सर्दियों का मौसम आ गया आप भी सोच रहे होंगे की मै कौन सी नयी बात बता रहा हूँ. गर्मियों के बाद जाडा ही आता है और ये तो हमेशा से होता आया है इस जाडे के मौसम में रजाई लपेटे हुए मैंने फिल्मी गानों से मौसम के फलसफे को समझने की कोशिश की अब इस सर्दी के मौसम को ही लीजिये न ये मौसम बहुत ही अच्छा माना जाता है सेहत , खान -पान और काम काज के लिहाज़ से तो यूँ कहें कि मौसम गुनगुना रहा है गीत खुशी के गा रहा है (फ़िल्म :सातवां आसमान ) भले ही ये सर्दी का मौसम हो लेकिन इसके आने से चारों तरफ़ गर्माहट आ जाती है खाने में , कपडों में , और रिश्तों में भी , ज्यादातर शादी फंक्शन्स जाडे में ही तो होते हैं . .मौसम मस्ताना रस्ता अनजाना (फ़िल्म:सत्ते पे सत्ता) लेकिन एक बात ज्यादा महत्वपूर्ण है कि इसी मौसम में हमें गर्मी की कमी एहसास होता है. ये मौसम का जादू है मितवा (हम आपके हैं कौन )कुदरत ने हमें हर चीज जोड़े में दी है सुख -दुख ,धरती- आकाश , सर्दी-गर्मी , काला -सफ़ेद और न जाने क्या क्या और सही भी है अगर दुःख न होता तो हम सुख को समझ ही न पाते और देखिये न हम इंसान धरती के मौसम के बदलने का इंतज़ार कितनी बेसब्री से करते हैं और हर मौसम का स्वागत करते हैं .अलबेला मौसम कहता है स्वागतम (फ़िल्म :तोहफा ) लेकिन जब जिन्दगी का मौसम बदलता है तो हमें काफी परेशानी होती है .आप सोच रहे होंगे की जिन्दगी का मौसम कैसे बदलता है ?जवाब सीधा है सुख दुःख , पीड़ा निराशा , जैसे इमोशंस जिन्दगी के मौसम तो ही हैं . दुनिया के मौसम का टाइम साइकिल फिक्सड रहता है यानि चेंज तो होगा लेकिन एक सर्टेन टाइम पीरियड के बाद लेकिन इससे एक बात तो साबित होती है बदलाव का दूसरा नाम मौसम है . मौसम आएगा जाएगा प्यार सदा मुस्कयेगा (फ़िल्म :शायद )जिन्दगी का मौसम थोड़ा सा अलग है इसके बदलने का टाइम फिक्सड नहीं है और प्रॉब्लम यहीं से शुरू होती है जब हम किसी चीज के लिए मेंटली प्रीपैरे न हों और वो हो जाए जिन्दगी का मौसम कब बदल जाए कोई नहीं जनता ये पोस्सितिव भी हो सकता है और निगेटिव भी .पतझड़ सावन बसंत बहार एक बरस के मौसम चार (फ़िल्म :सिन्दूर ) बारिश के मौसम में हम बरसात को नहीं रोक सकते लेकिन छाता लेकर हम अपने आप को भीगने से बचा सकते हैं और यही बात जिन्दगी के मौसम पर भी लागू होती है यानि सुख हो या दुख कोई भी परमानेंट नहीं होता है यानि जिन्दगी हमेशा एक सी नहीं रहती है इसमे उतार चढाव आते रहते हैं मुद्दा ये है कि जिन्दगी के मौसम को लेकर हमारी तैयारी कैसी है.
कोई भी इंडीविजुअल हमेशा ये दावा नहीं कर सकता है कि वो अपनी जिन्दगी में हमेशा सुखी या दुखी रहा है या रहेगा चेंज को कोई रोक नहीं सकता सुख के पल बीत गए तो दुःख के पल भी बीत जायेंगे .अमेरिका के प्रेसीडेंट ओबामा जिस दिन चुनाव जीते उसके एक दिन पहले उनकी नानी का निधन हो गया जिसे वो बहुत चाहते थे . दुख के साथ सुख भी आता है. अगर आपके साथ बहुत बुरा हो रहा है तो अच्छा भी होगा भरोसा रखिये.ऐसा हमारी आपकी सबकी जिन्दगी में होता है लेकिन हम सत्य को एक्सेप्ट करने की बजाय भगवान् और किस्मत न जाने किस किस को दोष देते रहते हैं अगर हम इसको मौसम के बदलाव की तरह एक्सेप्ट कर लें तो न कोई स्ट्रेस रहेगा और न ही कोई टेंशन लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है जब हमारे साथ सब अच्छा हो रहा होता है तो हम भूल जाते हैं कि जिन्दगी संतुलन का नाम है और संतुलन तभी होता है जब दोनों पलडे बराबर हों लेकिन हम हमेशा सिर्फ़ सुख की आशा करते है लेकिन बगैर दुख को समझे सुख का क्या मतलब जिन्दगी के दौड़ में पास होने के एहसास को समझने के लिए फ़ेल होने के दर्द को समझना भी जरूरी है . जहाज़ सबसे सुरक्षित पानी के किनारे होता है लेकिन उसे तो समुन्द्र के लिए तैयार किया गया होता है बिना लड़े अगर आप जीतना चाह रहे हैं तो आज की दुनिया में आप के लिए कोई जगह नहीं है क्योंकि जिन्दगी का मौसम बहुत तेजी से बदल रहा है जैसे हम हर मौसम के हिसाब से अपना रहन सहन बदल लेते हैं वैसे हमें जीवन में आने वाले हर बदलाव का स्वागत करना चाहिए .
क्योंकि मौसम आएगा जाएगा प्यार सदा मुस्कयेगा (फ़िल्म :शायद)
तो इस बदलते मौसम का स्वागत मुस्कराते हुए करिए फ़िर मुलाकात होगी
आई नेक्स्ट में ९ दिसम्बर २००८ को प्रकाशित
6 comments:
सबसे प्यारा है...प्यार का मौसम...याद कीजिये ये गीत..." नि सुल्ताना रे प्यार का मौसम आया..."प्यार का न हो तो फ़िर जो मौसम बेईमान हो वो सबसे बढ़िया याद कीजिये ये गीत भी" आज मौसम बड़ा बेईमान है बड़ा बेईमान है आज मौसम....
नीरज
hello sir.........
again we got a smashing writeup from u... lovely portrayal of songs throughout ur writeup...
n u made life so simple..if we accept it like that then no stress n fear and no place for tears right!!!!
छा गए माटस्साब। जाड़े पर रजाई की तरह। शुभकामनाएं।
koi bhi mausham ho uska swagat muskurte huye hi karna cahiye. mausham ki baat aati to to sangeet yaad hi aa jata hai.
"kya mausam aaya hai purab se mastani purwai chali khsboo se mahki hai pholo ki kali geet gaye nadiya lahro se hai sargam........................................."
Ye to sucha hai hi ki haar ke baad jeet hai par ye jaruri nai hai ki hum jeet ke baar ka intjaar kare bajaye hume ye sochna chahiye ki hum us haar me yesa kon sa sudhar kare jo vo haar jeet me tbdil ho jaye..
sir aapke article ke refrence mein sirf ek baat kehna chahugi ki..
chala jata hun hasta khelta hua mauje hawadis se...
ager asaniyan ho zindigi dushwar ho jaye..:)
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