनसे मुकाबला किया जाए प्रॉब्लम से भागना कोई सॉल्यूशन नहीं हो सकता और चेहरे को अच्छा रखना है तो दिमाग को अच्छा रखना बहुत जरूरी है . दिमाग को अच्छा रखने का एक मात्र तरीका है कि अपना दिमाग हमेशा खुला रखा जाए और नए विचारों का स्वागत किया जाए यानि फ्लेक्सिबिल्टी जरूरी है किसी भी विचार से चिपका न जाए अगर मैं सही हूँ तो सामने वाला भी सही हो सकता है, अगर आपको कोई बात अच्छी लग रही है तो उसकी खुल कर तारीफ कीजिये अपनी किसी बात पर या अपने आप पर घमंड आपके चेहरे की खूबसूरती को ख़तम कर देगा . चेहरे की खूबसूरती का राज़ किसी फेयर नेस क्रीम में नहीं है बल्कि विचारों के खुलेपन मे है . क्योंकि विचार ही तो हमारी आपकी सोच बनाते हैं और सोच ही आम इंसान को खास बनाती है और अगर आप ऐसा कर पाए तो लोग यही कहेंगे तेरे चेहरे से नज़र नहीं हटती .
चेहरे की बाहरी खूबसूरती को निखारने के अनेक प्रोडक्ट मार्केट में हैं लेकिन ये प्रोडक्ट आपके चेहरे को लांग लॉस्टिंग खूबसूरती नहीं दे सकते ये खूबसूरती तो आपका दिमाग दे सकता है जो सोचता है समझता है इस छोटे से दिमाग को अगर आप खुला रखेंगे अपनी सकारात्मक सोच से तो आपका भी चेहरा निखरेगा .जिन्दगी में लाख दुःख हैं पीड़ा और चिंताएँ हैं फ़िर भी जिन्दगी खूबसूरत तो है ही न, हर एक के पास जिन्दगी को जीने के अपने कारण हैं पिता अपने बेटे के चेहरे को खुश देखना चाहता है पति पत्नी को और पत्नी पति को खुश देखना चाहती है टीचर अपने स्टूडेंट्स को , इन रिश्तों के दायरे को अगर बड़ा कर दिया जाए तो हर चेहरा खुशी से चमक रहा होगा .सोचिये की आपका कौन सा काम किसी के चेहरे पर मुस्कान सजा सकता है किसी को खुश कर सकता है उस काम की तलाश कीजिये और जिन्दगी को खूबसूरत बनाइये हाँ तो आज से उस काम की तलाश में लग जाइये और फ़िर देखिये आपका चेहरा भी कैसे दमकेगा और जो सेल्फ सटीस्फेक्सन मिलेगा उसका तो मज़ा ही अलग होगा चेहरे की खूबसूरती का राज हमारे पास ही है ख़ुद खुश रहिये और दूसरों को खुश रखिये तो आज से आप किसी खुशनुमा चेहरे को देखें तो उसकी सोच को सराहें और कहें तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है . जल्दी ही फ़िर मुलाकात होगी
आई नेक्स्ट में ६ नवम्बर को प्रकाशित
12 comments:
bahut hi umada lekh,har pankti se sehmat hai,har chera man ka aaina hai,waah
अच्छा लेखन..आगे भी इन्तजार रहेगा.
बिलकुल तेरा चेहरा सुहाना लगता है.
बहुत प्रभावी लिखा है.
आलेख पढ़ते पढ़ते मेरे चेहरे पर भी कई रंग आए - लाल, पीला, हरा, गुलाबी..
बढ़िया आलेख
मुकुल जी आपके इस लेख को पढ़कर मुझे सुप्रसिद्ध लेखक प्रताप नारायण मिश्र की कहानी 'बात' याद आ गई। उसमें भी व्यक्तित्व से जुड़ी बातें थीं और इसमें भी हैं। आपके इस लेख को हर उस युवा को पढ़ना चाहिये जो जॉब कर रहा है। क्योंकि जॉब के समय जीवन में तमाम उतार-चढ़ाव आते हैं। उनका प्रभाव काम पर भी पड़ता है। काम पर प्रभाव पड़ा तो बॉस की नजरें भी टेढ़ी हो सकती हैं। ऐसे में यदि हम अपने चेहरे के हॉव-भाव को संतुलित रखें, तो शायद हम अच्छे से अच्छा कर सकेंगे।
मुकुल जी आपके इस लेख को पढ़कर मुझे सुप्रसिद्ध लेखक प्रताप नारायण मिश्र की कहानी 'बात' याद आ गई। उसमें भी व्यक्तित्व से जुड़ी बातें थीं और इसमें भी हैं। आपके इस लेख को हर उस युवा को पढ़ना चाहिये जो जॉब कर रहा है। क्योंकि जॉब के समय जीवन में तमाम उतार-चढ़ाव आते हैं। उनका प्रभाव काम पर भी पड़ता है। काम पर प्रभाव पड़ा तो बॉस की नजरें भी टेढ़ी हो सकती हैं। ऐसे में यदि हम अपने चेहरे के हॉव-भाव को संतुलित रखें, तो शायद हम अच्छे से अच्छा कर सकेंगे।
Ajay Mohan, sub editor, www.oneindia.in
चेहरा क्या देखते हो दिल मे उतर कर देखो न,
बात तो आपकी बिल्कुल रापचिक है पर परेशानी ये है कि चेहरे पढना आसान नहीं
लोग बाग़ इतने होशियार हो चुके हैं कि आतंरिक मनोभावों को चेहरे पर आने ही नहीं देते
आजकल का ज़माना कुछ इस गाने के जैसा है
मासूम चेहरा निगाहें फरेबी.....
और फिर चेहरे ही क्यों अगर हम जान सकें तो अंग प्रत्यंग आपके मनोभावों को बता देते हैं पर हम वो नज़र कहाँ से लायें
पर आपके गानों की तालमेल से लिखे ये लेख मस्त लगते हैं
hi sir...
very true a person shud be beautiful from heart no matter how is his outer beauty..beautifully written sir...
no wonder u bring smiles on our faces..so you do what u believe...
hi sir...
very true a person shud be beautiful from heart no matter how is his outer beauty..beautifully written sir...
no wonder u bring smiles on our faces..so you do what u believe...
"Chehre ki bhi ajib kahani hai
kabhi hoto pe muskan to kabhi ankho me pani hai"
chehra tarif ka bhuka hota hai par fir bhi galio se pet bhar leta hai hasta hai jb to log kahte hai haso mt rota hai to kahte hai ro mt
charha is gum ke charha pe bhi ek charha chada leta hai or us gum ko chupa leta hai ...
nice article sir...sahi kaha chehra poori kitaab hoti hai kisi ke man mein kya chal raha hai woh aap kisis ka chahra dekh ke pata laga sakte hai.......:)
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