क्यों कुछ बसंत की यादें ताज़ा हुई न अब अगर यादें ताज़ा हो रही हैं तो इससे बेहतर गाना क्या हो सकता है "आया झूम के बसंत नाचो मेरे संग " वैसे ये त्यौहार बसंती रंग से जुड़ा हुआ है मतलब खेतों में नयी फसल फूलों के खिलने का मौसम ,ये बसंती रंग है बड़ा प्यारा इसमें प्यार की मादकता भी है "पिया बसंती रे " तो क्रांति की आग भी "मेरा रंग दे बसंती चोला ओ माई रंग दे बसंती चोला " इसमें दुःख की वेदना भी है "ओ बसंती पवन पागल न जा रे न जा ओ बसंती पवन पागल " तो मिलन की सुहानी खुशी भी जितनी डाइवर्सिटी आपको इस रंग के नेचर में मिलेगी उतनी और किसी भी रंग में नहीं ये डाइवर्सिटी इस फेस्टिवल में भी है बच्चे , बूढ़े और जवान सभी के पास इस फेस्टिवल को एन्जॉय करने के अपने अपने रिसन हैं ठण्ड जाने को है और गर्मियां अभी आयी नहीं इस से बेहतर सीसन और क्या हो सकता है तो क्यों न गाया जाए ये गाना " संग बसंती , रंग बसंती , छ गाया मस्ताना मौसम आ गाया "(रजा और रंक ), मुझे लगता है कि ये सीसन हमें सोचने का मौका देता है कि जिन्दगी जिन्दादिली का नाम है शायद इसीलिए बसंती रंग मस्ती का रंग भी माना जाता है और ये मस्ती पीक पर होती है बसंत पंचमी के दिन चलिए आप बच्चे नहीं रहे जो स्कूल से आपको छुट्टी मिल जायेगी और आप इसकी मस्ती को एन्जॉय कर पायेंगे , जिन्दगी की भगा दौड़ी में पता ही नहीं चलता कि बसंत कब आया और कब चला गाया .अजी छोडिये मैं आपसे एन्जॉय करने को कह रहा हूँ और आप खुश न हो पाने का रिसन दिए जा रहे हैं .त्यौहार दिल से मनाया जाता है चलिए आपके पास टाइम नहीं है तो हम बता देते हैं कि बसंत पंचमी को सेलेब्रेट करने का इंस्टैंट तरीका . थोड़ी देर के लिए अपनी आँखें बंद कीजिये और याद कीजिये दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे जिसमे सरसों के फूल से लदे हुए पेड़ों के बीच शारुख खान और काजोल का मिलन हो रहा है थोडा और फ्लश बैक्क में चल सकते है बस आपको सिलसिला फिल्म का वो गाना याद कर सकते हैं " देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए दूर तक निगाह में गुल खिले हुए" चारों और फूल ही फूल
वैसे भी साथियों बसंत पंचमी का मतलब सिर्फ त्यौहार मानना नहीं इसे जीना है इस फेस्टिवल की सारी एनेर्जी अपने अन्दर ले लीजिये और फिर देखिये आपकी जिन्दगी भी कितनी बसंती हो जायेगी और आप गुनगुना उठेंगे पिया बसंती रे